देश / क्या 'बहुरुपिये' कोरोना वायरस पर कारगर होगी अलग-अलग देश में बन रही वैक्सीन?

Zee News : May 25, 2020, 08:53 AM
नई दिल्ली: दुनियाभर में तबाही का सबब बना कोरोना वायरस लगातार अपने रूप बदल रहा है। परिवर्तन जीवित प्राणियों और वायरस में होता है, लेकिन जिस तरीके से और गति से कोरोना वायरस अपने आपको बदल रहा है, उतना परिवर्तन किसी और वायरस में देखने को नहीं मिला। भले ही वह एचआईवी वायरस हो या फिर हेपेटाइटिस। यही वजह है कि विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं मिलकर भारत में करोना संक्रमण और वायरस के जीनोम पर रिसर्च कर रही है, ताकि यह पता किया जा सके की इस वायरस में कितना परिवर्तन आ रहा है और यह परिवर्तन किस कदर घातक साबित हो सकता है क्योंकि कोविड-19 को लेकर सवाल बहुत हैं और जवाब बहुत कम हैं। 

कुछ हैरान कर देने वाले सवाल: 

तमिलनाडु और गुजरात दोनों में करोना संक्रमण के मरीज 12000 से ज्यादा है लेकिन तमिलनाडु में मरने वालों का आंकड़ा 100 से कम है और गुजरात में 700 के पार क्यों? इसके पीछे वजह है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में कोरोना वायरस का जिनोम अलग-अलग है। तभी यह वायरस रोग प्रतिशोधक क्षमता कम होने के बावजूद बच्चों के लिए कम घातक है और बुजुर्गों के लिए ज्यादा। तभी मलेरिया और एचआईवी की दवाई जयपुर के मरीजों पर काम कर जाती है लेकिन दिल्ली के मरीजों पर नहीं। इन सभी सवालों के जवाब तलाशने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर जीनोम अनुसंधान किया जा रहा है।  

इस बात की बहुत संभावना है कि अगर करोना को लेकर कोई दवाई या वैक्सीन बनती है तो दुनिया के एक कोने में वह फायदेमंद हो सकती है, दूसरे कोने में नहीं। यह भी संभव है कि जो दवाई अमेरिका या यूरोप के मरीजों पर कारगर हो, वह भारतीय मरीजों पर बेअसर हो जाए। इसलिए भारत के अंदर एनसीडीसी की मदद से कोविड सैंपलों की जांच करके यह तय किया जा रहा है कि हिंदुस्तान में करोना वायरस अलग-अलग स्थानों पर कितना म्यूटेट यानी बदलाव कर चुका है। 

सीएसआईआर की चीफ वैज्ञानिक मिताली मुखर्जी के मुताबिक, जैसे मानव शरीर डीएनए से बना हुआ है, वैसी ही कोविड-19 का वायरस आरएनए (RNA) से बना हुआ है। जब भी एक संक्रमित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति तक करोना का वायरस संक्रमण देता है तब उसमें कुछ ना कुछ परिवर्तन आ जाता है। इसी परिवर्तन पर शोध किया जा रहा है, ताकि यह तय किया जाए कि कहीं कोरोना वायरस की दूसरी वेब देखने के तो नहीं मिलेगी, कहीं दक्षिण कोरिया की तर्ज पर भारत में ठीक हुए मरीज फिर से करोना ग्रस्त तो नहीं हो जाएंगे और सबसे बड़ी बात की किस तरह की मरीजों पर कौन सी दवा संक्रमण से लड़ने पर कारगर साबित होगी।


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