AMAR UJALA : Apr 09, 2020, 10:28 AM
मुंबई: लॉकडाउन के दो हफ्ते बीत चुके हैं। धारावाहिकों और फिल्मों में छोटे मोटे रोल करके अपना परिवार पालने वाली नलिनी (बदला हुआ नाम) के बैंक खाते में पैसे खत्म हो रहे हैं। 7 तारीख को मकान का किराया देना होता है। वह चुकाने के बाद अब उसके पास सिर्फ 400 रुपये हैं। लॉकडाउन कितना लंबा चलेगा पता नहीं। दिहाड़ी मजदूर वह है नहीं कि हाथ बढ़ाकर मदद मांग लें। इतनी बड़ी स्टार भी वह नहीं है कि हफ्ते भर बाद घर कैसे चलेगा, इसकी चिंता न हो। फिल्म जगत के खाए अघाए लोगों से लेकर असहाय मजदूरों के बीच लाखों की उस आबादी का एक चेहरा है नलिनी, जो न कुछ मांग सकती है और न ही किसी से अपना दर्द बयां कर सकती है।शशि कहते हैं, “अपना पैसा मांगने पर हम कलाकारों को जवाब मिलता है कि लॉकडाउन है। दफ्तर बंद है। एकाउंटेंट नही हैं। पर अपना नाम बड़ा करने के लिए यही लोग लाखों, करोड़ों रुपये दान भी कर रहे हैं। हमारे घर में कल चूल्हा जलेगा भी कि नहीं ये देखने वाला कोई नहीं है।”ओशिवारा से लेकर आदर्श नगर, लोखंडवाला, चार बंगला, सात बंगला, यारी रोड, पंच रोड, और आगे आराम नगर से लेकर यारी रोड, वर्सोवा और मंदिर-मस्जिद मोड़ तक हजारों कलाकारों की यही परेशानी है। ये वो कलाकार हैं जो पैसे से तो रईस नहीं है लेकिन अदाकारी के धनी हैं। जब हीरो हीरोइन अपनी दुनिया बसाते हैं तो उनकी दुनिया में रंग इन्हीं कलाकारों को भरना होता। हफ्ते में कभी एक दिन तो कभी दो दिन काम मिलता है, और बाकी महीना इसी मेहनताने पर गुजर जाता है।
हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं: सीमाअभिनेत्री सीमा परी कहती हैं, “हम लोगों का हाल पूछने वाला कोई नहीं है। सिनटा (सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन) मेंबरशिप के 30 हजार रुपये लेती हैं। लाखों कलाकारों से करोड़ों का चंदा इकट्ठा करती है, लेकिन कलाकारों की मदद के लिए कभी आगे नहीं आती। सलमान खान जैसे सितारे दिहाड़ी मजदूरों के लिए पैसे दे रहे हैं। हम कहां जाएं, हमारी तो मेहनत के पैसे भी निर्माता नहीं दे रहे।”लॉकडाउन का किराया माफ हो: जितेंद्र
आम दिनों में संघर्षशील कलाकारों से भरे पूरे रहने वाले इन इलाकों में इन दिनों बस परिंदे ही पर मार रहे हैं। इक्का दुक्का कलाकार जरूरत का सामान खरीदते यहां वहां खुली दुकानों पर दिख जाते हैं, लेकिन ये दुकानदार भी उधारी देने की बजाय नकद सामान बेचने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। जितेंद्र बोहरा कहते हैं, “कम से कम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को ये निर्देश तो देना चाहिए कि मकान मालिक किसी भी किराएदार से लॉकडाउन पीरियड का किराया नहीं लेंगे। जैसे अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में किया है। इतने भर से ही बहुत मदद हो जाएगी।”बकाया भुगतान तुरंत दिया जाए: अरमान
