News18 : Jul 07, 2020, 05:13 PM
वाशिंगटन। साउथ डकोटा (South Dakota) की गवर्नर क्रिस्टी नोइम (Kristi Noem) भी कोरोना वायरस (Coronavirus) की चपेट में आ गयीं हैं। मिली जानकारी के मुताबिक क्रिस्टी ने शुक्रवार की रात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के साथ एयरफोर्स वन में भी सफ़र किया था। क्रिस्टी ने ट्रंप के बेटे की उस दोस्त से भी मुलाक़ात की थी जो बाद में संक्रमित पाई गयी थी। बता दें कि क्रिस्टी चुनाव प्रचार के दौरान कई बार ट्रंप के साथ बिना मास्क के बातचीत करती नज़र आयीं थीं।
ट्रंप पूरे वक्त उस स्थिति में रहे जहां उन्हें बीमार नजर नहीं आने वाले व्यक्ति से वायरस फैल सकता था जैसे कि नोइम, जिन्होंने डोनाल्ड ट्रंप जूनियर की महिला मित्र किम्बर्ली गिलफोयल के साथ चंदा जुटाने के एक कार्यक्रम के दौरान करीब से बातचीत की थी। नोइम की प्रवक्ता मैगी सीडल के मुताबिक नोइम ने विमान में मास्क नहीं पहना हुआ था और वह राष्ट्रपति से बातचीत करती रहीं थीं। नोइम शुक्रवार को साउथ डकोटा में शुक्रवार को ट्रंप का स्वागत करने से पहले कोविड-19 की जांच में नेगेटिव पाईं गईं थी। इससे एक दिन पहले उन्होंने गिलफोयल से बातचीत की थी।सोशल मीडिया पर एक तस्वीर में नोइम और गिलफोयल एक-दूसरे से गले मिलते नजर आ रही हैं। ट्रंप अभियान ने घोषणा की कि गिलफोयल शुक्रवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाईं गईं। सीडल ने कहा कि नोइम फिर से जांच कराने के बारे में नहीं सोच रही हैं। उन्होंने एयर फोर्स वन में सफर करने के नोइम के फैसले को इस बात का उदाहरण बताया कि वायरस के साथ कैसे जिया जाता है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन की उस टिप्पणी का भी हवाला दिया कि बिना लक्षण वाले लोगों से वायरस का प्रसार 'दुर्लभ' है।ट्रंप को झटकाउधर अमेरिका में एक संघीय अपीली अदालत ने अमेरिका से पहले सुरक्षा की मांग किए गए बगैर यहां शरण की तलाश में दूसरे देशों से गुजर कर आ रहे लोगों को शरण देने से इनकार करने वाले महत्वपूर्ण कानून की राह में रोड़ा अटका दिया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन को एक सप्ताह में इस कानून के संबंध में दूसरा झटका लगा है। नौवें अमेरिका सर्किट अपीली अदालत के फैसले का इस पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से नियुक्त एक न्यायाधीश ने पिछले सप्ताह वाशिंगटन में इस कानून को जमीनी प्रक्रिया के आधार पर रोक दिया था। सैन फ्रांसिस्को में तीन न्यायाधीशों वाले अपीली पैनल ने पाया कि इसमें प्रक्रियात्मक गड़बड़ियां समेत मुकदमे के जारी रहने तक इस पर रोक लगाने के पर्याप्त वजह हैं। पैनल का कहना है इस नीति में शरण तलाश करने वाले लोगों को असुरक्षित देशों में भेजे जाने से रोकने के लिए 'वर्चुअली कुछ भी नहीं है।' अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करता भी है तब भी अगले साल जनवरी से पहले इस पर सुनवाई होने की संभावना नहीं है।
ट्रंप पूरे वक्त उस स्थिति में रहे जहां उन्हें बीमार नजर नहीं आने वाले व्यक्ति से वायरस फैल सकता था जैसे कि नोइम, जिन्होंने डोनाल्ड ट्रंप जूनियर की महिला मित्र किम्बर्ली गिलफोयल के साथ चंदा जुटाने के एक कार्यक्रम के दौरान करीब से बातचीत की थी। नोइम की प्रवक्ता मैगी सीडल के मुताबिक नोइम ने विमान में मास्क नहीं पहना हुआ था और वह राष्ट्रपति से बातचीत करती रहीं थीं। नोइम शुक्रवार को साउथ डकोटा में शुक्रवार को ट्रंप का स्वागत करने से पहले कोविड-19 की जांच में नेगेटिव पाईं गईं थी। इससे एक दिन पहले उन्होंने गिलफोयल से बातचीत की थी।सोशल मीडिया पर एक तस्वीर में नोइम और गिलफोयल एक-दूसरे से गले मिलते नजर आ रही हैं। ट्रंप अभियान ने घोषणा की कि गिलफोयल शुक्रवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाईं गईं। सीडल ने कहा कि नोइम फिर से जांच कराने के बारे में नहीं सोच रही हैं। उन्होंने एयर फोर्स वन में सफर करने के नोइम के फैसले को इस बात का उदाहरण बताया कि वायरस के साथ कैसे जिया जाता है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन की उस टिप्पणी का भी हवाला दिया कि बिना लक्षण वाले लोगों से वायरस का प्रसार 'दुर्लभ' है।ट्रंप को झटकाउधर अमेरिका में एक संघीय अपीली अदालत ने अमेरिका से पहले सुरक्षा की मांग किए गए बगैर यहां शरण की तलाश में दूसरे देशों से गुजर कर आ रहे लोगों को शरण देने से इनकार करने वाले महत्वपूर्ण कानून की राह में रोड़ा अटका दिया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन को एक सप्ताह में इस कानून के संबंध में दूसरा झटका लगा है। नौवें अमेरिका सर्किट अपीली अदालत के फैसले का इस पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से नियुक्त एक न्यायाधीश ने पिछले सप्ताह वाशिंगटन में इस कानून को जमीनी प्रक्रिया के आधार पर रोक दिया था। सैन फ्रांसिस्को में तीन न्यायाधीशों वाले अपीली पैनल ने पाया कि इसमें प्रक्रियात्मक गड़बड़ियां समेत मुकदमे के जारी रहने तक इस पर रोक लगाने के पर्याप्त वजह हैं। पैनल का कहना है इस नीति में शरण तलाश करने वाले लोगों को असुरक्षित देशों में भेजे जाने से रोकने के लिए 'वर्चुअली कुछ भी नहीं है।' अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करता भी है तब भी अगले साल जनवरी से पहले इस पर सुनवाई होने की संभावना नहीं है।