AajTak : Apr 07, 2020, 09:05 AM
Coronavirus: कोरोना वायरस के कहर का शिकार हो रहे अमेरिका ने मुश्किल वक्त में भारत से मदद मांगी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बीते दिनों फोन पर बात की और कोरोना वायरस पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने एक दवाई की सप्लाई फिर शुरू करने को कहा था, लेकिन अब दो दिन के बाद ट्रंप ने कहा है कि अगर भारत ये मदद नहीं करता तो फिर उसका करारा जवाब दिया जाता।मंगलवार को व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘रविवार की सुबह मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी, मैंने उनसे कहा था कि अगर आप हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की सप्लाई को शुरू करते हैं, तो काफी अच्छा होगा। लेकिन अगर वो ऐसा नहीं करते तो कुछ नहीं होता, तो उसका करारा जवाब दिया जाता। आखिर कड़ा जवाब क्यों नहीं दिया जाएगा?’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भी डोनाल्ड ट्रंप को इस दवा के लिए आश्वासन दिया गया था। इस बातचीत के बाद भारत सरकार ने 12 एक्टिव फार्माटिकल इनग्रीडियंट्स के निर्यात पर लगी रोक को हटा दिया है, जिसके बारे में जानकारी साझा की गई।दो दिन में बदले ट्रंप के तेवर?गौरतलब है कि रविवार को जब डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की बातचीत हुई थी, तब ट्रंप ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ मिलने पर आभार जताया था। व्हाइट हाउस में उन्होंने बयान दिया था कि अगर भारत दवाई की सप्लाई करता है, तो वह काफी अच्छा होगा, हम उनका धन्यवाद करते हैं। लेकिन अब दो दिन के अंदर ही ट्रंप पूरी तरह से बदल गए और धमकी देने के अंदाज में आ गए।क्यों जरूरी है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन?आपको बता दें कि एक रिसर्च में सामने आया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाई कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार है। और ये दवाई दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में ही बनाई जाती है, लेकिन भारत में बढ़ते कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी।भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उत्पादन करती हैं। मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बेहद कारगर दवा है। भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं, इसलिए भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर इसका उत्पादन करती हैं।चीन से निकले कोरोना वायरस का कहर धीरे-धीरे दुनियाभर पर छा गया, जिसमें अमेरिका इसका सबसे बड़ा शिकार हुआ। अमेरिका में साढ़े तीन लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस की चपेट में हैं, जबकि 10 हजार से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हालात इतने खराब हैं कि अमेरिका में वेंटिलेटर्स और अस्पतालों में बेड की कमी है।