नीलम सिंह इसे थोड़ा विस्तार से समझाती हैं। वह कहती हैं, “’टीवी में काम करने वाले कलाकारों को काम करने के 60 दिन बाद से लेकर 90 दिन बाद मेहनताना मिलता है। अब लॉकडाउन में शूटिंग भी बंद है और पिछला पेमेंट भी। सरकार को कम से कम ये निर्देश तो देना चाहिए कि सारे फिल्म या टीवी निर्माता अपने सारे सहायक कलाकारों का बकाया तुरंत अदा कर दें।” अरमान ताहिल कहते हैं, “हमारा पिछले साल अक्टूबर से पेमेंट अटका है। निर्माता आगे पीछे टरकाते रहते हैं। कभी कहते हैं चैनल से पैसा नहीं आया तो कभी कोई और बहाना।”“जो अटक गए हैं, उन्हें बाहर निकालें”तमाम कलाकारों ने ये भी बताया कि लॉकडाउन के चलते तमाम कलाकार यहां ऐसे भी अटक गए हैं जो सिर्फ महीने में या 15 दिन में एक दो दिन एक्टिंग करने देश के दूसरे शहरों से आते हैं। वे अब अपने घर वापस नहीं लौट पा रहे। उनके भी पैसे खत्म हो रहे हैं। बांगुर नगर में रह रहे अमितोज बताते हैं, “मैं कमर्शियल शूट करने हर दूसरे तीसरे महीने यहां दिल्ली से आता रहता हूं। सरकार को लॉकडाउन में दो चार दिन की छूट देकर ऐसे लोगों को अपने घरों तक जाने की व्यवस्था के बारे में कुछ करना चाहिए जो किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में नहीं आए हैं और जो लॉकडाउन के दौरान अपने घरों से भी बाहर नहीं निकले हैं। बिना किसी काम के यूं अटके रहने से तो हम मानसिक रूप से बीमार हो जाएंगे।”सिनटा ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर
इस बारे में अमर उजाला ने सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन के महासचिव सुशांत सिंह से जब संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि सिनटा अपनी तरफ से जितना संभव हो सकता है कोशिश कर रही है। हम लोगों तक राशन पहुंचाने की भी व्यवस्था कर रहे हैं। अगर सिनटा के किसी सदस्य को तुरंत सहायता की जरूरत है तो वह हेल्पलाइन नंबर 9324432324 पर संपर्क कर सकता है। सिनटा ने अपने जरूरतमंद सदस्यों से एक फॉर्म भी ऑनलाइन भरने के संदेश भेजे हैं, ताकि बाहर से मिलने वाली मदद उनके बीच बांटी जा सके।FWICE को विवरण का इंतज़ार
इस बारे में अमर उजाल ने फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लाईज (एफडब्लूआईसीई) के अध्यक्ष बी एन तिवारी से भी संपर्क किया। फेडरेशन ने ही फिल्म जगत के जरूरतमंदों की मदद के लिए फिल्म निर्माताओं की दो बड़ी संस्थाओं की मदद से कोरोना राहत कोष बनाया है। इस बारे में संगठन के अध्यक्ष का कहना है कि अगर उनके पास जरूरतमंद सहायक कलाकारों की सूची पहुंची तो वह जरूर आर्थिक मदद करेंगे। लेकिन, अभी तक ये लिस्ट सिनटा ने फेडरेशन को भेजी नहीं है।
हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं: सीमाअभिनेत्री सीमा परी कहती हैं, “हम लोगों का हाल पूछने वाला कोई नहीं है। सिनटा (सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन) मेंबरशिप के 30 हजार रुपये लेती हैं। लाखों कलाकारों से करोड़ों का चंदा इकट्ठा करती है, लेकिन कलाकारों की मदद के लिए कभी आगे नहीं आती। सलमान खान जैसे सितारे दिहाड़ी मजदूरों के लिए पैसे दे रहे हैं। हम कहां जाएं, हमारी तो मेहनत के पैसे भी निर्माता नहीं दे रहे।”लॉकडाउन का किराया माफ हो: जितेंद्र
