नागरिकता संशोधन बिल / पाकिस्तान से आए हिंदुओं की एक ही प्रार्थना, अब हमें नरक में नहीं लौटना

AMAR UJALA : Dec 12, 2019, 11:35 AM
अमृतसर(पंजाब) | पाकिस्तान के कट्टरपंथियों, अलगाववादियों व आतंकी संगठन चलने वाले गुर्गो ने जब-जब पाकिस्तान में बसे हिंदुओं पर अत्याचार किए, तब-तब वहां के हिंदू शरण के लिए भारत पहुंचे। भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस कई बार हिंदुओं को अटारी स्टेशन पर लेकर आई है। पाकिस्तानियों से प्रताड़ित हिंदुओं ने स्टेशन पर आते ही वहां के मुस्लिम समुदाय की प्रताड़ना की व्यथा सुनाई और रेलवे स्टेशन से हाथ जोड़ कर पाकिस्तान को अलविदा कह दिया।

पाकिस्तान से मात्र दो महीने का वीजा मिलने पर भारत अपने रिश्तेदारों से मिलने आने वाले हिंदू परिवारों की एक ही मांग होती थी, भारत सरकार अब उन्हें वापस पाकिस्तान न भेजे। पाकिस्तान से आते समय इन हिंदू परिवारों के चेहरे इतने भयभीत होते थे कि परिवार की महिलाएं अपने माथे पर बिंदी (सुहाग की निशानी) लगाने के लिए डरती थी। पाकिस्तान को सदा के लिए अलविदा कहने वाले परिवार अपने साथ घर का पूरा सामान लेकर अटारी स्टेशन पहुंचते थे। भय रहता की वीजा की मियाद पूरी होने के बाद उनको वापिस पाकिस्तान लौटे तो वहां के कटटरपंथी उनके परिवारों को खत्म कर देंगे।

2012 में अटारी स्टेशन पहुंचे एक हिंदू परिवार की मुखिया चंदा ने बताया था कि पाकिस्तान के कुछ कट्टरवादी संगठनों के गुर्गे हिंदुओं की बहू बेटियों को निशाना बनाकर भय पैदा करने की साजिश रच रहे हैं। पाकिस्तान में बसने वाले हिंदुओं की हालत बहुत खराब है। पाकिस्तान के हैदराबाद से 33 दिन के वीजा के साथ अपने दस सदस्यीय परिवार के साथ आई चंदा इतनी भयभीत थी उसने अपने पारिवारिक सदस्यों को मीडिया से बातचीत करने से मना कर दिया था।

पाकिस्तान से तीर्थ यात्रा के जरिये भारत आने वाले हिंदू अक्सर इस बात का उल्लेख करते कि किस प्रकार वहां के कट्टरवादी हिंदुओं  की बहु-बेटियों को उठाकर ले जाते और जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जाता। पाकिस्तान के क्वेटा, चमन व जैकबाबाद जैसे शहरों से कई बार हिंदू पलायन कर अटारी स्टेशन पहुंचे।

जब बड़े पैमाने पर हिंदुओं ने धार्मिक वीजा से भारत में शरण के लिए आना शुरू कर दिया तो पाकिस्तान सरकार ने समझौता एक्सप्रेस से भारत आने वाले हिंदुओं को वीजा जारी करने से पहले एक परफॉर्मा भरवाना शुरू कर दिया। जिसमें लिखा होता था कि वह भारत में तीर्थयात्रा के लिए जा रहे हैं और लौटकर वापस पाकिस्तान आएंगे। पाकिस्तान से आने वाले परिवार की एक महिला यमुना ने बताया था की पाकिस्तान में हिंदू बच्चों पढ़ने की आज्ञा तक नहीं है। पाकिस्तान में हिंदुओं को कोई भी धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है।

इस महिला का कहना था कि उनकी एक ही इच्छा है कि भारतीय नागरिकता मिल जाए, ताकि वह परिवार के साथ सुकून से रह सके। हम भारतीय वीजा के लिए इंतजार कर रहे थे, ताकि यहां आकर बस सकें। हम वापस नहीं जाना चाहते। वहीं डेरा बाबा धूनी दास की ओर से दिल्ली से आए सभी 27 परिवारों को रहने के लिए अलग-अलग तंबू दिए गए हैं। समूह के कुछ युवकों ने तो आसपास की दुकानों में काम करना भी शुरू कर दिया है। पाकिस्तानी स्कूलों में हिंदू बच्चों को मुस्लिम बच्चों से अलग बिठाया जाता है।

मोदी का कानून देगा भारतीय नागरिकता

पाकिस्तान के पेशावर शहर से 2000 में अपने परिवार के साथ पलायन कर गुरु नगरी पहुंचे सुरजीत सिंह को इस बात की उम्मीद जगी है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लाये गए कानून से उनके परिवार को भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। भारतीय नागरिकता पाने के लिए उसने कई सरकारी विभागों के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी कई बार खत लिखे, लेकिन कभी किसी का कोई भी जवाब नहीं आया है। अब उम्मीद है कि लगभग 20 वर्ष एक बाद उनके बच्चों को भारतीय नागरिकता मिल जाएगी।

इसी तरह वर्ष 2006 में पाकिस्तान से पलायन कर आये प्रीतम सिंह का कहना है कि पेशावर स्थित अपने घर व कारोबार को छोड़कर आने का दु:ख तो बहुत था, लेकिन नई पीढ़ी को बेहतर जीवन देने के लिए उन्होंने पलायन किया था। उन्हें उम्मीद है की अब भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। इसी तरह पेशवारियां मोहल्ला के एक करियाना बेचने वाले शाम लाल (बदला हुआ नाम) ने वर्ष 2008 में एक पाकिस्तानी हिंदू लड़की के साथ शादी की थी, जिसे अभी तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली थी। उसे अब उम्मीद है कि उसकी पत्नी भी अब भारतीय होने का गौरव हासिल कर लेगी।

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