Pahalgam Terrorist Attack: जम्मू-कश्मीर के शांत और सुरम्य पहलगाम इलाके में आज जो कुछ घटा, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। आतंकी हमले में 30 लोगों के मारे जाने की आशंका है, जिनमें दो विदेशी नागरिक—एक इजरायली और एक इटली के पर्यटक—भी शामिल हैं। इस घटना में कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यह हमला केवल निर्दोष लोगों की हत्या नहीं, बल्कि भारत की एकता, अखंडता और सामाजिक समरसता पर सीधा हमला है।
सूत्रों के अनुसार, लगभग 5 से 10 आतंकवादियों ने पर्यटकों को निशाना बनाते हुए अत्यंत निर्ममता से गोलियां चलाईं। हमला इतना अचानक और तेज था कि स्थानीय सुरक्षा बलों को प्रतिक्रिया देने में एक घंटे का समय लग गया, इस दौरान आतंकी पास के जंगलों में भाग निकले। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि आतंकियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर उन्हें सिर में गोली मारी, जो इस हमले को और भी नृशंस बना देता है।
हमले के तुरंत बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली स्थित अपने आवास पर एक उच्च स्तरीय बैठक की। इसके पश्चात वे तुरंत श्रीनगर पहुंचे, जहां वे राज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ मिलकर स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी शाह को हालात की पूरी जानकारी दी है।
इस हमले की चारों ओर तीव्र निंदा हो रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने इसे देश की अखंडता पर किया गया दुस्साहसी प्रहार बताया और मृतकों को श्रद्धांजलि दी। संघ ने सरकार से हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह समय एकजुट होकर प्रतिक्रिया देने का है। उन्होंने केंद्र सरकार से सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों को विश्वास में लेने का आग्रह किया।
पहलगाम की इस दर्दनाक घटना के बाद देशभर में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। कश्मीर के बारामूला में स्थानीय लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर इस नृशंसता के विरुद्ध अपना विरोध जताया। यह स्पष्ट संकेत है कि घाटी के आम लोग भी आतंक के विरुद्ध हैं और शांति की ओर बढ़ना चाहते हैं।
इस हमले ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह केवल जम्मू-कश्मीर की समस्या नहीं, बल्कि पूरे देश की अस्मिता से जुड़ा सवाल है। सरकार को चाहिए कि वह त्वरित और निर्णायक कदम उठाकर दोषियों को न्याय के कटघरे में लाए, साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाए।
यह वक्त है एकजुट होकर खड़े होने का, राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए साझा संकल्प लेने का। पहलगाम के निर्दोषों की जान गई है, पर हमारी इच्छाशक्ति को झुका नहीं सकी।