Coronavirus in India / क्या कोरोना के लिए काल बनकर आएगी गर्मी?

कोरोना वायरस किसी भी तरह से पीछा नहीं छोड़ रहा है। इससे पीछा कैसे छूट सकता है, इस बारे में तरह-तरह की अवधारणाएं व थ्योरियां सामने आई हैं। सबसे बड़ी अवधारणा इस संबंध में यह है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, कोरोना वायरस का प्रभाव कम होगा। भारत के कई हिस्सों में तापमान 30 डिग्री पार कर चुका है और अगले दो सप्ताह में उत्तर भारत में तापमान 40 डिग्री पहुंच जाएगा।

punjab kesari : Apr 10, 2020, 05:33 PM
नई दिल्ली: कोरोना वायरस किसी भी तरह से पीछा नहीं छोड़ रहा है। इससे पीछा कैसे छूट सकता है, इस बारे में तरह-तरह की अवधारणाएं व थ्योरियां सामने आई हैं। सबसे बड़ी अवधारणा इस संबंध में यह है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, कोरोना वायरस का प्रभाव कम होगा। भारत के कई हिस्सों में तापमान 30 डिग्री पार कर चुका है और अगले दो सप्ताह में उत्तर भारत में तापमान 40 डिग्री पहुंच जाएगा। तो क्या तापमान की गर्मी से कोरोना वायरस की खैर नहीं रहेगी? वायरस पर तापमान और आद्र्रता (नमी) के प्रभाव को लेकर दुनियाभर में शोध चल रहे हैं। आइए देखें, इस संबंध में विशेषज्ञ क्या कहते हैं। इन शोधों के निष्कर्षों के बाद कहा जा सकता है कि वैज्ञानिक दृष्टि से अभी कोई दावा नहीं किया जा सकता कि गर्म मौसम वाकई कोरोना के लिए काल बनकर आएगा।

नमी वाले वातावरण में समुदाय संक्रमण की अत्यधिक संभावना

मैरीलैंड स्कूल ऑफ मैडिसिन के शोधकत्र्ताओं ने मौसम आधारित मॉडल का इस्तेमाल करके यह अनुमान लगाया कि कोविड-19 वायरस सीजन के हिसाब से प्रभावी होता है। डा. मोहम्मद सजादी के नेतृत्व में शोध टीम ने यह निष्कर्ष निकाला कि 30 से 50 डिग्री उत्तर अक्षांश के बीच की पट्टी पर स्थित देशों में 5-11 डिग्री और 47-79 प्रतिशत आद्र्रता (नमी) के वातावरण में समुदाय संक्रमण की अत्यधिक संभावना है। इस पट्टी में वुहान, दक्षिण कोरिया, जापान, ईरान, उत्तरी इटली, सिएटल और उत्तरी कैलीफोॢनया स्थित हैं। मार्च-अप्रैल 2019 के तापमान के आंकड़ों के आधार पर शोध में अनुमान लगाया गया है कि मौजूदा पट्टी के उत्तर में स्थित देशों में कोरोना का जोखिम रहेगा। इन देशों में मंचूरिया, सैंट्रल एशिया, काकेशिया, पूर्व और केंद्रीय यूरोप ब्रिटेन के इलाके, उत्तर पूर्वी और मध्य पश्चिमी अमरीका और ब्रिटिश कोलंबिया शामिल हैं। इस शोध की सीमा यह है कि हालांकि अक्षांश पट्टी और तापमान का संंबंध कोरोना के प्रभावी होने में काफी सुदृढ़ लगा रहा है परंतु इसमें घटना और उसका कारण प्रमाणित नहीं किया गया है इसलिए इस निष्कर्ष को स्वीकार करते हुए सावधानी से काम लेना होगा।

गर्म नमी वाले देशों में कोरोना का फैलाव कम देखने को मिला

मैसाचुसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी के शोधकत्र्ताओं कासिम बुखारी और यूसुफ जमील के एक अन्य शोध में तापमान और आद्र्रता तथा कोरोना संक्रमण के बीच संबंध को खुलकर नहीं स्वीकारा गया। उनके विश्लेषण के अनुसार जनवरी 22 और मार्च 21 के बीच 10-10 दिन की अवधि में 4 से 17 डिग्री के बीच औसत तापमान तथा नमी के वातावरण में अधिकतर नए कोरोना केस सामने आए। शोध में इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि इटली, ईरान, दज्ञिण कोरिया, न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन, जहां कोरोना के केस बड़े पैमाने पर सामने आए, का वातावरण लगभग कोरोना हॉटस्पॉट बने वुहान और हुबेई जैसा है जबकि गर्म नमी वाले देशों सिंगापुर और मलेशिया में कोरोना का फैलाव कम देखने को मिला। 

 देश-विदेश के विशेषज्ञ भी एकमत नहीं

डब्ल्यू.एच.ओ.: विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अब तक के वैज्ञानिक तथ्यों से तो यह सामने आया है कि कोविड-19 वायरस सभी तरह के क्षेत्रों में फैल सकता है, जिसमें गर्म और नमी वाला वातावरण भी शामिल है। 

आई.सी.एम.आर. : भारतीय आयुॢवज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक बलराम भार्गव इस बात पर जोर देते हैं कि तापमान और कोरोना संक्रमण में कोई संबंध नहीं है। 

एम्स : अखिल भारतीय आयुॢवज्ञान संस्थान के निदेशक रणदीप गुलेरिया, जो कोविड-19 के खिलाफ रणनीति बनाने वाली उच्च स्तरीय तकनीकी समिति के सदस्य भी हैं, का कहना है कि अगर तापमान 40 डिग्री पहुंच जाता है जो कोरोना वायरस बाहर के वातावरण में संभवत: जिंदा न रहे।