Govardhan Puja Date: 1 या 2 नवंबर... कब है गोवर्धन पूजा? दूर करें कंफ्यूजन

Govardhan Puja Date - 1 या 2 नवंबर... कब है गोवर्धन पूजा? दूर करें कंफ्यूजन
| Updated on: 01-Nov-2024 07:40 PM IST
Govardhan Puja Date: दिवाली का महापर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें चौथे दिन गोवर्धन पूजा का आयोजन होता है। यह पर्व विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण की कृपा को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसे अन्नकूट भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन विशेष रूप से अन्नकूट का भोग तैयार किया जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के अनाज और व्यंजन शामिल होते हैं।

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करना है। इस दिन घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाई जाती है और पूरे परिवार के साथ उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस पूजा के माध्यम से लोग जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं। गोवर्धन महाराज की पूजा से व्यक्ति के सभी दुख-दर्द दूर होने का विश्वास होता है।

गोवर्धन पूजा की तिथि 2024

इस वर्ष गोवर्धन पूजा को लेकर थोड़ी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। जानकारी के अनुसार, गोवर्धन पूजा 2024 में 2 नवंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। कार्तिक प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर, शाम 6 बजकर 16 मिनट पर प्रारंभ होगी और 2 नवंबर, रात 8 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। इस आधार पर, उदया तिथि के अनुसार पूजा का आयोजन 2 नवंबर को होगा।

शुभ मुहूर्त

2024 में गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर को शाम 6 बजकर 30 मिनट से लेकर 8 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस अवधि के दौरान भक्तजन गोवर्धन महाराज की पूजा कर सकते हैं। पूजा का यह समय विशेष फलदायी माना जाता है, और इस दौरान की गई पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

गोवर्धन पूजा का भोग

गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट का भोग बनाना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस दिन भगवान कृष्ण के लिए 56 भोग का प्रसाद भी तैयार किया जाता है। घर में बने विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को भगवान को अर्पित किया जाता है, जो भक्तों की श्रद्धा को दर्शाता है।

घर पर गोवर्धन पूजा कैसे करें?

  1. स्नान और पूजा: गोवर्धन पूजा के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें।

  2. प्रतिमा बनाना: दोपहर के समय घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाएं। साथ ही गाय, बछड़े और ब्रज की भी प्रतिमाएं बनाएं।

  3. सजावट: गोवर्धन महाराज और सभी प्रतिमाओं को फूलों और खील से सजाएं।

  4. पूजा विधि: शुभ मुहूर्त में गोवर्धन महाराज को रोली, अक्षत और चंदन अर्पित करें। परिवार के सभी सदस्य गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाएं और भजन गाएं।

  5. अर्पण: दूध, पान, खील, बताशे और अन्नकूट आदि वस्तुएं अर्पित करें।

  6. परिक्रमा: अंत में पानी में दूध मिलाकर गोवर्धन महाराज की सात बार परिक्रमा करें।

  7. आरती: परिक्रमा करने के बाद घी का दीपक जलाएं और आरती करें। इसके बाद गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाएं और घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।

निष्कर्ष

गोवर्धन पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिन की गई पूजा और भक्ति व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और खुशियों का संचार करती है। इस दिवाली, गोवर्धन पूजा के इस महापर्व को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाने का संकल्प लें और अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करें।

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