News18 : Aug 17, 2020, 09:52 AM
अमेरिका में नवंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनावों (American presidential election) में भारतीय मूल के अमेरिकी भी अहम भूमिका में होंगे। ट्रंप के खिलाफ राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन (Joe Biden) इस बात पर खास ध्यान दे रहे हैं और लगातार भारत के हितों की बात कर रहे हैं। यहां तक कि उपराष्ट्रपति पद के लिए उन्होंने भारतीय मूल की कमला हैरिस (Kamala Harris) को उम्मीदवार बनाया है। ट्रंप ने वैसे तो ऐसी कोई घोषणा नहीं की, लेकिन कयास लग रहे हैं कि वो कमला हैरिस के खिलाफ निकी हेली का नाम सामने ला सकते हैं। निकी भी भारतीय मूल से हैं। जानिए, दोनों आमने- सामने हों तो भारतीय किसे ज्यादा बेहतर मान सकते हैं।
क्यों लग रही हैं अटकलें कमला हैरिस और निकी हेली दोनों भारतीय मूल की पहली पीढ़ी के अमेरिकी हैं और उन महिलाओं में से हैं, जो रंगभेद के खुले और छिपे भेदभाव के बीच भी अपनी-अपनी पार्टियों में टॉप पर पहुंच सकीं। अब डेमोक्रेट्स की ओर से कमला की तगड़ी दावेदारी को देखते हुए अमेरिकी राजनीति विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि शायद ट्रंप उपराष्ट्रपति माइक पेंस की जगह निकी हेली की उम्मीदवारी सामने लाएं ताकि ज्यादा से ज्यादा भारतीय अमेरिकी वोटरों को लुभाया जा सके।वैसे ये जानना दिलचस्प होगा कि कमला और निकी अगर आमने-सामने हों तो दोनों की कौन सी खूबियां भारतीय वोटरों को पसंद आएंगी या किस वजह से वो उन्हें वोट देने से बचेंगे।
कौन हैं निकी हेलीसबसे पहले जानते हैं निकी हेली के बारे में। संयुक्त राष्ट्र (UN) में राजदूत और साउथ कैरोलिना की पूर्व गवर्नर निकी हेली का जन्म अमेरिका के एक अप्रवासी पंजाबी परिवार में हुआ। दरअसल हेली के पिता सरदार अजीत सिंह रंधावा और मां राज कौर रंधावा पंजाब के अमृतसर से अमेरिका जाकर वहां बस गए थे। निकी का पूरा नाम निमराता निकी रंधावा था। बाद में उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया और माइकल हेली नाम के अमेरिकी व्यक्ति से शादी की, जो आर्मी नेशनल गार्ड में कैप्टन हैं।
कई रिकॉर्ड बनाएनिकी के बारे में कहा जाता है कि वे कम उम्र से ही अपने परिवार के आर्थिक मामलों और बजट पर खूब ध्यान दिया करती थीं। साल 2010 में वे अल्पसंख्यक समुदाय से पहली गर्नवर बनी। यहां तक कि अमेरिका की सबसे युवा गवर्नर का रिकॉर्ड भी उन्होंने बनाया। वे तब केवल 37 साल की थीं। बाद में साल 2018 में ट्रंप से कुछ मतभेदों के कारण उन्होंने यूएन के राजदूत के पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि तब भी उन्होंने साफ किया था कि वे ट्रंप के लिए चुनाव प्रचार करेंगी। यानी अब अगर ट्रंप वाइस प्रेसिडेंट के लिए निकी से बात करें तो कोई हैरानी नहीं होगी।
