Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का मुकाबला बेहद दिलचस्प होता जा रहा है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था, लेकिन इस बार पार्टी ने एक नई रणनीति के साथ चुनावी मैदान में कदम रखा है। पार्टी ने विपक्षी गठबंधन
इंडिया के सहयोगी दलों के दबाव की परवाह किए बिना आम आदमी पार्टी (AAP) और अरविंद केजरीवाल को मुख्य लक्ष्य बनाया है। यह नई रणनीति न केवल कांग्रेस के लिए बल्कि दिल्ली की सियासत के लिए भी अहम साबित हो सकती है।
कांग्रेस की नई चुनावी रणनीति
कांग्रेस ने इस बार दिल्ली में आक्रामक रुख अपनाया है। पार्टी ने न केवल मजबूत प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, बल्कि प्रचार अभियान को भी तेज कर दिया है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जैसे दिग्गज नेताओं को रैलियों और पदयात्राओं में उतारा गया है। कांग्रेस का फोकस केवल केजरीवाल के खिलाफ प्रचार तक सीमित नहीं है, बल्कि AAP के शासनकाल की विफलताओं को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया गया है।पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ संदीप दीक्षित, मनीष सिसोदिया के खिलाफ फरहाद सूरी, और आतिशी के खिलाफ अलका लांबा जैसे मजबूत नेताओं को खड़ा किया है। साथ ही, स्थानीय स्तर पर प्रभावी नेताओं को चुनावी अभियान में सक्रिय भूमिका दी गई है।
AAP के खिलाफ सख्त तेवर की वजह
कांग्रेस के इस आक्रामक रुख के पीछे कई सियासी कारण हैं। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल किया था। AAP के उदय के बाद कांग्रेस का सियासी आधार लगातार सिमटता गया। 2013 में कांग्रेस को जहां 19% वोट मिले थे, वहीं 2020 तक यह घटकर 4.26% रह गया।दिल्ली में कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक—दलित, मुस्लिम, और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले मतदाता—AAP की ओर शिफ्ट हो गए। कांग्रेस अब इस वोट बैंक को दोबारा हासिल करने के लिए AAP पर पूरी ताकत से हमला कर रही है।
इंडिया गठबंधन में दरार
दिल्ली चुनाव में
इंडिया गठबंधन के दो प्रमुख घटक—AAP और कांग्रेस—अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। यह स्थिति गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े कर रही है। AAP के नेता संजय सिंह ने कांग्रेस के आक्रामक रुख पर नाराजगी जताई है और इसे बीजेपी को फायदा पहुंचाने वाली रणनीति बताया है। हालांकि, कांग्रेस इस बात को साफ कर चुकी है कि दिल्ली में अपनी खोई हुई सियासी जमीन वापस पाने के लिए उसे AAP के खिलाफ मोर्चा खोलना ही होगा।
कांग्रेस की आक्रामकता के संभावित नतीजे
कांग्रेस की यह रणनीति उसके लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन इसके कई सियासी जोखिम भी हैं। वोटों के बिखराव से बीजेपी को फायदा होने की संभावना बढ़ सकती है। इसके बावजूद, कांग्रेस ने दिल्ली को अपनी सियासी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए त्रिकोणीय मुकाबले की ओर धकेलने का फैसला किया है।
दिल्ली से पंजाब तक असर
दिल्ली चुनाव का असर पंजाब पर भी पड़ेगा, जहां AAP और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है। कांग्रेस को यह समझ आ गया है कि अगर दिल्ली में उसने AAP के खिलाफ सख्त रुख नहीं अपनाया, तो इसका नकारात्मक प्रभाव पंजाब की सियासत पर भी पड़ सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि AAP के कमजोर होने से ही कांग्रेस की वापसी के रास्ते खुल सकते हैं।
निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस के आक्रामक तेवर पार्टी की नई रणनीति का हिस्सा हैं। AAP और बीजेपी के खिलाफ इस त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस की कोशिश है कि वह अपने खोए हुए वोट बैंक को दोबारा हासिल करे। यह चुनाव न केवल दिल्ली बल्कि देश की सियासी तस्वीर को भी प्रभावित करेगा। अब देखना यह है कि कांग्रेस की यह आक्रामकता उसे कितनी सफलता दिला पाती है।