Share Market News: मंगलवार, 29 जुलाई 2025 को शेयर बाजार में लगातार चौथे दिन गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही सूचकांकों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। बाजार खुलते ही सेंसेक्स करीब 300 अंकों की गिरावट के साथ 80,575.45 के निचले स्तर पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 0.30% गिरकर 24,598.60 पर आ गया। पिछले चार कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स में 2,100 अंकों (लगभग 3%) और निफ्टी में 2.5% की गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट ने निवेशकों की संपत्ति को 13 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाया है। आइए, इस गिरावट के प्रमुख कारणों और बाजार में तेजी की संभावनाओं को विस्तार से समझते हैं।
सेंसेक्स: मंगलवार को सेंसेक्स अपने पिछले बंद स्तर 80,891.02 से 300 अंक (0.40%) नीचे 80,575.45 पर पहुंच गया। चार सत्रों में कुल 2,100 अंकों की गिरावट।
निफ्टी: निफ्टी 0.30% की गिरावट के साथ 24,598.60 के निचले स्तर पर। चार सत्रों में 2.5% की कमी।
निवेशकों का नुकसान: बीएसई-लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 23 जुलाई को 460.35 लाख करोड़ रुपये से घटकर 29 जुलाई को 447 लाख करोड़ रुपये पर आ गया, जिससे निवेशकों को 13 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 1 अगस्त की डेडलाइन के बावजूद भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील में प्रगति नहीं हो रही है। खास तौर पर एग्रीकल्चर सेक्टर में सहमति न बनने के कारण यह डील अटकी हुई है। इससे निवेशकों के सेंटीमेंट्स कमजोर हुए हैं और भू-राजनीतिक तनाव व आर्थिक अनिश्चितताओं की आशंका बढ़ गई है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जुलाई में भारतीय शेयर बाजार से 7,923 करोड़ रुपये निकाले। सोमवार को ही 6,081 करोड़ रुपये (700.92 मिलियन डॉलर) की बिकवाली हुई, जो 30 मई के बाद सबसे बड़ी एकल-दिवसीय बिकवाली थी। यह निकासी बाजार में अस्थिरता का प्रमुख कारण बनी हुई है।
डॉलर के मुकाबले रुपये में 1.50% की गिरावट दर्ज की गई। मंगलवार को रुपया 18 पैसे टूटकर 86.88 के स्तर पर पहुंच गया। डॉलर की बढ़ती मांग और विदेशी मुद्रा बाजार में दबाव के कारण यह गिरावट देखी जा रही है, जो शेयर बाजार पर अतिरिक्त दबाव डाल रही है।
पहली तिमाही के कॉरपोरेट नतीजे उम्मीदों से कमजोर रहे हैं। उदाहरण के लिए, कोटक बैंक ने पहली तिमाही में 47% की प्रॉफिट गिरावट दर्ज की। आईटी कंपनियों के नतीजे भी निराशाजनक रहे, जिससे बाजार में दबाव बढ़ा है।
अमेरिका में आईटी नीति: ट्रंप ने अमेरिकी आईटी कंपनियों से भारतीय पेशेवरों को नौकरी न देने का निर्देश दिया, जिससे भारतीय आईटी शेयरों पर दबाव बढ़ा।
फार्मा सेक्टर पर टैरिफ: अमेरिका द्वारा भारतीय फार्मा सेक्टर पर 50% टैरिफ ने इस सेक्टर के शेयरों को प्रभावित किया।
भू-राजनीतिक तनाव: ट्रंप का रूस को 12 दिनों में युद्ध समाप्त करने का अल्टीमेटम भी बाजार पर दबाव डाल रहा है।
या वेल्थ ग्लोबल रिसर्च के डायरेक्टर अनुज गुप्ता के अनुसार, ट्रेड डील में देरी शेयर बाजार की गिरावट का प्रमुख कारण है। अमेरिका ने यूरोप, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ ट्रेड डील पूरी कर ली है और अब चीन के साथ बातचीत कर रहा है। भारत के साथ डील में देरी के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक भारत-अमेरिका ट्रेड डील फाइनल नहीं होती, बाजार में स्थिरता की उम्मीद कम है।
हालांकि, कुछ सकारात्मक संकेत भी हैं:
संभावित सुधार: यदि ट्रेड डील में प्रगति होती है, तो निवेशकों का भरोसा लौट सकता है।
मौद्रिक नीति में राहत: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ब्याज दरों में कटौती या अन्य प्रोत्साहन उपाय बाजार को सहारा दे सकते हैं।
वैश्विक संकेत: वैश्विक बाजारों में स्थिरता और रुपये की स्थिति में सुधार से भी बाजार को सपोर्ट मिल सकता है।