दुनिया / मुसीबतों का साल 2020- शुरू से ही सिर पर मंडरा रही हैं आफतें ही आफतें

AajTak : Jul 07, 2020, 10:13 AM
Delhi: सन 2020 में लोगों ने उम्मीद लगाई थी कि ये साल बेहतरीन जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सालभर में इतनी भयावह घटनाएं लोगों ने एकसाथ देखी हैं कि ये साल कई सालों तक लोगों को याद रहेगा। अभी साल के सिर्फ छह महीने बीते हैं लेकिन इतनी कुदरती आपदाएं किसी ने नहीं देखी होंगी। साल की शुरुआत ही आग और बीमारी से हुई थी। आइए जानते हैं इस साल की कुछ बड़ी आफतों के बारे में।।।

एक तरफ ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग लगी थी। तो दूसरी तरफ चीन से निकला वायरस दुनिया को डरा रहा था। ऑस्ट्रेलिया की आग में 1।25 बिलियन यानी करीब 125 करोड़ के जीव-जंतु मारे गए। 2।72 करोड़ एकड़ जंगल, झाड़, पेड़-पौधे, नेचुरल पार्क राख में तब्दील हो गए। इस आग से कुल 9352 से ज्यादा इमारतें नष्ट हो गईं। इनमें से 3500 से ज्यादा तो सिर्फ घर ही थे। 451 लोगों की मौत हुई थी।

कोरोनावायरस से पूरी दुनिया परेशान है। जूझ रही है। पिछले साल नवंबर में चीन से शुरु हुए इस वायरस ने पूरी दुनिया को तबाह कर रखा है। अब तक 1।15 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। 5।37 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा संक्रमित लोग अमेरिका, ब्राजील और भारत में हैं। फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है। न ही कोई वैक्सीन। दुनियाभर के डॉक्टर्स वैक्सीन तलाश रहे हैं।

फिलीपींस का ताल ज्वालामुखी 13 जनवरी के आसपास फट पड़ा। इसके फटने के बाद तागेते शहर में भूकंप के 75 झटके आए। करीब 50 हजार फीट ऊंचा राख का बादल बन गया। राख का बादल इतना ज्यादा चार्ज था कि वह आसमान से बिजलियां खींच रहा था। राख 110 किलोमीटर दूर राजधानी मनीला तक पहुंच गई थी। करीब 2534 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।

फिर शुरु हुआ कई देशों में टिड्डी दलों का हमला। जून 2019 से शुरू हुआ टिड्डी दल का हमला अभी तक रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इन छोटी-छोटी टिड्डियों ने 16 देशों को हिलाकर रख दिया। ये देश हैं- सोमालिया, केन्या, कॉन्गो, जिबौती, एरिट्रिया, इथियोपिया, दक्षिण सूडान, सूडान, युगांडा, यमन, भारत, पाकिस्तान, इरान, नेपाल, अर्जेंटीना और पराग्वे। इन्होंने हजारों एकड़ में खड़ी फसलें खराब कर दीं। इनका भी कोई इलाज नहीं है।

इस साल अब तक पूरी दुनिया में 6869 भूकंप के झटके लग चुके हैं। इनमें से 5 भूकंप 7।0 से 7।9 के बीच के हैं। 53 झटके 6।0 से 6।9 के बीच के हैं। 693 भूकंप 5।0 से 5।9 के बीच के हैं और बाकी 6118 झटके 4।0-4।9 तीव्रता के बीच के हैं। इन भूकंपों से अब तक दुनियाभर में 75 लोग मारे जा चुके हैं। सबसे तगड़ा भूकंप जमैका में 28 जनवरी को आया था। इसकी तीव्रता 7।7 थी। लेकि इसमें लोग मारे नहीं गए। वहीं, तुर्की में 24 जनवरी को आए 6।7 तीव्रता के भूकंप ने 41 लोगों की जान ले ली थी।

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में 7 मई को एक फार्मा कंपनी में गैस लीक होने के बाद सैकड़ों लोग बीमार हो गए। आरआर वेंकटपुरम में स्थित विशाखा एलजी पॉलिमर कंपनी से खतरनाक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। सैकड़ों लोग सिर दर्द, उल्टी और सांस लेने में तकलीफ के साथ अस्पताल पहुंचाएं गए थे। लोगों की सड़कों पर तड़पते हुए तस्वीरें दिखाई पड़ रही थीं। 11 लोगों की मौत हुई थी। 1000 से ज्यादा लोग बीमार हुए थे।

16 मई से 21 मई 2020 के बीच बंगाल की खाड़ी पर आए चक्रवाती तूफान अम्फन ने कहर बरपाया। 128 लोग मारे गए। चक्रवात इतना ताकतवर था कि इसकी वजह से 240 से 260 किलोमीटर प्रतिघंटा के गति से हवाएं चल रही थीं। इसकी वजह से 1।01 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इससे भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान प्रभावित हुए।


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दक्षिण अफ्रीका के बोत्सवाना में 350 से ज्यादा हाथियों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई है। इन हाथियों की मौत का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। स्थानीय लोगों ने कहा है कि ज्यादातर हाथी जलस्रोतों के करीब मरे मिले हैं। अब बोत्सवाना की सरकार ये पता करने की कोशिश कर रही है कि इन हाथियों को जहर दिया गया है या इनकी मौत किसी अनजान बीमारी से हुई है।


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पहले अंटार्कटिका (Antarctica) की तस्वीर सफेद आती थी लेकिन अब इसमें हरे रंग का मिश्रण शामिल हो रहा है। ये हरा रंग ज्यादातर अंटार्कटिका के तटीय इलाकों में ज्यादा देखने को मिल रहा है। हो सकता है कुछ सालों में आपको पूरे अंटार्कटिका में हरे रंग की बर्फ (Green Snow) देखने को मिले। वैज्ञानिकों को पूरे अंटार्कटिका में 1679 अलग-अलग स्थानों पर इस हरे रंग के बर्फ के प्रमाण मिले हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि अंटार्कटिका के बर्फ का हरे रंग में बदलने का कारण एक समुद्री एल्गी है।


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अब एक बार फिर चीन से एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी फैलने का खतरा है। इस बीमारी का नाम है ब्यूबोनिक प्लेग (Bubonic Plague)। इस बीमारी ने पहले भी पूरी दुनिया में लाखों लोगों को मारा है। इस जानलेवा बीमारी का दुनिया में तीन बार हमला हो चुका है। पहली बार इसे 5 करोड़, दूसरी बार पूरे यूरो की एक तिहाई आबादी और तीसरी बार 80 हजार लोगों की जान ली थी। अब एक बार फिर ये बीमारी चीन में पनप रही है।

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