कोरोना अलर्ट / दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम जनसंख्या वाले देश ने लगाया प्रतिबंध, ईद पर घर नहीं लौटेंगे लोग

इंडोनेशिया ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस साल ईद मनाने के लिए लोगों के घरों को लौटने पर प्रतिबंध लगा दिया है। राष्ट्रपति जोको विडोडो ने मंगलवार को कहा कि इंडोनेशिया में बड़ी संख्या में लोग रमजान के आखिरी सप्ताह में शहरों से गांवों में अपने घरों को लौटते हैं, इस साल कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इसे प्रतिबंधित किया जा रहा है।

News18 : Apr 22, 2020, 12:37 PM
जकार्ता। इंडोनेशिया (Indonesia) ने कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस साल ईद (Eid) मनाने के लिए लोगों के घरों को लौटने पर प्रतिबंध लगा दिया है। राष्ट्रपति जोको विडोडो (Joko Widodo) ने मंगलवार को कहा कि इंडोनेशिया में बड़ी संख्या में लोग रमजान (Ramadan) के आखिरी सप्ताह में शहरों से गांवों में अपने घरों को लौटते हैं, इस साल कोरोना वायरस संक्रमण (Covid19) के चलते इसे प्रतिबंधित (Travel Ban)  किया जा रहा है।

जोको ने कहा- मैंने फैसला किया है कि 'मुदिक' (ईद के लिए होने वाला पलायन) इस साल सभी नागरिकों के लिए प्रतिबंधित है। इंडोनेशिया की न्यूज़ एजेंसी अंतारा के मुतबिक एक कैबिनेट मीटिंग में ये फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है। बता दें कि इंडोनेशिया में ईद उल फितर पर घर लौटने की एक पुरानी प्रथा है जिसे 'मुदिक' कहा जाता है। इस प्रथा के तहत रमजान के आखिरी सप्तार में लाखों की संख्या में लोग ट्रेवल करते हैं। राष्ट्रपति के मुताबिक बुधवार को देश के हर प्रोविंस को बता दिया जाएगा कि ये प्रतिबंध कैसे लागू करना है।

दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है इंडोनेशिया में

बता दें कि दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी इंडोनेशिया में रहती है। यहां अभी तक 7000 से ज्यादा कोरोना संक्रमण के केस सामने आ चुके हैं और 600 से ज्यादा लोगों की इससे मौत हो चुकी है। इंडोनेशिया में लॉकडाउन और ट्रेवल बैन भी सख्ती से लागू किए गए हैं। बीते दिनों एक सर्वे कराया गया था कि कोरोना के मद्देनजर इस साल कितने लोग मुदिक के तहत घरों को लौटना चाहते हैं। इस सर्वे में 24% से ज्यादा लोगों ने लौटने पर सहमति जताई थी जिसके बाद ये प्रतिबंध लगाया गया है।

पाकिस्तान में उलटी कहानी

विश्व के करीब आधे से ज्यादा मुस्लिमों की आबादी वाले एशिया में रमजान का इस्लामी पाक महीना कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के साथ टकराव की राह पर है क्योंकि कई देशों में धर्मगुरूओं का एक हिस्सा से आम मुसलमानों से बड़ी संख्या में मस्जिदों में आने को कह रहे हैं। अधिकारियों ने गुरूवार से शुरू हो रहे रमजान के दौरान मस्जिदों में जाने वाले लोगों की संख्या सीमित करने का प्रयास किया है लेकिन कई मामलों में धार्मिक नेता ने कोविड-19 के प्रसार को बढ़ा सकने वाली गतिविधियों की चिंताओं को दरकिनार कर दिया है।

उधर पाकिस्तान में, श्रद्धालुओं ने कहा कि इबादत कोरोना वायरस की चिंताओं से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। अधिकारियों पर धार्मिक दबाव है। मजहबी नेताओं ने धार्मिक नेताओं को मस्जिदों को नियमित रूप से साफ रखने का निर्देश देने का वादा किया है। उन्हें मस्जिदों में नियमित नमाज और शाम को जुटने की इजाजत देनी पड़ रही है। रमजान निकट आने पर पूरे पाकिस्तान में मस्जिदें भरी हुई नजर आ रही हैं। सैकड़ों लोग जुमे की नमाज में हिस्सा ले रहे हैं और सामाजिक दूरी की उल्लंघन कर करीबर-करीब बैठ रहे हैं।

बांग्लादेश में कट्टरपंथी हावी

बांग्लादेश में, मौलानों ने मस्जिदों में जाने वाले लोगों की संख्या घटाने के प्रयासों पर आक्रोश जताया है और देश की धर्मनिरपेक्ष सरकार को रोजाना एवं साप्ताहिक प्रार्थना के लिए लाखों मुस्लिमों को शामिल होने की इजाजत देने की मांग की है। कट्टरपंथी हिफाजत-ए-इस्लाम समूह के वरिष्ठ सदस्य मुजीब-उर-रहमान हमीदी ने कहा, 'सरकार की ओर से श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित किया जाना हमें स्वीकार्य नहीं है। इस्लाम श्रद्धालुओं पर किसी तरह की सीमा लगाने का समर्थन नहीं करता है।'

धार्मिक सभाओं में वायरस के जोखिम का बढ़ना एशिया में संक्रमण के तीन दौर के जरिए हाल के कुछ हफ्तों में दर्शाया गया है जो मलेशिया, पाकिस्तान और भारत में अलग-अलग विशाल इस्लामी सभाओं से जुड़े हुए हैं। एशिया में विश्व की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है जो इंडोनेशियाई द्वीप समूह से लेकर अफगानिस्तान के हिंदू कुश पर्वतों तक फैला हुआ है। करीब एक अरब मुस्लिम इस क्षेत्र में रहते हैं।