दुनिया / जहां धर्म के अनुसार बनते हैं PM-राष्‍ट्रपति, वह देश दिवालिया होने की कगार पर पहुंचा

Zee News : Aug 04, 2020, 09:32 AM
बेरूत: लेबनान में 20 घंटे तक बिजली कटौती, सड़कों पर कूड़े के ढेर, कमजोर आधारभूत संरचना और एक के बाद एक आई आपदाओं के चलते विश्लेषकों की राय है कि यह देश दिवालिया होने की तरफ बढ़ रहा है। आर्थिक संकट के बीच, लेबनान के विदेशमंत्री नसीफ हित्ती ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने सरकारी आवास खाली कर दिया। खबर है कि हित्ती सरकार के प्रदर्शन और सुधार के लिए किए वादों पर कोई काम नहीं होने से नाखुश थे। यह तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि लेबनान में धर्म के अनुसार प्रधानमंत्री और राष्‍ट्रपति बनते हैं। 


सेना अपने सैनिकों को मुहैया नहीं करा पा रही भोजन 

लेबनान तेजी से आर्थिक दिवालियापन, संस्थानों के खंडित होने, उच्च महंगाई दर और तेजी से बढ़ती गरीबी की ओर बढ़ रहा है और इन समस्याओं में महामारी ने और इजाफा कर दिया है। बड़ी संख्या में लोगों को काम से निकाला जा रहा है। अस्पतालों के बंद होने का खतरा है, दुकान और रेस्तरां बंद हो रहे हैं, अपराध बढ़ता जा रहा है। सेना अपने सैनिकों को भोजन तक मुहैया नहीं करा पा रही है और गोदामों द्वारा मियाद खत्म हो चुके खाने के सामान बेचे जा रहे हैं। इस संकट से लेबनान के बिखरने का खतरा बढ़ गया है जो अरब में विविधता और मेलमिलाप के आदर्श मॉडल के रूप में स्थापित है और इसके साथ ही अराजकता फैल सकती है। 

अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र पर पड़ी चोट

लेबनान 18 धार्मिक संप्रदाय, कमजोर केंद्रीय सरकार, मजबूत पड़ोसी की वजह से क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता का शिकार होता रहा है जिससे राजनीतिक जड़ता, हिंसा या दोनों का उसे सामना करना पड़ता है। लेबनान हमेशा से ईरान और सऊदी अरब के वर्चस्व की लड़ाई का शिकार बनता रहता है,लेकिन मौजूदा समस्या स्वयं लेबनान द्वारा उत्पन्न है, जो दशकों से भ्रष्ट और लालची राजनीतिक वर्ग की वजह से उत्पन्न हुई है, जिसकी चोट अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र पर पड़ी। दुनिया में सबसे अधिक सार्वजनिक कर्ज के बावजूद लेबनान कई वर्षों से दिवालिया होने से बचा रहा। स्टीडीज ऐट कार्नेज इंडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के उपाध्यक्ष मरवान मुआशेर ने कहा, "लेबनान में एक समस्या यह है कि यहां भ्रष्टाचार का लोकतांत्रिकीकरण हुआ है। यह केंद्र में बैठे एक व्यक्ति के साथ ही नहीं है। यह हर जगह है।"

हाल में सेंटर फॉर ग्लोबल पॉलिसी के एक सम्मेलन में उन्होंने कहा, "प्रत्येक धड़े की अर्थव्यवस्था में एक हिस्सा है जिस पर वह नियंत्रण करता है और उससे धन अर्जित करता है ताकि वह अपने धड़े को खुश रख सके।" 

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