कौन हैं कमला हैरिसअब बात करते हैं डेमोक्रैट्स की ओर से उम्मीदवार कमला हैरिस की। वे भी भारतवंशी हैं। उनके नाना चेन्नई के ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनका नाम पीवी गोपालन था। वो भारतीय लोक सेवा में अधिकारी थे। उन्होंने ज़ाम्बिया में भी सरकार के लिए सेवाएं दी थीं। गोपालन की बड़ी बेटी श्यामला अमेरिका में पढ़ाई के लिए गई थीं। कमला उन्हीं श्यामला की बेटी हैं। पिता डोनाल्ड हैरिस जमैकन थे।कमला का जन्म अमेरिका में हुआ। बाद में माता-पिता में तलाक हो गया। इसके बाद से कमला हालांकि भारतीय मूल्यों की बात जब-तब करती रहीं लेकिन आमतौर पर वे खुद को जमैकन मूल का ही कहती रहीं। यही बात भारतीय अमेरिकी वोटरों को खटक रही है।
चीन की आलोचना की नीति वैसे चीन पर हेली और हैरिस दोनों ही की नीति साफ है। वे खुले तौर पर चीन की आलोचना करती हैं। यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में हेली ने भारत सरकार के चीनी एप्स पर बैन लगाने के एलान की काफी तारीफ की थी। चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग की अराजकता और देश की सीमाएं बढ़ाने की नीति पर भी हेली ने काफी कड़ी बातें कही थीं।इसी लाइन पर हैरिस भी पीछे नहीं हैं। वे भी लगातार चीन पर आक्रामक होती दिख रही हैं। कुछ समय पहले ही उइगर मुससमानों पर चीनी अत्याचार के बारे में हैरिस ने बीजिंग की नीतियों की आलोचना की। साथ ही हांगकांग में शांति से प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ चीन के कड़े रुख पर भी हैरिस ने कहा कि अमेरिका हांगकांग की जनता के साथ है। इसपर चीनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने हैरिस के खिलाफ संपादकीय भी लिख डाला।
क्या हो सकता है नकारात्मकदूसरी ओर हैरिस की कश्मीर नीति पर भारतीय उनसे भड़के हुए भी हैं। बयानों के आधार पर पता लगता है कि हैरिस पाकिस्तान के पक्ष में कश्मीर पर बोलती आई हैं। ऐसे में चुनावों में इन बयानों का नुकसान भी हैरिस को हो सकता है। वहीं निकी हेली को अपनी स्पष्टवादिता का फायदा मिल सकता है। बता दें कि निकी ने ट्रंप प्रशासन में इस्तीफा देते हुए कहा था कि वे हर बात पर ट्रंप से सहमत नहीं हो सकती हैं।
क्यों लग रही हैं अटकलें कमला हैरिस और निकी हेली दोनों भारतीय मूल की पहली पीढ़ी के अमेरिकी हैं और उन महिलाओं में से हैं, जो रंगभेद के खुले और छिपे भेदभाव के बीच भी अपनी-अपनी पार्टियों में टॉप पर पहुंच सकीं। अब डेमोक्रेट्स की ओर से कमला की तगड़ी दावेदारी को देखते हुए अमेरिकी राजनीति विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि शायद ट्रंप उपराष्ट्रपति माइक पेंस की जगह निकी हेली की उम्मीदवारी सामने लाएं ताकि ज्यादा से ज्यादा भारतीय अमेरिकी वोटरों को लुभाया जा सके।वैसे ये जानना दिलचस्प होगा कि कमला और निकी अगर आमने-सामने हों तो दोनों की कौन सी खूबियां भारतीय वोटरों को पसंद आएंगी या किस वजह से वो उन्हें वोट देने से बचेंगे।
कौन हैं निकी हेलीसबसे पहले जानते हैं निकी हेली के बारे में। संयुक्त राष्ट्र (UN) में राजदूत और साउथ कैरोलिना की पूर्व गवर्नर निकी हेली का जन्म अमेरिका के एक अप्रवासी पंजाबी परिवार में हुआ। दरअसल हेली के पिता सरदार अजीत सिंह रंधावा और मां राज कौर रंधावा पंजाब के अमृतसर से अमेरिका जाकर वहां बस गए थे। निकी का पूरा नाम निमराता निकी रंधावा था। बाद में उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया और माइकल हेली नाम के अमेरिकी व्यक्ति से शादी की, जो आर्मी नेशनल गार्ड में कैप्टन हैं।
