विश्व / तेल संयंत्रों में हमले की वजह से अपने सैनिक सऊदी अरब भेजेगा अमेरिका

News18 : Sep 21, 2019, 01:17 PM
वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति (US President) डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने शुक्रवार को सऊदी अरब (Saudi Arabia) की सबसे बड़ी तेल कंपनी पर हुए बड़े हमले के बाद सऊदी के लिए अमेरिकी सैनिकों को भेजने की मंजूरी दे दी है. इस बड़े हमले के पीछे अमेरिका ने ईरान (Iran) को आरोपित किया है. अमेरिकी सेना ने कहा कि तैनाती में औसत संख्या में ही सैनिक शामिल होंगे, हजारों की संख्या में नहीं. मुख्य रूप से इसका उद्येश बाहरी हमलों को रोकने का है. इसमें सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात दोनों को सैन्य उपकरणों की डिलीवरी में तेजी लाने की योजना है.

सऊदी के अनुरोध पर ट्रंप ने अमेरिकी सेना की तैनाती को मंजूरी दी

संमाचर एजेंसी रॉयटर्स ने पहले बताया है कि पेंटागन एंटी-मिसाइल बैटरी, ड्रोन और ज्यादा से ज्यादा फाइटर जेट भेजने पर विचार कर रहा था. अमेरिका इस क्षेत्र में एक विमानवाहक पोत को अनिश्चित काल के लिए रखने पर भी विचार कर रहा है. अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एरिज़ोना ने एक समाचार ब्रीफिंग में कहा, "सऊदी के अनुरोध पर राष्ट्रपति ने अमेरिकी सेना की तैनाती को मंजूरी दे दी है, जो बाहरी हमलों से रक्षा के लिए होगी और मुख्य रूप से हवाई और मिसाइल रक्षा पर केंद्रित होगी." आगे उन्होंने कहा, "हम बचाव की क्षमता बढ़ाने के लिए सऊदी अरब और यूएई के राज्य को सैन्य उपकरणों की डिलीवरी में तेजी लाने के लिए भी काम करेंगे."

ट्रंप ने शुक्रवार को पहले कहा कि उनके सैन्य संयम ने उनकी ताकत का पता चलता है, उन्होंने इस हमले पर सबक सिखाने के लिए इरान पर पहले से भी ज्यादा आर्थिक प्रतिबंधों लगाया है. लेकिन अमेरिकी सैनिकों की तैनाती ईरान को और ज्यादा उग्र कर सकती है, जिसने इस साल अमेरिकी सेना की पिछली तैनाती का जवाब दिया है. हलांकि, ये सऊदी अरब पर हमले की जिम्मेदारी से इनकार करता है. सऊदी अरब के नेतृत्व वाले अरब सैन्य गठबंधन यमन में हूती विद्रोहियों के साथ युद्ध में है. हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन प्राप्त है. सऊदी के तेल कंपनी पर हुए हमलों की जिम्मेदारी ली है.

क्या हमले ईरान से हुए थे?

सऊदी अरब (Saudi Arabia) स्थित दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी आरामको (ARAMCO) के दो संयंत्रों पर ड्रोन अटैक होने के बाद खाड़ी के देशों में तनाव का माहौल बना हुआ है. हूती विद्रोहियों ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. हूती विद्रोहियों ने दावा किया था कि इस हमले के लिए आरामको के साइट पर दस से ज्यादा ड्रोन भेजे गए थे. इस मामले में अब तक दावा किया गया था कि ये हमला हूती विद्रोहियों ने यमन (Yemen) की जमीन से किया था. हालांकि अब इसे लेकर नए दावा सामने आए हैं कि ड्रोन इराक या ईरान की जमीन से भेजे गए थे.

अमेरिकी रिटायर्ड कर्नल सेड्रिक लीगटन के हवाले से सीएनएन ने बताया, 'ये काफी सोचा-समझा हमला है, जिसे रणनीतिक उद्येशों से अंजाम दिया गया है. इस हमले को इस साजिश के तहत अंजाम दिया गया कि इसके ड्रोन सऊदी के रडार की पकड़ में न आ सके. काफी अहम केंद्रों को टार्गेट किया गया है. इस तरह के हमले को कोई सरकार ही अंजाम दे सकती है न कि कोई विद्रोही गुट. इन बातों का सीधा मतलब है कि ये ड्रोन या तो ईरान से भेजे गए थे या फिर इराक से.'

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