आम दिनों में संघर्षशील कलाकारों से भरे पूरे रहने वाले इन इलाकों में इन दिनों बस परिंदे ही पर मार रहे हैं। इक्का दुक्का कलाकार जरूरत का सामान खरीदते यहां वहां खुली दुकानों पर दिख जाते हैं, लेकिन ये दुकानदार भी उधारी देने की बजाय नकद सामान बेचने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। जितेंद्र बोहरा कहते हैं, “कम से कम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को ये निर्देश तो देना चाहिए कि मकान मालिक किसी भी किराएदार से लॉकडाउन पीरियड का किराया नहीं लेंगे। जैसे अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में किया है। इतने भर से ही बहुत मदद हो जाएगी।”बकाया भुगतान तुरंत दिया जाए: अरमान
नीलम सिंह इसे थोड़ा विस्तार से समझाती हैं। वह कहती हैं, “’टीवी में काम करने वाले कलाकारों को काम करने के 60 दिन बाद से लेकर 90 दिन बाद मेहनताना मिलता है। अब लॉकडाउन में शूटिंग भी बंद है और पिछला पेमेंट भी। सरकार को कम से कम ये निर्देश तो देना चाहिए कि सारे फिल्म या टीवी निर्माता अपने सारे सहायक कलाकारों का बकाया तुरंत अदा कर दें।” अरमान ताहिल कहते हैं, “हमारा पिछले साल अक्टूबर से पेमेंट अटका है। निर्माता आगे पीछे टरकाते रहते हैं। कभी कहते हैं चैनल से पैसा नहीं आया तो कभी कोई और बहाना।”“जो अटक गए हैं, उन्हें बाहर निकालें”तमाम कलाकारों ने ये भी बताया कि लॉकडाउन के चलते तमाम कलाकार यहां ऐसे भी अटक गए हैं जो सिर्फ महीने में या 15 दिन में एक दो दिन एक्टिंग करने देश के दूसरे शहरों से आते हैं। वे अब अपने घर वापस नहीं लौट पा रहे। उनके भी पैसे खत्म हो रहे हैं। बांगुर नगर में रह रहे अमितोज बताते हैं, “मैं कमर्शियल शूट करने हर दूसरे तीसरे महीने यहां दिल्ली से आता रहता हूं। सरकार को लॉकडाउन में दो चार दिन की छूट देकर ऐसे लोगों को अपने घरों तक जाने की व्यवस्था के बारे में कुछ करना चाहिए जो किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में नहीं आए हैं और जो लॉकडाउन के दौरान अपने घरों से भी बाहर नहीं निकले हैं। बिना किसी काम के यूं अटके रहने से तो हम मानसिक रूप से बीमार हो जाएंगे।”सिनटा ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर
इस बारे में अमर उजाला ने सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन के महासचिव सुशांत सिंह से जब संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि सिनटा अपनी तरफ से जितना संभव हो सकता है कोशिश कर रही है। हम लोगों तक राशन पहुंचाने की भी व्यवस्था कर रहे हैं। अगर सिनटा के किसी सदस्य को तुरंत सहायता की जरूरत है तो वह हेल्पलाइन नंबर 9324432324 पर संपर्क कर सकता है। सिनटा ने अपने जरूरतमंद सदस्यों से एक फॉर्म भी ऑनलाइन भरने के संदेश भेजे हैं, ताकि बाहर से मिलने वाली मदद उनके बीच बांटी जा सके।FWICE को विवरण का इंतज़ार
इस बारे में अमर उजाल ने फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लाईज (एफडब्लूआईसीई) के अध्यक्ष बी एन तिवारी से भी संपर्क किया। फेडरेशन ने ही फिल्म जगत के जरूरतमंदों की मदद के लिए फिल्म निर्माताओं की दो बड़ी संस्थाओं की मदद से कोरोना राहत कोष बनाया है। इस बारे में संगठन के अध्यक्ष का कहना है कि अगर उनके पास जरूरतमंद सहायक कलाकारों की सूची पहुंची तो वह जरूर आर्थिक मदद करेंगे। लेकिन, अभी तक ये लिस्ट सिनटा ने फेडरेशन को भेजी नहीं है।