AajTak : Sep 25, 2020, 06:36 AM
मध्यप्रदेश के उमरिया जिले से अजीबोगरीब मामला सामने आया है जहां एक युवक नाग की तरह हरकत करता नजर आया। कभी वह फुंफकार भरता रहा, तो कभी नाग की तरह लोट कर चल रहा था। यही नहीं युवक के नाग बनने की अफवाह इतनी तेजी से फैली कि उसे देखने के लिए आस-पास के गांवों से निकल कर हजारों की संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हो गए।
ये मामला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लगे सेजवाही गांव का है। जहां ग्रामीणों में फैली अफवाह के अनुसार सेजवाही के आदिवासी परिवार के घर एक दिन पहले से एक नागिन ने डेरा जमा रखा है। नागिन के उस घर में आने के बाद से ही उस परिवार का बेटा मुन्ना नाग की तरह हरकत कर रहा है। उस पर सांप की आत्मा आ गई है और वह फुंफकार रहा है साथ ही वह पेट के बल चल रहा है। इतना ही नहीं युवक ने घोषणा की कि वह 12 बजे गायब हो जाएगा और नागिन उसे ले जाएगी।बस इसी अफवाह से देखते ही देखते हजारों की संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हो गए लेकिन जब 12 बजे युवक गायब नहीं हुआ तो लोगों ने मान लिया कि इस पर नागिन नहीं बल्कि भूत का साया है। बस फिर क्या था तांत्रिक पहुंच गए और झाड़ फूंक शुरू हो गई। जब झाड़ फूंक करने वाले ने युवक को डंडे से पीटना शुरू किया तो उसका कथित भूत उतर गया और हाथ-पैर जोड़ कर सभी से माफी मांग ली। तांत्रिकों ने बताया कि गांव के बाहर नाग-नागिन का मंदिर बनाने की शर्त पर भूत ने युवक का पीछा छोड़ा है।आपको जानकर हैरानी होगी कि घंटों चले इस तमाशे की खबर प्रशासन तक नहीं पहुंची। गांव के सरपंच और सचिव ने भी प्रशासन को सूचना नहीं दी। हजारों की संख्या में जुटे ग्रामीणों पर भी कोरोना का कोई खौफ नजर नहीं आया। बाद में, कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने युवक के ऊपर धारा 188 के तहत प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करने की बात कही।सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में फैली अंधविश्वास की गहरी मान्यताएं समाप्त नहीं हो रही हैं। इन आदिवासी इलाकों में ग्रामीण बीमारियों के इलाज में भी अस्पताल जाने से पहले झाड़ फूंक पर भरोसा करते हैं। यही नहीं कुपोषित बच्चों तक को गर्म सलाखों से दाग दिया जाता है। सामाजिक कार्यकर्ता अजय विजरा का कहना है कि तमाम प्रयासों के बाद भी अभी तक अंधविश्वास की जड़ें कमजोर नहीं हुई हैं।
ये मामला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लगे सेजवाही गांव का है। जहां ग्रामीणों में फैली अफवाह के अनुसार सेजवाही के आदिवासी परिवार के घर एक दिन पहले से एक नागिन ने डेरा जमा रखा है। नागिन के उस घर में आने के बाद से ही उस परिवार का बेटा मुन्ना नाग की तरह हरकत कर रहा है। उस पर सांप की आत्मा आ गई है और वह फुंफकार रहा है साथ ही वह पेट के बल चल रहा है। इतना ही नहीं युवक ने घोषणा की कि वह 12 बजे गायब हो जाएगा और नागिन उसे ले जाएगी।बस इसी अफवाह से देखते ही देखते हजारों की संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हो गए लेकिन जब 12 बजे युवक गायब नहीं हुआ तो लोगों ने मान लिया कि इस पर नागिन नहीं बल्कि भूत का साया है। बस फिर क्या था तांत्रिक पहुंच गए और झाड़ फूंक शुरू हो गई। जब झाड़ फूंक करने वाले ने युवक को डंडे से पीटना शुरू किया तो उसका कथित भूत उतर गया और हाथ-पैर जोड़ कर सभी से माफी मांग ली। तांत्रिकों ने बताया कि गांव के बाहर नाग-नागिन का मंदिर बनाने की शर्त पर भूत ने युवक का पीछा छोड़ा है।आपको जानकर हैरानी होगी कि घंटों चले इस तमाशे की खबर प्रशासन तक नहीं पहुंची। गांव के सरपंच और सचिव ने भी प्रशासन को सूचना नहीं दी। हजारों की संख्या में जुटे ग्रामीणों पर भी कोरोना का कोई खौफ नजर नहीं आया। बाद में, कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने युवक के ऊपर धारा 188 के तहत प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करने की बात कही।सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में फैली अंधविश्वास की गहरी मान्यताएं समाप्त नहीं हो रही हैं। इन आदिवासी इलाकों में ग्रामीण बीमारियों के इलाज में भी अस्पताल जाने से पहले झाड़ फूंक पर भरोसा करते हैं। यही नहीं कुपोषित बच्चों तक को गर्म सलाखों से दाग दिया जाता है। सामाजिक कार्यकर्ता अजय विजरा का कहना है कि तमाम प्रयासों के बाद भी अभी तक अंधविश्वास की जड़ें कमजोर नहीं हुई हैं।