देश: नेताओं के खिलाफ 4442 आपराधिक मामले चल रहे, 25 पेज लिखकर सुप्रीम कोर्ट को बताया

देश - नेताओं के खिलाफ 4442 आपराधिक मामले चल रहे, 25 पेज लिखकर सुप्रीम कोर्ट को बताया
| Updated on: 10-Sep-2020 09:01 AM IST
Delhi: देशभर में राजनेताओं के खिलाफ 4,442 आपराधिक मामलों में सुनवाई चल रही है। इनमें से 2556 मामले मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट को सभी हाईकोर्ट द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। शीर्ष अदालत संसद और विधानसभाओं में चुने जन प्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों का तेजी से निपटारा करने के मुद्दे पर विचार करने को दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है।

इसी के तहत सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को नेताओं के खिलाफ लंबित मामलों की जानकारी देने का निर्देश दिया था। मामले में एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने सभी हाईकोर्ट से मिली जानकारी को इकट्ठा कर अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 4,442 मामले लंबित हैं, जिनमें से 2556 मामलों में मौजूदा सांसद व विधायक आरोपी हैं। 25 पेज के हलफनामे में कहा गया है कि इनमें संलिप्त जनप्रतिनिधियों की संख्या मामलों से ज्यादा है क्योंकि एक मामले में एक से ज्यादा निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल हैं। भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर कोर्ट के आदेश पर यह रिपोर्ट दाखिल की गई है।

यूपी में सबसे ज्यादा मामले लंबित

रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में राजनेताओं के खिलाफ सबसे ज्यादा 1217 मामले लंबित हैं। इनमें से 446 मामले मौजूदा सांसदों व विधायकों के खिलाफ हैं। इसके बाद बिहार में 531 मामलों में से 256 में वर्तमान विधि निर्माता आरोपी हैं। रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने 352 मामलों की सुनवाई पर रोक लगाई है। 413 मामले ऐसे अपराधों से संबंधित हैं जिनमें उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। इनमें से 174 मामलों में पीठासीन निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल हैं।


निपटारे के लिए विशेष कोर्ट बनें

रिपोर्ट में मामलों का तेजी से निपटारा करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। इनमें सांसदों और विधायकों के मामलों के लिए हर जिले में विशेष अदालत बनाने का सुझाव दिया गया है। इन विशेष अदालतों को उन मामलों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिनमें अपराध के लिए मौत की सजा या उम्र कैद का प्रावधान है। इसके बाद सात साल की कैद की सजा के अपराधों को लेना चाहिए। वहीं मौजूदा सांसदों व विधायकों के मामलों को प्राथमिकता दी जाए।



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