Coronavirus Vaccine / दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन आने से पहले ही क्यों घिरी विवादों में?

News18 : Aug 02, 2020, 03:58 PM
Delhi: कोरोना वैक्सीन (coronavirus vaccine) तैयार करने की होड़ में रूस (Russia) सबसे आगे निकल चुका है। उसने एलान किया है कि 10 अगस्त तक वो वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन करा लेगा और अक्टूबर से बड़े स्तर पर इसका उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। साथ ही साथ वैक्सिनेशन प्रोग्राम भी चलता रहेगा।  हालांकि एकदम गुप्त तरीके से बनी इस रशियन वैक्सीन के बारे में बहुतों को खास जानकारी नहीं। ये क्या है, किसने बनाई और क्या ये ह्यूमन ट्रायल से गुजरी है- जानिए, इसके बारे में सबकुछ।

वैक्सीन मॉस्को के मॉस्को के गामेल्या इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी में बनाई गई है। हालांकि रूस ने वैक्सीन की तैयारी का काम गुप्त तौर पर किया। एक ओर जहां दूसरे देश अपने यहां वैक्सीन को लेकर प्रयोगों और हर तरह के डेवलपमेंट की जानकारी दे रहे थे। रूस ने लंबी चुप्पी साधी हुई थी। इसी बीच जून में वैक्सीन पर ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण शुरू हो गया।

स्पूतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक शुरू में मॉस्को की लैब में दो अलग -अलग फॉर्म के टीके पर प्रयोग हो रहा था, जिनमें एक तरल और एक पावडर के रूप में था। शुरूआती ट्रायल में दो ग्रुप बने, जिनमें हरेक में 38 प्रतिभागी थे। इनमें से कुछ को वैक्सीन दी गई, जबकि कुछ को प्लासीबो इफैक्ट के तहत रखा गया। यानी उन्हें कोई साधारण चीज देते हुए ऐसे जताया गया, जैसे दवा दी जा रही हो।

प्रतिभागियों को मॉस्को के ही दो अलग-अलग अस्पतालों में निगरानी में रखा गया। दूसरे देशों से ट्रायल में शामिल ज्यादातर लोगों की घर से ही निगरानी हो रही थी, वहीं रूस इस मामले में अलग रहा। उसने हर प्रतिभागी को आइसोलेशन में रखते हुए जांच की। इसमें रूस की सरकारी मेडिकल यूनिवर्सिटी सेचेनोफ ने ट्रायल किए और कथित तौर पर वैक्सीन को इंसानों के लिए सुरक्षित माना। दो ट्रायलों में वैक्सीन आजमाई और जुलाई में ही प्रतिभागियों को अस्पताल से छुट्टी भी मिल चुकी है।

अब रूस अपने देश के लिए इसका रजिस्ट्रेशन करवाने जा रहा है। अप्रूवल के साथ ही वो हफ्तेभर के भीतर रूसी लोगों के लिए डोज तैयार करने वाला है। वहीं सितंबर में दूसरे देशों से भी रूस अप्रूवल की बात करेगा। दूसरे देशों से सहमति मिलने के बाद वहां के लिए भी दवा का उत्पादन होने लगेगा। माना जा रहा है कि हर्ड इम्युनिटी के लिए रूस में से 4 से 5 करोड़ आबादी को टीका देना होगा। ये रूस की लगभग 60 प्रतिशत आबादी होगी। चूंकि इतनी वैक्सीन एक साथ बनाना मुमकिन नहीं, इसलिए रूस प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन देगा।


हालांकि रूस की वैक्सीन पर कई विवाद भी उठ रहे हैं। जैसे पिछले महीने ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि रूस ने वैक्सीन का फॉर्मूला चुराने की कोशिश की है। आरोप था कि रूस का वैक्सीन बनाने का तरीका ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड के तरीके से काफी मिलता-जुलता था। हालांकि ये आरोप साबित नहीं हो सका। एक दूसरा विवाद ये आया कि रूस ने ट्रायल पूरे किए बिना वैक्सीन बनाई है। इस बारे में रूस का कहना है कि उसके दो ट्रायल पूरी तरह सफल रहे इसलिए वो वैक्सीन रजिस्टर करा रहा है। साथ ही साथ तीसरा ट्रायल चलता रहेगा।

इस बीच कोरोना से बुरी तरह से परेशान अमेरिका ने रूस की वैक्सीन लेने से साफ मना कर दिया है। खुद अमेरकी संक्रामक रोग एक्सपर्ट एंथनी फॉसी ने ये बयान दिया है। उनका कहना है कि वे रूस और चीन दोनों से ही कोरोना की वैक्सीन नहीं लेंगे क्योंकि दोनों ही देशों ने इसे लेकर काफी अपारदर्शिता बरती।

फॉसी ने अपने बयान में कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि दोनों ही देश वैक्सीन किसी को देने से पहले उसकी पूरी जांच कर रहे हैं। इन दोनों की वैक्सीन को किसी भी हाल में लेने से इनकार करते हुए फॉसी ने उम्मीद की कि अमेरिका को भी साल के आखिर तक कोरोना की वैक्सीन मिल सकेगी।


वैसे वैक्सीन को लेकर भारत में भी एक फार्मा कंपनी भारत बायोटेक ने दावा कर दिया था कि 15 अगस्त तक वैक्सीन आ जाएगी। आईसीएमआर भी उसके दावे के साथ खड़ा दिखा। इस बात पर काफी बवाल मचा था कि हड़बड़ी में कैसे कोई वैक्सीन लाई जा सकती है।  इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी साफ किया कि वैक्सीन का सुरक्षित और प्रभावी होना ज़रूरी है और ऐसी किसी भी संभावित वैक्सीन के ट्रायल (Vaccine Trial) के पूरे होने में छह से नौ महीने तो लग ही जाएंगे।

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