जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर में 2019 से अब तक 2,300 लोगों पर यूएपीए के तहत केस दर्ज, आधे जेल में: खबर

जम्मू-कश्मीर - जम्मू-कश्मीर में 2019 से अब तक 2,300 लोगों पर यूएपीए के तहत केस दर्ज, आधे जेल में: खबर
| Updated on: 05-Aug-2021 01:25 PM IST
जम्मू: जम्मू कश्मीर में 2019 से लेकर अब तक प्रशासन ने करीब 1200 केसों में 2300 लोगों पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत कार्रवाई की है। इसके अलावा 954 लोगों पर सार्वजनिक सुरक्षा कानून (PSA) के तहत एक्शन लिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि दो सालों में UAPA के तहत पकड़े गए 46 फीसदी, जबकि PSA के तहत हिरासत में रखे गए 30% लोग अब भी जेल में ही हैं।

द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से देखे गए आधिकारिक डेटा के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 2019 में PSA के तहत 699 लोगों को हिरासत में लिया गया, वहीं 2020 में 160 और 2021 में जुलाई अंत तक 95 लोगों को इसी कानून के तहत बंद किया जा चुका है। इनमें से 284 लोगों को प्रशासन ने अब तक आजाद नहीं किया है। जानकारी के मुताबिक, राज्य से 5 अगस्त 2019 को विशेष दर्जा छिनने के एक महीने के अंदर ही 290 लोगों को पीएसए के अंतर्गत हिरासत में ले लिया गया था। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला से लेकर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं के नाम शामिल थे। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, जो लोग हिरासत में लिए गए थे, उनमें 250 अकेले कश्मीर से थे।

दूसरी तरफ UAPA के तहत पिछले दो सालों में 2364 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें 2019 में 437 केसों 918 गिरफ्तारियां हुईं, जबकि 2020 में 557 केसों में 953 को गिरफ्तार किया गया। इस साल जुलाई अंत तक 3275 केसों में 493 लोग गिरफ्तार किए गए। मौजूदा समय में इनमें से 1100 लोग कस्टडी में ही रखे गए हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पीएसए और यूएपीए के अलावा सीआरपीसी की धारा 107 के तहत 2019 में 5500 लोगों को प्रिवेंटिव कस्टडी में रखा गया। हालांकि, गृह विभाग का साफ कहना है कि इन सभी को छोड़ा जा चुका है।

बता दें कि 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के दौरान गुपकार गठबंधन के नेताओं ने इन कड़े कानूनों के तहत जेल में बंद लोगों को जल्द से जल्द छोड़ने की अपील की थी। जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने इसे सरकार के प्रति विश्वास बढ़ाने वाला कदम करार दिया था।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पीडीपी के प्रवक्ता सुहैल बुखारी ने कहा, “एक तरफ तो सरकार इतने लोगों को हिरासत में रखकर जमीन पर बड़े बदलावों की बात करती है, उधर संसद में कहती है कि शांति के बाद ही जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाएगा। इनमें से एक ही स्थिति सही हो सकती है।” वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के प्रांतीय अध्यक्ष असलम वानी ने कहा कि उन्हें (सरकार को) कैदियों को जम्मू-कश्मीर में ही रखना चाहिए, ताकि कम से कम उनके परिवार तो उनसे मिल सकें।

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