देश / देर रात तक जगने वालों में इस बीमारी का खतरा ज्यादा, सुधार लें ये आदत

AajTak : Jul 08, 2020, 08:48 AM
Delhi: ज्यादातर युवाओं को रात में देर से सोने और सुबह देर से उठने की आदत होती है। लेकिन हाल ही में हुए एक रिसर्च से पता चला है कि जिन युवाओं में ये आदत होती है उनमें से ज्यादातर लोगों को अस्थमा और एलर्जी की शिकायत होती है। आमतौर पर अस्थमा के लक्षणों को शरीर की आंतरिक गतिविधियों से जोड़ा जाता है लेकिन ERJ Open Research पब्लिकेशन में प्रकाशित इस स्टडी से पता चलता है कि सोने-उठने की आदत भी अस्थमा के खतरे को बढ़ाती है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, ये स्टडी किशोरों के लिए नींद के समय का महत्व बताती है। इसके अलावा इस स्टडी से पता चलता है कि सोने की खराब आदत किस तरह किशोरों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है।

कनाडा के अल्बर्टा विश्वविद्यालय के  सुभब्रत मोइत्रा ने कहा, 'नींद' और 'स्लीप हार्मोन' मेलाटोनिन को अस्थमा से जोड़कर भी देखा जाता है। इसलिए हम जानना चाहते थे कि किशोरों के देर से सोने या जल्दी सोने की आदत में अस्थमा का कितना खतरा है।'

ये स्टडी भारत के पश्चिम बंगाल के 13-14 वर्ष की आयु के 1,684 किशोरों पर की गई। इन्होंने एलर्जी संबंधी बीमारियों के प्रसार और जोखिम से संबधित शोध में भाग लिया था।

इस शोध में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागी से कई सवाल पूछ गए। जैसे क्या उन्हें किसी भी तरह की सांस संबंधी दिक्कत, अस्थमा या एलर्जी रायनाइटिस जैसे कि बहती नाक और छींक की समस्या है।

इस शोध में हिस्सा लेने वाले किशोरों से और भी कई तरह के सवाल पूछ गए जैसे कि उन्हें शाम पसंद है या सुबह या फिर कोई बीच का समय, वो शाम या रात में किस समय थका हुआ महसूस करते हैं, उन्हें सुबह कब उठना पसंद है और उन्हें सुबह कितनी थकान महसूस होती है।

शोधकर्ताओं ने किशोरों के बताए लक्षणों की तुलना उनकी नींद की आदतों से की। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने उन बातों पर भी गौर किया जो अस्थमा और एलर्जी के प्रभावों के लिए जाने जाते हैं, जैसे कि ये प्रतिभागी कहां रहते हैं और क्या उनके परिवार के सदस्य धूम्रपान करते हैं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि जल्दी सोने वालों की तुलना में देर से सोने वाले किशोरों में अस्थमा होने की संभावना तीन गुना अधिक थी। इतना ही नहीं जल्दी सोने वालों की तुलना में देर से सोने वाले किशोरों में एलर्जी रायनाइटिस का खतरा दोगुना था।

सुभब्रत मोइत्रा ने कहा, 'हमारे शोध के परिणाम बताते हैं कि सोने के पसंदीदा समय और किशोरों में अस्थमा और एलर्जी के बीच एक संबंध है।'

उन्होंने कहा, 'हालांकि हम निश्चित तौर पर नहीं कह सकते कि देर से सोना अस्थमा का कारण बन रहा है, लेकिन हम जानते हैं कि स्लीप हार्मोन मेलाटोनिन अक्सर देर से सोने वालों पर असर डालता है जिसकी वजह से किशोरों की एलर्जी रिस्पॉन्स प्रभावित हो जाती है।'

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