AajTak : Apr 24, 2020, 11:51 AM
कोरोना वायरस महामारी का सबसे विकराल रूप अमेरिका में देखने को मिला है। यहां 8 लाख से ज्यादा लोग अबतक इसकी चपेट में आ चुके हैं, जबकि करीब 50 हजार लोगों की जान चली गई है। इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो का कहना है कि अमेरिका शायद फिर कभी विश्व स्वास्थ्य संगठन को अपनी फंडिंग चालू नहीं करेगा, अगर जरूरत पड़ी तो वह स्वास्थ्य को लेकर खुद अपना वैश्विक संगठन बना लेंगे।
कोरोना वायरस महामारी को लेकर चीन के साथ मिली भगत का आरोप लगाने के साथ ही अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को देने वाली फंडिंग रोक दी थी। अब माइक पोम्पियो ने इसपर और भी आक्रामक रुख के संकेत दिए हैं।
फोक्स न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में माइक पोम्पियो ने कहा कि अब वक्त सिर्फ विश्व स्वास्थ्य संगठन में नेतृत्व के बदलाव का नहीं है, बल्कि वक्त है कि संगठन ही बदल दिया जाए। अमेरिका अब कभी भी इस संगठन में वापसी नहीं करेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अगर संगठन सही तरीके से काम करता है, तो हम उसके साथ जुड़ने की सोच भी सकते थे। लेकिन अब हम दुनिया में अपने साथियों के साथ एक ऐसे स्ट्रक्चर पर काम करेंगे जो सही नेतृत्व प्रदान कर सके।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन में अमेरिका की फंडिंग सबसे ज्यादा थी, जो WHO के कुल बजट का पंद्रह फीसदी था। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने इसे रोकने का ऐलान कर दिया। WHO की ओर से कई बार ऐसा ना करने की अपील की गई, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप बिल्कुल नहीं माने।बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से अमेरिका में अबतक 8 लाख से अधिक लोग बीमार पड़ चुके हैं, जबकि करीब 50 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। इस महासंकट की वजह से अमेरिका में अबतक ढाई करोड़ लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं।
कोरोना वायरस महामारी को लेकर चीन के साथ मिली भगत का आरोप लगाने के साथ ही अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को देने वाली फंडिंग रोक दी थी। अब माइक पोम्पियो ने इसपर और भी आक्रामक रुख के संकेत दिए हैं।
फोक्स न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में माइक पोम्पियो ने कहा कि अब वक्त सिर्फ विश्व स्वास्थ्य संगठन में नेतृत्व के बदलाव का नहीं है, बल्कि वक्त है कि संगठन ही बदल दिया जाए। अमेरिका अब कभी भी इस संगठन में वापसी नहीं करेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अगर संगठन सही तरीके से काम करता है, तो हम उसके साथ जुड़ने की सोच भी सकते थे। लेकिन अब हम दुनिया में अपने साथियों के साथ एक ऐसे स्ट्रक्चर पर काम करेंगे जो सही नेतृत्व प्रदान कर सके।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन में अमेरिका की फंडिंग सबसे ज्यादा थी, जो WHO के कुल बजट का पंद्रह फीसदी था। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने इसे रोकने का ऐलान कर दिया। WHO की ओर से कई बार ऐसा ना करने की अपील की गई, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप बिल्कुल नहीं माने।बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से अमेरिका में अबतक 8 लाख से अधिक लोग बीमार पड़ चुके हैं, जबकि करीब 50 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। इस महासंकट की वजह से अमेरिका में अबतक ढाई करोड़ लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं।