Putin Visit China / एक हाथ लिया-दूसरे हाथ दिया, क्या चीन की चाल पुतिन पर काम कर गई?

Vikrant Shekhawat : May 16, 2024, 09:39 PM
Putin Visit China: चीन में पुतिन-जिनपिंग की मुलाकात बेहद खास रही. यह एक ऐसी मुलाकात थी, जिस पर पूरी दुनिया टकटकी लगाए थी. कयास लगाए जा रहे थे कि कहीं ये मुलाकात दुनिया का भूगोल न बदल दे. खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन भी जानते थे कि दुनिया को किस बात का डर है. इसीलिए पुतिन ने मुलाकात के ठीक बाद सभी आशंकाओं को खारिज करते हुए ये साफ कर दिया कि मॉस्को और बीजिंग की ये दोस्ती अन्य देशों के लिए खतरा नही है.

पुतिन ने चीन की राजकीय यात्रा के दौरान यह बयान देकर ये संदेश देने की कोशिश की, कि चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से मुलाकात के पीछे उनका कोई हिडन एजेंडा नहीं है. हालांकि उन्होंने एशिया प्रशांत क्षेत्र लेकर जो बात कही उससे ये साफ हो गया कि पुतिन या तो जिनपिंग से बेहद प्रभावित हैं या फिर वह उस जाल में फंस चुके हैं, जिसमें ड्रैगन कई मुल्कों को फंसा चुका है.

एक हाथ देना-दूसरे हाथ लेना

चीन ने हाल ही में यूक्रेन को लेकर रूस का समर्थन किया था. चीन ने एक 12 सूत्रीय शांति प्रस्ताव भी दिया था, जिसमें खास तौर से रूस से हितों का ध्यान रखा गया था. रक्षा विशेषज्ञ लगातार इस बात को मान रहे थे कि चीन का इस तरह शांति प्रस्ताव आना और रूस का साथ देना ड्रैगन की नई चाल हो सकती है, अब गुरुवार को पुतिन के बयान में बाद ये स्पष्ट हो गया. दरअसल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने जिनपिंग से मुलाकात के बाद कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र को सैन्य गुटों (नाटो) से मुक्त होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मॉस्को और बीजिंग के बीच बातचीत में ये साफ है दोनों शक्तियां एक स्वतंत्र विदेश नीति अपना रहे हैं, ताकि एशिया प्रशांत क्षेत्र में टिकाऊ शांति रह सके.

एक तरह से पुतिन ने अपने इस बयान से अमेरिका और अन्य नाटो देशों को ये संदेश देने की कोशिश की कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र में वह चीन के साथ है. पुतिन ने ये तो बताया कि चीन इस इलाके में स्थायी शांति चाहता है, लेकिन शायद वह ये नहीं जानते कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन अपना प्रभुत्व कायम करने की चाहत रखता है, समय-समय पर ये दिखता भी रहा है.

चीन ने कैसे चली चाल?

चीन ने बड़ी ही खूबसूरती से एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के दखल देने के अरमानों पर पानी फेर दिया. इसके लिए चीन ने पहले यूक्रेन को लेकर रूस का साथ दिया और बदले में पुतिन ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में समर्थन मांग लिया. इस तरह बिना किसी मेहनत के इस इलाके में चीन ने अमेरिका और नाटो के सामने खुद खड़े न होकर पुतिन को खड़ा कर दिया. बेशक पुतिन को ये लगे कि इसमें उनका फायदा है, हालांकि चीन ने ये पूरा गेम अपने लिए रचा है. पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा कहते हैं कि चीन लगातार रूस की मदद कर रहा है, सीधे तौर पर भले ही वह हथियार न दे रहा हो, लेकिन जरूरी कंपोनेट्स उपलब्ध करा रहा है. अमेरिका लगातार रूस और चीन पर प्रतिबंध लगाता रहा है. इस तरह देखा जाए तो दोनों ही देश अमेरिका से पीड़ित है. इसीलिए दोनों अब इकट्ठे होकर अमेरिका का मुकाबला करने को तैयार हैं.

एशिया प्रशांत क्षेत्र में नाटो को लाना चाहता है अमेरिका

पुतिन ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन का समर्थन करके ड्रैगन का अहसान तो चुका दिया, अब मुश्किल अमेरिका के लिए है जो एशिया में नाटो का विस्तार करना चाहता है. दरअसल अमेरिका और उसके सहयोगी देश ये चाहते हैं कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियों पर लगाम लगाई जाए. चीन इस बात से आशंकित है, इसलिए वह पिछले कई दिनों ये नरैटिव फैलाने की कोशिश में था कि अमेरिका यूरोप के बाद एशिया में हावी होने की रणनीति बना रहा है. लुथियाना में पिछले दिनों हुई नाटो की बैठक में चीन को रोकने पर बातचीत हुई थी.

नाटो कर चुका है कोशिश

पुतिन के बयान के बाद नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा है कि अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य गुट की एशिया में विस्तार करने की कोई योजना नहीं है. बेशक वह चीन को एक प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखता है और क्षेत्र की घटनाओं पर नजर रखेगा. नाटो ये भी ऐलान कर चुका है कि वह इंडो पैसिफिक भागीदारों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाएगा. अमेरिका जापान, साउथ कोरिया, थाईलैंड, फिलीपींस और ऑस्ट्रेलिया से अलग-अलग संधि गठबंधन भी कर चुका है.

जिनपिंग ने दी चेतावनी

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चेतावनी दी है कि शीत युद्ध के दौरान देखी गई ब्लॉक राजनीति वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है. गाजा और यूक्रेन इसी का परिणाम हैं. शी ने पुतिन से मुलाकात के बाद कहा कि दुनिया में, शीत युद्ध की मानसिकता अभी भी है, एक तरफा आधिपत्य, गुट टकराव और सत्ता की राजनीति पूरी दुनिया के लिए खतरा बन गई है. उन्होंने इजराइल और फिलिस्तीन के बीच की शत्रुता तुरंत समाप्त करने की वकालत की. जिनपिंग ने ये भी कहा कि मॉस्को और बीजिंग के बीच दोस्ती दो शक्तियों का मिलन और आपसी सम्मान, विश्वास और दोस्ती की विशेषता है.

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