AajTak : Sep 25, 2020, 07:45 AM
दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए प्राइवेट अस्पतालों के 80 फीसदी इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) के बेड्स आरक्षित करने का आदेश दिया था। दिल्ली सरकार के इस आदेश पर दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 22 सितंबर को स्टे ऑर्डर दिया था। अब केजरीवाल सरकार ने इस फैसले के खिलाफ डबल बेंच में याचिका दायर कर स्टे हटाने की मांग की है।
दिल्ली सरकार की इस अपील पर हाई कोर्ट की डबल बेंच आज सुनवाई करेगी। गौरतलब है कि मंगलवार को हुई सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट दिल्ली सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखा था। कोर्ट ने कहा था कि प्राइवेट अस्पतालों में अगर 80 फीसदी आईसीयू बेड कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व कर दिए जाएंगे तो बाकी उन मरीजों का क्या होगा जिनकी हालत बेहद गंभीर है और उन्हें आईसीयू में बेड की जरूरत है।दिल्ली सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि कोरोना के मामले लगातार बढ़ने के कारण सरकार ने ये आदेश प्राइवेट अस्पतालों को दिया है, जिससे कोरोना के मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज और बेड की कमी से न जूझना पड़े। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने दिल्ली सरकार के आदेश को आर्टिकल 21 का उल्लंघन बताते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया इस आदेश में सरकार की मनमानी नजर आती है। कोर्ट ने कहा कि कोरोना को प्राइवेट अस्पतालों में आईसीयू बेड रिजर्व करने की वजह नहीं बनाया जा सकता।बता दें कि दिल्ली सरकार की तरफ से यह आदेश 12 सितंबर को जारी किया गया था, जिसमें राजधानी के 33 प्राइवेट अस्पतालों को सरकार ने इस आदेश का पालन करने के निर्देश दिए थे। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के इस आदेश को चुनौती देते हुए एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर ने याचिका दाख़िल कर दी थी। कोर्ट ने मंगलवार को स्टे लगाते हुए इस मामले में 16 अक्टूबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की थी।
दिल्ली सरकार की इस अपील पर हाई कोर्ट की डबल बेंच आज सुनवाई करेगी। गौरतलब है कि मंगलवार को हुई सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट दिल्ली सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखा था। कोर्ट ने कहा था कि प्राइवेट अस्पतालों में अगर 80 फीसदी आईसीयू बेड कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व कर दिए जाएंगे तो बाकी उन मरीजों का क्या होगा जिनकी हालत बेहद गंभीर है और उन्हें आईसीयू में बेड की जरूरत है।दिल्ली सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि कोरोना के मामले लगातार बढ़ने के कारण सरकार ने ये आदेश प्राइवेट अस्पतालों को दिया है, जिससे कोरोना के मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज और बेड की कमी से न जूझना पड़े। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने दिल्ली सरकार के आदेश को आर्टिकल 21 का उल्लंघन बताते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया इस आदेश में सरकार की मनमानी नजर आती है। कोर्ट ने कहा कि कोरोना को प्राइवेट अस्पतालों में आईसीयू बेड रिजर्व करने की वजह नहीं बनाया जा सकता।बता दें कि दिल्ली सरकार की तरफ से यह आदेश 12 सितंबर को जारी किया गया था, जिसमें राजधानी के 33 प्राइवेट अस्पतालों को सरकार ने इस आदेश का पालन करने के निर्देश दिए थे। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के इस आदेश को चुनौती देते हुए एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर ने याचिका दाख़िल कर दी थी। कोर्ट ने मंगलवार को स्टे लगाते हुए इस मामले में 16 अक्टूबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की थी।