Vikrant Shekhawat : Jun 07, 2021, 10:29 PM
Coronavirus India | अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर के एकाएक सिर उठाने की वजह डेल्टा वेरिएंट में अचानक एक म्यूटेशन खत्म होना तथा दूसरा पैदा होना है। वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस म्यूटेशन की वजह से अचानक डेल्टा वेरिएंट बेकाबू हो गया और उसने उस समय धीरे-धीरे फैल रहे यूके वेरिएंट को भी पछाड़ दिया।सीएसआईआर की प्रयोगशाला इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एवं इंट्रीग्रेटिव बायोलॉजी (आईसीआईबी) के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल एवं अन्य वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार डेल्टा वेरिएंट बी.1.617 ने फरवरी-मार्च में बढ़ना शुरू किया। लेकिन मार्च आखिर में इस वेरिएंट में फिर से बदलाव नोट किए गए थे। इसके एक वेरिएंट में एक म्यूटेशन ई484क्यू अचानक खत्म हो गया तथा उसकी जगह नया म्यूटेशन टी478के उत्पन्न हो गया। इसके बाद बीमारी का तेजी से फैलाव देखा गया। उन्होंने यह नतीजा दिल्ली में किए गए संक्रमितों के जीनोम सिक्वेंसिंग के आधार पर निकाला है लेकिन करीब-करीब पूरे देश में इसी प्रकार की स्थिति पैदा होने का अनुमान है। इस नए म्यूटेशन यानी बी.1.617.2 को ही ब्रिटेन और डब्ल्यूएचओ ने चिंता का कारण बताया है तथा यह दुनिया के कई देशों में अब तक फैल चुका है।बदलाव के चलते दोबारा संक्रमित हुए लोगमेडरेक्सीव जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में दावा किया गया है कि इस म्यूटेशन के बाद वायरस ने इंसान द्वारा हासिल प्रतिरोधक क्षमता से भी बचने की ताकत हासिल कर ली। नतीजा यह हुआ कि जिन लोगों को पहले कोरोना संक्रमण हो गया था, या जो पूर्व में सीरो पॉजीटिव पाए गए थे, उन्हें भी दोबारा संक्रमण हुआ। आईजीआईबी कुछ लोगों में एंटीबॉडी की निगरानी कर रहा है। उसने पाया कि जनवरी-फरवरी के दौरान सिरो पॉजीटिव लोगों में एंटीबॉडी कम हो गई थी। लेकिन मार्च में फिर बढ़ गई। इसका मतलब यह हुआ है कि उन्हें दूसरी बार संक्रमण हो चुका है।इस वेरिएंट से संक्रिमत होने पर वायरल लोड बहुत ज्यादाशोध में कहा गया है कि दिसंबर में दिल्ली में हुए सिरो सर्वे में 56 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी पाई गई थी। लेकिन यदि वायरस में म्यूटेशन के बाद प्रतिरोध से बचने की क्षमता उत्पन्न नहीं होती तो इतने बड़े पैमाने पर दिल्ली में लोग संक्रमित नहीं होते। देश के दूसरे प्रांतों में भी ऐसा नहीं होता जहां पिछली लहर में अच्छी खासी आबादी संक्रमित हो चुकी थी। टीका लगवाने के बाद भी लोगों में संक्रमण के मामले बताते हैं कि नए वेरिएंट में इससे बचने की क्षमता है। शोध में कहा गया है कि म्यूटेशन पर म्यूटेशन होने के कारण इस वेरिएंट से संक्रमित लोगों में वायरल लोड बहुत ज्यादा पाया गया। जो बीमारी के ज्यादा गंभीर होने का कारण बना। शोध में कहा गया है कि इस बात की पुष्टि अभी नही हुई है कि डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण ज्यादा मौतों के लिए भी सीधे तौर पर जिम्मेदार है। हालांकि इस पर अभी शोध जारी है।