Science / Cosmic Rays से बच सकता है ये बैक्टीरिया पृथ्वी से मंगल तक के सफर में

News18 : Aug 28, 2020, 07:30 AM
Delhi: नॉपृथ्वी (Earth) पर बाहर जीवन की संभावनाओं को टटोलने के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक शिद्दत से जुटे हुए हैं। चांद (Moon) और मंगल (Mars) पर बस्तियां बसाने की योजनाओं पर अरबों रुपये खर्च हो रहे हैं। फिलहाल भले ही इसमें कोई बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है, पर वैज्ञानिक नाउम्मीद नहीं हैं और शोध (Research) कर रहे हैं। एक बड़ी उपलब्धि के तहत वैज्ञानिकों ने ऐसा बैक्टीरिया (Bacteria) खोजा है जो विकिरण रोधी (Radiation Resistant)  है और कम से कम तीन साल तक अंतरिक्ष में विकिरण के बीच जिंदा रह सकता है।


इस सिद्धांत को मिला बल

इस अध्ययन से शोधकर्ताओं का ये संकेत मिले हैं कि सरलतम जीवन के प्रारूप पृथ्वी और मंगल जैसे लंबी दूरी के बीच खतरनाक विकिरणों सेअपना अस्तित्व बचाए रख सकते हैं। जापानी वैज्ञानिकों के इस शोध में कहा गया है कि इस पड़ताल से इस सिद्धांत  को बल मिला है कि सूक्ष्मजीवी एक ग्रह से दूसरे ग्रह जाकर वहां जीवन के बीज  बो सकते हैं। इस मत को पैन्सपेरिमा सिद्धांत (Panspermia Theory) कहा जाता है


इस सिद्धांत जांच की के लिये क्या किया

इस सिद्धांत की जांच करने के लिए शोधकर्ताओं ने डेइनोकोककस रेडियोडूरान्स (Deinococcus radiodurans) नाम के बैक्टीरिया को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर छोड़ा। बाह्य अंतरिक्ष के कठोर वातावरण, तेज पराबैंगनी किरणों और उच्च तापमान बदलाव के बीच ये बैक्टीरिया अलग अलग होकर भी तीन साल तक जिंदा रहे।


क्यों पहले से ही अनुमान था सफलता का

टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फार्मेसी एंड लाइफ साइंसेस के प्रोफेसर और शोध के लेखक आकिहोको यामागिशी ने बताया, “मैं जानता था कि लैब में किए गए विभिन्न प्रयोगों के बाद वह जीवित ही रहेगा, लेकिन जब वह वापस आया तभी मुझे राहत मिली।”


क्या मायने हैं इस अध्ययन के

यह अध्ययन फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। प्रोफेसर आकिहोको ने बताया कि इन नतीजों से जाहिर होता है कि बैक्टीरिया पृथ्वी और मंगल के बीच के ‘मौसम’ को बर्दाश्त कर सकता है। इससे बहुत सारी संभावनाओं का खुलासा भी होता है। उन्होंने कहा, “सब सोचते हैं कि जीवन की शुरुआत पृथ्वी से हुई थी। लेकिन इस पड़ताल से साबित होता है कि दूसरे ग्रह भी हो सकते हैं जहां जीवन की शुरुआत हुई थी।


इस खास इलाके में प्रयोग से मिले मदद

यामागिशी और उनकी टीम अब इन तरह के प्रयोगों को वैन एलन रेडिएशन बेल्ट में करना चाहती है जहां इन बैक्टीरिया को और ज्यादा विपरीत हालातों का सामना करना पड़ेगा। वैन एलन रेडिएशन बेल्ट बहुत ही ऊर्जावान आवेशित कणों का क्षेत्र होता है। ये कण सौर पवनों से पैदा होते हैं और ये ग्रहों की मैग्नेटिक फील्ड अपने आसपास जमा कर लेती है। पृथ्वी की ऐसी दो बेल्ट हैं, लेकिन इनके अलावा और भी ऐसी बेल्ट बन सकती हैं। वैन एलन रेडिएशन बेल्ट पृथ्वी की सतह से 640 से लेकर 58 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं।

वैज्ञानिकों को विश्वास है कि तीन अरब साल पहले मंगल आज के मुकाबले कहीं गर्म ग्रह था और तब वहां नदियां और तालाब रहे होंगे। इन हालातों में सरल सूक्ष्मजीवन होने की बहुत अधिक संभावना होती है।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER