देश / रिजर्व बैंक से तिगुना सोना है मंदिरों के पास, कोरोना से निपटने के लिए काफी होगा इतना सोना?

News18 : May 26, 2020, 09:53 AM
दिल्ली: कोरोना (corona) को लेकर कुछ समय पहले महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण (Prithviraj Chavan) के एक ट्वीट ने तहलका मचा दिया था। पूर्व सीएम ने सलाह दी थी कि सरकार फिलहाल मंदिरों में जमा सोना ले सकती है ताकि इमरजेंसी से निपटा जा सके। इसके बाद ये बात भी उठी कि वक्फ बोर्ड और कैथोलिक संस्थाओं के पास जमा पैसों और सोने का भी इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाए। फिलहाल किसी भी धार्मिक संस्था को लेकर सरकार ने कुछ नहीं कहा है। हालांकि ये जानना दिलचस्प है कि भारत के मंदिरों के पास दान से आया कितना सोना है।

साल 2019 में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास 626 टन के आसपास का गोल्ड रिजर्व है। वहीं मंदिरों के पास 2000 टन के आसपास सोना है। और अगर मंदिरों और निजी संपत्ति को देखा जाए तो देश के पास 22से 25 हजार टन सोना है। वैसे मंदिरों के सोने के बारे में अलग-अलग राय है। कुछ अनुमानों के मुताबिक ये 3 से 4000 टन तक भी हो सकता है। यानी किसी भी हाल में ये भारतीय रिजर्व बैंक से तिगुना तो है ही।

मंदिरों में हर साल आस्तिक चढ़ावे में दूसरी चीजों के अलावा सोना भी चढ़ाते हैं। साथ ही निजी जरूरतों के लिए भी वे सोना खरीदते हैं। सोने की इसी आपूर्ति के लिए सरकार को हर साल दूसरे देशों से गोल्ड इंपोर्ट करना होता है। जैसे देश में पिछले कुछ सालों से लगभग 750 टन सोने का आयात किया जा रहा है। अब माना जा रहा है कि धर्मिक ट्रस्टों के सोने को अगर इस इस्तेमाल में लाया जाए तो हमें बाहर से सोना खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी और देश का पैसा कहीं बाहर नहीं जाएगा।

किस तरह से हो सकता है ट्रस्ट के सोने का इस्तेमाल

ये गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत हो सकता है। इसमें ट्रस्ट अपना सोना अगर बैंकों को देते हैं तो इसे पिघलाकर आभूषण का काम करने वाले बिजनेस को दिया जाएगा। यहीं से ये सोना लोगों की निजी जरूरत पूरी करेगा। मंदिरों को इसके बदले में पैसे मिलेंगे।

पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार साल 2015 में गोल्ड मोनेटाइजेशन की स्कीम लेकर आई थी। इसका मकसद यही था कि घरों में जमा हजारों टन सोना और साथ ही धार्मिक ट्रस्टों में पड़े सोने का सही इस्तेमाल हो सके। तब पीएम ने कहा भी था पड़ा हुआ सोना डेड मनी है। उसे बैंकों को देकर ब्याज लें। इसके बाद कुछ मंदिर आगे भी आए। जैसे तिरुपति मंदिर के न्यास तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ने पंजाब नेशनल बैंक में लगभग 1।3 टन सोना जमा किया। कई और बैकों में भी सोना जमा कराया गया। मुंबई का श्रीसिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट भी आगे आया। हालांकि अधिकतर मंदिर इसके लिए आगे नहीं आए।

सोना बैंकों में जमा होने के बाद एक निश्चित अवधि के बाद उसे वापस भी मिलता है। हालांकि ये तय नहीं होता है कि सोना उसे उसी गहने या जमा कराए सोने के रूप में ही मिलेगा या फिर बदले हुए फॉर्म में।

दूसरे धर्मों के पास भी है संपत्ति

मंदिरों के पास सोने का मोटा-मोटी आंकड़ा तो मिल पाता है लेकिन दूसरे धर्मों के ट्रस्ट के पास संपत्ति का कोई खास ब्यौरा नहीं मिलता। हालांकि इतना तय है कि सभी धार्मिक संस्थानों के पास चढ़ावे में भारी पैसे आते हैं। अब कोरोना काल में जबकि अस्पतालों को जरूरत है, लोगों की नौकरियां जा रही हैं, ऐसे में सोशल मीडिया पर बहस हो रही है कि उनकी संपत्ति अगर सरकारी इस्तेमाल में लाई जा सके तो हालात काफी सुधर सकेंगे।

वैसे बता दें कि सोने के भंडार वाले टॉप-10 देशों की लिस्ट में भारत भी शामिल है। लिस्ट में अमेरिका, जापान और रूस जैसे देशों के साथ भारत का नाम है। इसमें सबसे ऊपर अमेरिका है, जिसके बाद क्रमशः जर्मनी, इटली, फ्रांस, रूस, चीन, स्विटजरलैंड, जापान, भारत और फिर नीदरलैंड है। ये आंकड़े वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने जून 2019 में जारी किए थे।

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