नई दिल्ली / विराट-शास्त्री को क्रिकेटरों की पत्नियों का शेड्यूल बनाने का जिम्मा, BCCI-लोढ़ा हैरत में

AajTak : Jul 19, 2019, 07:21 PM
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री से विदेश दौरों के दौरान टीम के सदस्यों की पत्नियों और प्रेमिकाओं की यात्राओं को लेकर ब्योरा देने का कहा गया है.

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का कामकाज देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री से आगामी विदेश दौरों के दौरान टीम के सदस्यों की पत्नियों और प्रेमिकाओं (WAGs) की यात्राओं की जानकारी देने को कहा है.

दरअसल, विदेश दौरे पर खेलने वाली टीम के सदस्यों की पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स को यात्रा की अनुमति देने या अस्वीकृत करने की शक्ति अब मुख्य कोच और कप्तान के हाथों में है. ऐसा पहली बार है, जब यह अधिकार कोच और कप्तान को हस्तांतरित किया गया. पहले यह तय करना बीसीसीआई प्रबंधन के हाथ में था.

सीओए के इस फैसले से न केवल बीसीसीआई के अधिकारी हैरान हैं, बल्कि लोढ़ा पैनल भी आश्चर्यचकित है. पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने आईएएनएस से कहा कि अब इस मामले में बोर्ड के लोकपाल डीके जैन को ही कोई फैसला लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोकपाल को अब लोढ़ा पैनल के प्रस्तावित नए संविधान के खिलाफ उठने वाले कदमों को रोकना चाहिए.

बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि पत्नी और प्रेमिकाओं के दौरों के बारे में कप्तान और कोच को फैसला करने का अधिकार देना स्पष्ट रूप से हितों का टकराव है. उन्होंने कहा, 'उनके द्वारा कई ऐसे फैसले लिये गए हैं, जो कि न केवल बीसीसीआई के नए संविधान का पूरी तरह उल्लंघन करता है, बल्कि लोढ़ा पैनल समिति की रिपोर्ट का भी उल्लंघन करता है. सीओए प्रशासन में हितों के टकराव जैसे मुद्दों के साथ आए हैं.'

बीसीसीआई सूत्र का कहना है कि यह न सिर्फ हितों का टकराव है, बल्कि इससे टीम के प्रदर्शन पर भी असर पड़ सकता है. उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या कोच और कप्तान को यह अधिकार देने से पहले इस बारे में पहले क्रिकेटरों की पत्नियों और गर्लफ्रेंड से भी पूछा गया है या क्रिकेटरों की पत्नियों के बिजी शेड्यूल को ध्यान में रखा गया है.

वहीं, आर एम लोढ़ा ने कहा, 'मैं इस प्रस्ताव के बारे में क्या कह सकता हूं. फैसला लेने के लिए लोकपाल वहां है. हर कोई लोढ़ा पैनल के प्रस्तावों की अपने तरीके से व्याख्या कर रहा है. हमारे सुझाव संविधान के अनुरूप है. अब जब कोई मामला उठता है तो लोकपाल को इस पर फैसला लेना चाहिए.'

लोढ़ा इस बात से पूरी तरह से हैरान हैं कि कैसे सीओए नए संविधान को लागू करने में विफल रहा है. उन्होंने कहा, 'बिल्कुल पिछले दो वर्षों में कुछ भी नहीं हुआ है. हम सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित रिपोर्ट को लागू होते देखना चाहते थे. लेकिन दो साल से अधिक समय हो गया है और हमने कुछ नहीं देखा है.'

हालांकि अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि लोकपाल जैन इस पूरे मामले से कैसे निपटते हैं, क्योंकि सीओए के एक सदस्य ने खुद यह स्पष्ट किया है कि बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित नहीं किया गया था

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