मध्य प्रदेश / MP में दिखा सफेद कौवा, अमृत पीने पर श्राप की वजह से हुआ था काला, जानिए पूरा रहस्य

AajTak : Nov 26, 2019, 04:47 PM
दतवाड़ा | आपने एक कहावत जरूर सुनी होगी की 'झूठ बोले कौवा काटे' लेकिन क्या आपने सफेद कौवा देखा है। आप कहेंगे कौवा तो हमेशा काला ही होता है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे सफेद कौवे के बार में बताएंगे जिसके बारे में आपने शायद ही कभी सुना होगा।

आमतौर पर जो कौवे हमारे आसपास पाए जाते हैं वो काले ही होते हैं और उन्हें अशुभ माना जाता है लेकिन सफेद कौवे को अशुभ नहीं माना जाता है और मध्य प्रदेश के दतवाड़ा में ऐसे कौवे को देखा गया है। इससे पहले साल 2017 में भी सतना में सफेद कौवे को देखा जा चुका है।

हालांकि कौवे का रंग बदला होने के पीछे वैज्ञानिक कारण हैं। सफेद कौवा भी दूसरे काले कौवे जैसा ही होता है लेकिन अनुवांशिक दोष ल्यूसीज्म की वजह से कुछ कौवे का रंग सफेद हो जाता है। दुनिया में कौवे की कई ऐसी प्रजातियां हैं जिनके शरीर पर कहीं ना कहीं सफेद धब्बा होता है।

हालांकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कौवे के सफेद से काले होने की अलग कहानी है। मान्यताओं के अनुसार काफी समय पहले पहले एक ऋषि ने एक सफेद कौवे को अमृत ढूंढने भेजा और उसे आदेश दिया कि वो सिर्फ अमृत की जानकारी ला कर दे लेकिन उसे पीना नहीं है। सालों की मेहनत के बाद सफेद कौवे ने अमृत को ढूंढ निकाला लेकिन इतनी मेहनत के बाद उसे भी अमृत पीने की लालसा होने लगी। कौवे ने अमृत पी लिया और उसके बाद इसकी जानकारी साधु को दी।

अमृत पीने की बात सुनकर साधु कौवे पर नाराज हो गए और उसे श्राप दिया कि वचन भंग करके उसने अपनी जिस अपवित्र चोंच से पवित्र अमृत को जूठा किया है इसलिए लोग उससे घृणा करेंगे और अशुभ मानते हुए हमेशा उसकी बुराई करेंगे।

साधु ने यह श्राप देते हुए सफेद कौवे को अपने कमंडल के काले पानी में डुबो दिया जिसके बाद कौवे का रंग काला पड़ गया और तभी से कौवे का रंग काला हो गया।

नर्मदा नदी के किनारे बसे जिस गांव में यह सफेद कौवा देखा गया है वहां के स्थानीय लोगों के मुताबिक बीते तीन दिनों से वह कौवा आसपास घूम रहा है।

ज्योलॉजी के एक प्रोफेसर के मुताबिक एलबीनीजम प्रक्रिया  पूरी नहीं होने के कारण कुछ कौवा मूल रंग का जीव न होकर सफेद रंग का पैदा हो जाता है।

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