इंडिया: अमेरिका में 9/11 हो या मुंबई में 26/11, इनके साज़िशकर्ता कहां मिलते हैं?: पीएम मोदी

इंडिया - अमेरिका में 9/11 हो या मुंबई में 26/11, इनके साज़िशकर्ता कहां मिलते हैं?: पीएम मोदी
| Updated on: 23-Sep-2019 10:23 AM IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम में बोले एनआरजी (स्टेडियम का नाम जिसमें कार्यक्रम हुआ) की एनर्जी (उर्जा) भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती सिनर्जी (तालमेल) की गवाह है। उन्होंने कहा कि आज जो यहां माहौल है वह केवल अंकगणित तक सीमित नहीं है। हम यहां एक नयी हिस्ट्री और नयी कैमिस्ट्री बनते हुए देख रहे है। प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान नाम लिए बिना ही उस पर निशाना साधा और उसके पापों पर आइना दिखाने की कोशिश की। उन्होंने यहां महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से लेकर कई मुद्दों पर अपनी बात रखी।

1- कई भाषाएं हमारे उदार एवं लोकतांत्रिक समाज की पहचान हैं : विविधता हमारे लोकतंत्र का आधार है।

2- हालिया चुनावों ने दुनिया भर में भारतीय लोकतंत्र की महानता को प्रदर्शित किया, अमेरिका की जनसंख्या से दोगुना, 61 करोड़ लोगों ने मतदान किया ।

3- नये भारत के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत दिन-रात काम कर रहा है, हम खुद को चुनौती दे रहे हैं और खुद को बदल रहे हैं ।

4- भारत ने एक नयी चुनौती को भी 'फेयरवेल दिया है, यह विषय है अनुच्छेद 370 को खत्म करना । उन्होंने कहा जनता के वेलफेयर के लिए महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर देश से ओपन डिफेक्शन का फेयरवेल किया जाएगा। उन्होंने देशभर में चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान की भी चर्चा की।

5-उच्च सदन में सरकार का बहुमत नहीं होने के बावजूद अनुच्छेद 370 को समाप्त करने संबंधी फैसले को संसद ने दो तिहाई बहुमत से पारित किया ।

6- कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने संबंधी भारत के कदम का विरोध करने के लिए पाकिस्तान का नाम लिए बिना, मोदी ने कहा कि इसका विरोध वे लोग कर रहे हैं जिनसे अपना देश नहीं संभल रहा।

8- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, दुनियाभर में आतंक को एक्सपोर्ट करने वाले देश के बारे में सबको पता है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की प्रतिबध्दता को सराहते हुए स्टेडियम में मौजूद दर्शकों से राष्ट्रपति ट्रंप के लिए स्टैंडिंग ओवेशन दिलाया।

9- पूरी दुनिया में सबसे सस्ता डेटा भारत में है, इसने शासन को पुन: परिभाषित किया है

10- विदेशों में हमारे दूतावास और वाणिज्य दूतावास अब केवल सरकारी कार्यालय नहीं, आपके (विदेशों में रह रहे लोगों के) पहले साथी हैं।

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