News18 : May 27, 2020, 09:22 PM
महाराष्ट्र | जैसे परिस्थितियों के एक अजीब मोड़ ने शिवसेना (Shiv Sena) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कब्जा दिलाया। उसी तरह यह भाग्य का एक ऐसा ही फेर था जिसने उनके शासन को अप्रत्याशित वैश्विक स्वास्थ्य संकट (Global Health Crisis) से जूझने में फंसा दिया।जैसे-जैसे महाराष्ट्र एक कोविड हॉटस्पॉट (Covid Hotspot) के रूप में उभरा, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस की अगुआई वाली-महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार को कई लड़ाइयां लड़नी पड़ीं। इसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को डूबने से बचाना, संसाधनों को जुटाना और प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (BJP) का मुकाबला करना शामिल था, जो सरकार को नए 'ऑपरेशन लोटस' के जरिये सरकार को किनारे लगाने की कोशिश कर रही है।हनीमून पीरियड खत्म होने के समय बड़े संकटों से घिरी है शिवसेनामुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के छह महीने बाद उद्धव की कार्यशैली को लेकर होने वाली फुसफुसाहटें तेज हो गई हैं। सत्ता के गलियारों में होने वाली फुसफुसाहटें बताती हैं कि सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ मंत्री और विधायक उनकी कार्यशैली से बहुत खुश नहीं हैं।चूंकि कोरोना वायरस मामलों के बढ़ते दबाव के चलते स्वास्थ्य प्रणाली तनाव में है और यह संकेत भी दिया जा रहा है कि सबसे खराब स्थिति अभी आगे आ सकती है। इसी दौरान राज्य सरकार हनीमून की अवधि खत्म होने है।सार्वजनिक समीक्षा के दायरे में आये ठाकरे परिवार के पहले शख्स उद्धवहालांकि यह पहली बार नहीं है जब शिवसेना ने खुद को कठिन परिस्थितियों से घिरा पाया हो लेकिन वर्तमान स्थिति अलग है। अब, सरकार का नेतृत्व मनोहर जोशी या नारायण राणे नहीं कर रहे हैं, बल्कि उद्धव खुद कर रहे हैं, जो ठाकरे परिवार से इस सार्वजनिक पद पर बैठने वाले पहले व्यक्ति हैं।परंपरागत रूप से, ठाकरे परिवार ने चुनावी राजनीति से दूर रहना चुना। 1995 में, जब शिवसेना-बीजेपी ने महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाई, शिवसेना सुप्रीमो, दिवंगत बाल ठाकरे, ने एक "रिमोट कंट्रोल" के अधिकार का प्रयोग किया। इस प्रकार का त्याग करने से उन्हें एक प्रकार का प्रभामंडल मिला - जो कि सत्ता से एक निश्चित दूरी के चलते था, यानी आपने सत्ता को दूर रखने के लिए चुना है।लेकिन एक सरकार का नेतृत्व करने वाले के तौर पर उद्धव ठाकरे प्रशासनिक कौशल के आधार पर अधिक अधिक सार्वजनिक समीक्षा के दायरे में आ गए हैं।शिवसेना इन वजहों से आलोचना की हकदारएक विधायक के रूप में जो 'महा विकास अघाड़ी' (MVA) शासन के आदेशों का समर्थन करते हुए, वर्तमान महामारी के लिए राज्य सरकार पर दोषारोपण करना अनुचित होगा, क्योंकि यह राजनीतिक नहीं है, बल्कि एक सार्वजनिक स्वास्थ्य का संकट है।लेकिन लगातार शिवसेना के जरिये नियंत्रित की जा रही दो राज्य सरकारों और तीन दशक से अधिक समय से शिवसेना के जरिये नियंत्रित बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC), जिसने स्वास्थ्य क्षेत्र के प्राइवेट प्लेयर्स को क्रमिक अधिग्रहण की छूट दी, वह कुछ आलोचना पाने के लायक तो है ही। आज, ऐसे कई निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं पर संकट के दौरान अपनी जिम्मेदारी से बचने का आरोप लगाया जा रहा है।