COVID-19 Update / कोरोना मरीजों के चेहरे पर दिख रहे इस लक्षण ने बढ़ाई चिंता, बेहद घातक

जहां देश में कोरोना की दूसरी लहर धीमी पड़ती दिखाई दे रही है, वहीं वैक्सीनेशन की प्रकिया भी अपने चरम पर है। कोविड वैक्सीन को लेकर पहले भी ब्लड क्लॉट जैसे कई साइड इफेक्ट्स देखने को मिले हैं। लेकिन अब और भी ज्यादा चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दरअसल कोविड वैक्सीन लेने के बाद लोगों में बेल पाल्सी यानी फेशियल पैरालिसिस के लक्षण पाए गए हैं।

Vikrant Shekhawat : Jun 27, 2021, 10:11 AM
Delhi: जहां देश में कोरोना की दूसरी लहर धीमी पड़ती दिखाई दे रही है, वहीं वैक्सीनेशन की प्रकिया भी अपने चरम पर है। कोविड वैक्सीन को लेकर पहले भी ब्लड क्लॉट जैसे कई साइड इफेक्ट्स देखने को मिले हैं। लेकिन अब और भी ज्यादा चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दरअसल कोविड वैक्सीन लेने के बाद लोगों में बेल पाल्सी यानी फेशियल पैरालिसिस के लक्षण पाए गए हैं।

हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार, बेल्स पाल्सी को कोविड-19 वैक्सीन के दुर्लभ साइड इफेक्ट के तौर पर दर्ज किया गया है। ये साइड इफेक्ट उन लोगों में ज्यादा कॉमन है जो कोरोना संक्रमण से पीड़ित हुए थे। यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स क्लीवलैंड मेडिकल सेंटर और केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को कोरोना से बचाने के लिए वैक्सीन लगाई गई, उनकी तुलना में कोरोनो वायरस से पीड़ित लोगों में फेशियल पैरालिसिस की संभावना 7 गुना अधिक थी। 37,000 वैक्सीन लेने वालों में से सिर्फ 8 केस बेल पाल्सी के केस पाए गए, जो कि प्रत्येक 1 लाख वैक्सीन लेने वालों में 19 केस ऐसे थे। जबकि प्रति 1 लाख कोविड मरीजों के लिए ये संख्या 82 दर्ज की गई है।

बेल्स पाल्सी एक ऐसी स्थिति है जो अचानक मरीज के चेहरे पर दिखने लगती है। इसमें मरीज को अचानक मांसपेशियों में कमजोरी या पैरालिसिस का अनुभव होता है। इसके कारण उनका आधा चेहरा लटक जाता है। इससे व्यक्ति को बोलने में, आंख बंद करने में दिक्कत महसूस होती है। आमतौर पर ये एक अस्थायी स्थिति है। इसके लक्षणों में कुछ हफ्तों में सुधार आने लगता है। इसके अलावा इस बीमारी के लक्षण छह महीने में पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। बहुत ही छोटी संख्या में मरीजों को लंबे समय तक इसके कुछ लक्षण रह सकते हैं या आगे चलकर जीवन में इसके लक्षण उभर के आ सकते हैं।

हालांकि, इस स्थिति का सटीक कारण अभी ज्ञात नहीं हो पाया है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये शरीर के इम्यून सिस्टम की अधिक प्रतिक्रिया के कारण होता है। इससे चेहर पर सूजन आ जाती है, जो चेहरे की गति को नियंत्रित करने वाली तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है।

जॉन्स हॉपकिन्स के अनुसार बेल्स पाल्सी डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, चोट, लाइम डिजीज और कुछ संक्रमणों के कारण हो सकती है। हर साल ये स्थिति बहुत ही कम लोगों को प्रभावित करती है, जबकि यू।एस। में प्रत्येक 100,000 लोगों में 15 से 30 मामले बेल पाल्सी के दर्ज किए जाते हैं।