कई रिकॉर्ड बनाएनिकी के बारे में कहा जाता है कि वे कम उम्र से ही अपने परिवार के आर्थिक मामलों और बजट पर खूब ध्यान दिया करती थीं। साल 2010 में वे अल्पसंख्यक समुदाय से पहली गर्नवर बनी। यहां तक कि अमेरिका की सबसे युवा गवर्नर का रिकॉर्ड भी उन्होंने बनाया। वे तब केवल 37 साल की थीं। बाद में साल 2018 में ट्रंप से कुछ मतभेदों के कारण उन्होंने यूएन के राजदूत के पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि तब भी उन्होंने साफ किया था कि वे ट्रंप के लिए चुनाव प्रचार करेंगी। यानी अब अगर ट्रंप वाइस प्रेसिडेंट के लिए निकी से बात करें तो कोई हैरानी नहीं होगी।
कौन हैं कमला हैरिसअब बात करते हैं डेमोक्रैट्स की ओर से उम्मीदवार कमला हैरिस की। वे भी भारतवंशी हैं। उनके नाना चेन्नई के ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनका नाम पीवी गोपालन था। वो भारतीय लोक सेवा में अधिकारी थे। उन्होंने ज़ाम्बिया में भी सरकार के लिए सेवाएं दी थीं। गोपालन की बड़ी बेटी श्यामला अमेरिका में पढ़ाई के लिए गई थीं। कमला उन्हीं श्यामला की बेटी हैं। पिता डोनाल्ड हैरिस जमैकन थे।कमला का जन्म अमेरिका में हुआ। बाद में माता-पिता में तलाक हो गया। इसके बाद से कमला हालांकि भारतीय मूल्यों की बात जब-तब करती रहीं लेकिन आमतौर पर वे खुद को जमैकन मूल का ही कहती रहीं। यही बात भारतीय अमेरिकी वोटरों को खटक रही है।
चीन की आलोचना की नीति वैसे चीन पर हेली और हैरिस दोनों ही की नीति साफ है। वे खुले तौर पर चीन की आलोचना करती हैं। यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में हेली ने भारत सरकार के चीनी एप्स पर बैन लगाने के एलान की काफी तारीफ की थी। चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग की अराजकता और देश की सीमाएं बढ़ाने की नीति पर भी हेली ने काफी कड़ी बातें कही थीं।इसी लाइन पर हैरिस भी पीछे नहीं हैं। वे भी लगातार चीन पर आक्रामक होती दिख रही हैं। कुछ समय पहले ही उइगर मुससमानों पर चीनी अत्याचार के बारे में हैरिस ने बीजिंग की नीतियों की आलोचना की। साथ ही हांगकांग में शांति से प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ चीन के कड़े रुख पर भी हैरिस ने कहा कि अमेरिका हांगकांग की जनता के साथ है। इसपर चीनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने हैरिस के खिलाफ संपादकीय भी लिख डाला।
क्या हो सकता है नकारात्मकदूसरी ओर हैरिस की कश्मीर नीति पर भारतीय उनसे भड़के हुए भी हैं। बयानों के आधार पर पता लगता है कि हैरिस पाकिस्तान के पक्ष में कश्मीर पर बोलती आई हैं। ऐसे में चुनावों में इन बयानों का नुकसान भी हैरिस को हो सकता है। वहीं निकी हेली को अपनी स्पष्टवादिता का फायदा मिल सकता है। बता दें कि निकी ने ट्रंप प्रशासन में इस्तीफा देते हुए कहा था कि वे हर बात पर ट्रंप से सहमत नहीं हो सकती हैं।