Haridwar Kumbh / नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया, कड़े नियमों को जानकर रह जाएंगे दंग

Zoom News : Apr 14, 2021, 01:53 PM
Haridwar Kumbh: पवित्र गंगा नदी के तट पर हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच महाकुंभ (Haridwar Kumbh) का आयोजन किया गया है। अब तक कुंभ के दो शाही स्नान (Shahi snan) हो चुके हैं। पहला महाशिवरात्रि के मौके पर और दूसरा सोमवती अमावस्या के मौके पर। आज 14 अप्रैल बुधवार को मेष संक्रांति के मौके पर तीसरा शाही स्नान हो रहा है। आपने भी यह देखा होगा कि हर साल कुंभ के दौरान लाखों की संख्या में अखाड़ों के साथ ही नागा साधु (Naga sadhu) भी पहुंचते हैं और सबसे पहले वही शाही स्नान करते हैं। 

जूना अखाड़े में सबसे अधिक नागा साधु

नागा साधुओं का संबंध शैव संप्रदाय से होता है। महाकुंभ (Mahakumbh) के दौरान ही नागा साधु बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। देशभर में 13 अखाड़ें (Akhade) हैं जहां से संन्यासियों को लेकर नागा बनाया जाता है, लेकिन हर किसी के लिए नागा बनना संभव नहीं। नागा साधु बनने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और संन्यासी जीवन जीने की प्रबल इच्छा होनी चाहिए। 13 अखाड़ों में से केवल शैव अखाड़ों (Shaiv Akhade) में ही नागा साधु बनने की दीक्षा दी जाती है और इनमें भी जूना अखाड़े में सबसे अधिक नागा साधु बनते हैं।

कई परीक्षा से गुजरना होता है

नागा साधुओं को सामान्य दुनिया और सामान्य जीवन से हटकर जीवन जीना होता है इसलिए जब भी कोई व्यक्ति नागा बनने के लिए अखाड़े में जाता है तो उसे कई तरह की परीक्षाओं के गुजरना पड़ता है। उस व्यक्ति के ब्रह्मचर्य की जांच की जाती है और एक बार अखाड़े में प्रवेश मिलने के बाद शख्स को जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है और अपने गुरुओं की सेवा करनी होती है। महाकुंभ के दौरान ही नागा साधु बनने वाले व्यक्ति को गंगा में 108 डुबकियां लगवाई जाती हैं और उनके पांच गुरु निर्धारित किए जाते हैं। नागा बनने वाले साधु को भस्म और रुद्राक्ष (Bhasm and rudraksh) की माला दी जाती है। 

ऐसे बनते हैं नागा साधु

अब महापुरुष बन चुके साधु का जनेऊ संस्कार होता है, संन्यासी जीवन जीने की शपथ दिलवाई जाती है और साथ ही इस दौरान नागा बनने के लिए तैयार व्यक्ति को अपना खुद का और अपने परिवार का भी पिंडदान (Pind daan) करवाया जाता है और फिर पूरी रात “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना होता है। अगले दिन उस साधु से विजया हवन करवाया जाता है और फिर से गंगा में 108 डुबकियां लगवाईं जाती हैं। गंगा स्नान के बाद अखाड़े के ध्वज के नीचे दंडी त्याग होता है और इस तरह संपन्न होती है नागा साधु बनने की प्रक्रिया।

इन नियमों का पालन करते हैं नागा साधु

-नागा साधु सिर्फ जमीन पर ही सो सकते हैं, खाट या बिस्तर पर नहीं। 

-नागा साधु दिन में सिर्फ एक ही बार भोजन ग्रहण करते हैं और वो भी भिक्षा मांग कर।

-नागा साधु एक दिन में सिर्फ सात घरों से ही भिक्षा मांग सकते हैं और अगर इस दौरान उन सात घरों से भिक्षा न मिले तो उस दिन उन्हें भूखे ही रहना पड़ता है। 

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