ब्लैक फंगस / उत्तराखंड सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया

Zoom News : May 23, 2021, 10:08 AM
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस का कहर अभी खत्म नहीं हुआ. रोजाना बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. इसी बीच ब्लैक फंगस ने भी दस्तक दे दी है. धीरे-धीरे इसका खौफ भी बढ़ता जा रहा है. ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को इसे महामारी घोषित करने को कहा है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने इसे महामारी घोषित कर दिया है. इसके पहले भी कई राज्य इसे महामारी घोषित कर चुके हैं. राज्यों में इससे संबंधित गाइडलाइन भी जारी कर दी गई है. 

ICMR की गाइडलाइन का करना होता है पालन

आपको बता दें कि भारत में अभी तक करीब 9 हजार ब्लैक फंगस के मामले आ चुके हैं. ब्लैक फंगस संक्रमण के मामले में मरीज के मौत की आशंका बढ़ जाती है. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार स्टेट में महामारी घोषित होने के बाद राज्य के सीमा क्षेत्र के भीतर सभी प्राइवेट और सरकारी हॉस्पिटल को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिसर (ICMR) की गाइडलाइन के मुताबिक संक्रमण की जांच करनी होती है. स्वास्थ्य मंत्रालय के जॉइंट सेकेट्री लव अग्रवाल ने भी सभी राज्यों को पत्र जारी किया है. जिसके मुताबिक सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को ब्लैक फंगस की स्क्रीनिंग, डायग्नोसिस और मैनेजमेंट की गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य है. 

क्या होती है महामारी? 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार जब कोई बीमारी संक्रमण के जरिये बड़ी संख्या को प्रभाव‍ित करती है और फिर इसका प्रकोप अधिक बढ़ जाता है तो इसे महामारी (epidemic) घोष‍ित कर दिया जाता है. किसी बीमारी के महामारी होने की घोषणा उसके कारण होने वाली मौतों, इंफेक्शन और पीड़ितों की संख्या पर भी निर्भर करती है. कोरोना संक्रमण से पहले भी चेचक, हैजा, प्लैग जैसी बीमारियां महामारी के रूप में घोषित की जा चुकी हैं. महामारी घोषित होने के बाद देश के सभी राज्य पूरी तरह से अलर्ट मोड पर आ जाते हैं. इसकी रोकथाम के प्रयास में तेजी आ जाती है. महामारी घोषित करने का फैसला विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को लेना होता है. बता दें कि मार्च 2020 में कोरोना को महामारी घोषित किया है. 

1897 में बना था महामारी एक्ट 

जब कोई बीमारी महामारी घोषित होती है, तो इसका मतलब होता है कि यह बीमारी पूरे विश्व के लिए बड़ा खतरा बन सकती है. हर देश के स्वास्थ्य महकमे को इससे संबंधित सारी तैयारियां करनी पड़ती हैं. आपको बता दें कि 1897 में जब अंग्रेजी शासन था, तब महामारी एक्ट बनाया गया था. इस कानून के तहत बीमारियों के फैलने पर रोक लगाना और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना प्रमुख काम होता है. महामारी घोषित होने के बाद महामारी एक्ट के नियमों का सभी राज्यों को पालन करना होता है. अगर कोई राज्य इसके नियमों को नहीं मानता है तो इस एक्ट के तहत उसे दंड देने का भी प्रावधान है. 

होते हैं ये बदलाव 

इस एक्ट के तहत ट्रेन, बस या अन्य संसाधनों से यात्रा करने वाले लोगों की निगरानी की जाती है. संक्रमित व्यक्ति को हॉस्पिटल या अस्थाई आवास में रखवाने की प्रशासन की जिम्मेदारी होती है. वहीं, महामारी एक्ट अधिनियम के निर्देशों की अवहेलना करने पर  इसे अपराध माना जाएगा. साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC, 1860) की धारा 188 के तहत संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है.  

इसके साथ ही सरकार द्वारा टीके और दवाओं के डिस्ट्रीब्यूशन के साथ स्वास्थ्य व्यवस्था किए जाने का प्रावधान है. संबधित महामारी के दौरान जिले के सभी प्राइवेट और सरकारी हॉस्पिटलों को पूरी जानकारी जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को देनी होगी.

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