Russia Ukraine War / अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने भारत की प्रतिक्रिया को बताया कमजोर, क्वाड साझेदारों को लेकर कही यह बात

Zoom News : Mar 22, 2022, 09:25 AM
रूस-यूक्रेन जंग को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत की प्रतिक्रिया को कमजोर करार दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के बाकी साझेदारों की तुलना में भारत का जवाब अस्थिर है। 

सोमवार को वाशिंगटन में अमेरिकी बिजनेस लीडर्स को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति बाइडन ने यह बात कही। उन्होंने क्वाड साझेदार देशों का जिक्र करते हुए कहा, 'पुतिन की आक्रामकता से निपटने में भारत अपवाद स्वरूप कुछ कमजोर रहा, लेकिन जापान बेहद सख्त रहा है, इसी तरह ऑस्ट्रेलिया भी कठोर है।' 

भारत ने हर मंच से शांति वार्ता का आग्रह किया

राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि भारत की प्राथमिकता अपने नागरिकों की सुरक्षा और युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीयों की निकासी रही। हालंकि हर मंच से भारत ने रूस-यूक्रेन जंग के समाधान के लिए बार-बार शांति वार्ता का आह्वान किया।  

भारत ने रूस पर कोई पाबंदी नहीं लगाई

बाइडन ने यह भी कहा कि क्वाड के अन्य साझेदारों-आस्ट्रेलिया, जापान व अमेरिका की तरह भारत ने रूस पर कोई पाबंदी नहीं लगाई। उसने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर भी मतदान करने से इनकार कर दिया। 

बाइडन ने नाटो, योरपीय संघ व अन्य मित्रों की तारीफ की

क्वाड के बाद नाटो का जिक्र करते हुए बाइडन ने अमेरिका के नेतृत्व वाले इस उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (Nato), योरपीय संघ, एशिया के अपने प्रमुख साझेदारों की तारीफ की, जिन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ साझा मोर्चा बनाया। रूस पर लगाई गई पाबंदियों में रूस की मुद्रा को पंगु बनाने, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और उच्च तकनीक वाले सामानों तक रूस की पहुंच को कमजोर करने के उद्देश्य से अभूतपूर्व प्रतिबंध शामिल हैं।

बाइडन ने कहा कि नाटो आज जितना मजबूत है, उतना पहले कभी नहीं रहा। नाटो व प्रशांत क्षेत्र में एक संयुक्त मोर्चा है। पुतिन नाटो को विभाजित करने के अपने मंसूबे को पूरा करने में सक्षम नहीं हुए।

रूस से तेल आयात की आलोचना पर भारत ने यह कहा

भारतीय तेल रिफाइनरियों द्वारा रूस से घटी दरों पर तेल आयात को लेकर हो रही आलोचना का भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट जवाब दिया है। कहा जा रहा है कि अमेरिका नीत पश्चिम देश जहां रूस पर पाबंदियां लगा रहे हैं, वहीं भारत तेल आयात कर उसकी मदद कर रहा है। भारतीय अधिकारियों ने इस पर कहा कि भारत विश्व में तेल का तीसरा सबसे बड़ा खपतकर्ता देश है। उसकी 85 फीसदी तेल जरूरत आयात से पूरी होती है। इसमें रूस से आयात मामूली 1 फीसदी से भी कम है।

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