अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इजराइल की संसद (नेसेट) में संबोधन के दौरान उस समय हंगामा हो गया, जब दो अरब-इजराइली सांसदों ने उनका विरोध किया। हदश-ताअल पार्टी के अध्यक्ष एमान ओदेह और सांसद ओफर कासिफ ने ट्रंप के सामने 'नरसंहार' का संकेत और 'फिलीस्तीन को मान्यता दो' लिखी तख्तियां दिखाईं। जैसे ही वे ट्रंप की ओर बढ़ने लगे, सुरक्षा बलों ने उन्हें तुरंत संसद से बाहर कर दिया। इस घटना पर ट्रंप ने शांत रहते हुए कहा कि यह "कारगर तरीका" है और अपना भाषण जारी रखा।
नेतन्याहू की तारीफ और शांति का आह्वान
ट्रंप ने अपने भाषण में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की "बहादुरी और देशभक्ति" की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू की मदद से ही यह दिन संभव हो पाया है। ट्रंप ने नेतन्याहू को खड़ा होने के लिए कहा और टिप्पणी की, "यह आदमी आसान नहीं है, लेकिन यही उसे महान बनाता है। " अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन अरब और मुस्लिम देशों का भी आभार। व्यक्त किया जिन्होंने हमास पर बंधकों को छोड़ने के लिए दबाव डाला। उन्होंने इसे इजराइल के लिए एक बड़ी जीत बताया और कहा कि यह वह समय है जब सब कुछ बदलना शुरू होगा, जो इजराइल और मध्य पूर्व के लिए एक "सुनहरा समय" होगा।
नेतन्याहू का संबोधन और इजराइल की ताकत
ट्रंप से पहले, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपना संबोधन दिया और उन्होंने 7 अक्टूबर के हमले में मारे गए सैनिकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और कहा कि इजराइल इन बहादुर सैनिकों की वजह से आगे बढ़ेगा और शांति प्राप्त करेगा। नेतन्याहू ने जोर देकर कहा कि इजराइल के दुश्मन अब उसकी ताकत और दृढ़ता को समझ गए हैं और उन्होंने लड़ाई में अपने दोनों पैर और एक हाथ गंवाने वाले सैनिक एरी स्पिट्ज का उदाहरण दिया, जिसे देखकर ट्रंप ने खड़े होकर अभिवादन किया। नेतन्याहू ने वादा किया कि इजराइल कभी भी दुश्मनों के सामने कमजोर नहीं होगा और 7 अक्टूबर की घटना एक "बड़ी गलती" थी। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि यह ताकत ही शांति की असली वजह है।