हालांकि, हाल ही में, इस स्थिति ने अधिक ध्यान आकर्षित किया है। क्योंकि कोविड वैक्सीन लेने वाले मरीजों में बेल्स पैरालिसिस के बहुत कम मामले सामने आए हैं। एक नए शोध के अनुसार, बेल्स पैरालिसिस, वैक्सीन लेने वाले लोगों की तुलना में कोरोनोवायरस से संक्रमित मरीजों में होने की अधिक संभावना है। 

गुरुवार को जामा ओटोलरींगोलॉजी - हेड एंड नेक सर्जरी में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, टीम ने दुनियाभर के 41 स्वास्थ्य संगठनों से इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड के द्वारा बेल्स पाल्सी के खतरे की जांच की है। इन रिकॉर्ड्स में डॉक्टरों ने जनवरी और दिसंबर 2020 के बीच कोविड से पिड़ित मरीजों की तलाश की। फिर उन लोगों की पहचान की जिनमें कोविड संक्रमण के आठ सप्ताह के अंदर बेल्स पाल्सी के लक्षण दिखाई दिए थे।

कुल मिलाकर 348,000 मरीजों में से, डॉक्टरों ने कोविड मरीजों में 284 बेल्स पाल्सी के केस दर्ज किए हैं। इससे ये कहा जा सकता है कि कोविड मरीजों को बेल्स पाल्सी का खतरा 0।08% है। इन 284 मरीजों में, आधे से थोड़ा ज्यादा (54%) को कोरोनोवायरस होने से पहले बेल्स पाल्सी का कोई खतरा नहीं था। अन्य 46% में ऐसी स्थिति पाई गई है।

डॉक्टरों ने कोविड मरीजों में बेल पाल्सी होने के खतरे की तुलना उन लोगों से की, जो कोविड वैक्सीन ले चुके हैं। Pfizer और  Moderna वैक्सीन के दो परीक्षणों में कुल 74, 000 मरीजों में से 37,000 ने वैक्सीन लगवाई, जिनमें बेल पाल्सी के सिर्फ 8 मामले सामने आए। इनमें से 7 मामले वैक्सीनेटिड मरीजों में पाए गए। इससे ये पता चलता है कि 1 लाख वैक्सीनेटिड लोगों में 19 ऐसे लोग हैं जिनमें बेल पाल्सी के लक्षण दिखाई दिए हैं या ये खतरा 0.02% है।

कोविड मरीजों और वैक्सीन प्राप्तकर्ताओं के बीच बेल पाल्सी के खतरे की तुलना करने के लिए, शोधकर्ताओं ने 64,000 नॉन वैक्सीनेटिड वाले कोविड मरीजों का मिलान उन लोगों से किया जो वैक्सीन लगवा चुके थे। इससे ये पता चला कि कोविड मरीजों को वैक्सीन लेने वालों की तुलना में बेल्स पाल्सी विकसित होने की संभावना 6.8 गुना अधिक थी।

ये नई स्टडी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा पिछले सबूतों का समर्थन करती है। इसके अनुसार कोविड वैक्सीन और बेल्स पाल्सी के बीच कोई महत्वपूर्ण संबंध नहीं है। फिर भी, कुछ वैज्ञानिकों ने तर्क दिया है कि अन्य वैक्सीन जो एमआरएनए का उपयोग नहीं करते हैं की तुलना में Pfizer और  Moderna वैक्सीन में बेल्स पाल्सी का खतरा अधिक हो सकता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार अभी तक ये स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है कि कैसे कोविड या कोविड वैक्सीन, बेल्स पाल्सी का कारण बन सकते हैं। ये निर्धारित करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है कि कोविड बेल्स पाल्सी का कारण कैसे बन सकता है। हालांकि, वर्तमान शोध के अनुसार, मरीज इस अत्यंत दुर्लभ स्थिति की चिंता किए बिना कोविड के खिलाफ वैक्सीन लगवा सकते हैं।