Reserve Bank Of India: हो गई बड़ी भविष्यवाणी, आरबीआई अप्रैल में कितना सस्ता करेगी लोन ईएमआई

Reserve Bank Of India - हो गई बड़ी भविष्यवाणी, आरबीआई अप्रैल में कितना सस्ता करेगी लोन ईएमआई
| Updated on: 28-Mar-2025 06:00 AM IST

Reserve Bank Of India: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) आने वाले महीनों में नीतिगत दरों में कटौती कर सकती है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा। प्रतिष्ठित क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुताबिक, अप्रैल 2025 में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती संभव है। यदि यह अनुमान सही साबित होता है, तो उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए कर्ज सस्ता हो सकता है।

इंडिया रेटिंग्स का विश्लेषण

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत का कहना है कि वित्त वर्ष 2024-25 में हेडलाइन मुद्रास्फीति घटकर 4.7 प्रतिशत तक आ सकती है। इसके आधार पर, RBI वर्ष 2025-26 में कुल 0.75 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। हालांकि, अमेरिका द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्क या अन्य वैश्विक आर्थिक कारकों के कारण, नीतिगत ढील और अधिक बढ़ने की संभावना भी है।

अप्रैल 2025 में सस्ता हो सकता है कर्ज

मौद्रिक नीति समिति (MPC) अप्रैल 2025 में रेपो दर को 6.25 प्रतिशत तक ला सकती है, जिससे बैंकिंग सेक्टर में ब्याज दरों में गिरावट आ सकती है।

  • मई 2022 से फरवरी 2023 तक, RBI ने लगातार 2.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर रेपो दर को 6.5 प्रतिशत तक बढ़ाया था।

  • फरवरी 2025 में इसमें 0.25 प्रतिशत की कटौती की गई थी, और अब यह 6.25 प्रतिशत पर है।

  • अगर अप्रैल 2025 में 0.25 प्रतिशत की और कटौती होती है, तो यह 6.0 प्रतिशत तक आ सकती है।

वित्त वर्ष 2025-26 में कुल 0.75% कटौती संभव

रेटिंग एजेंसी का मानना है कि आरबीआई तीन चरणों में कुल 0.75 प्रतिशत की नीतिगत दर कटौती कर सकता है। इससे 2025-26 के अंत तक रेपो दर 5.5 प्रतिशत तक आ सकती है। इसके साथ ही, औसत मुद्रास्फीति लगभग 4 प्रतिशत रहने की संभावना है, जिससे वास्तविक (Real) रेपो दर 1.5 प्रतिशत होगी।

आर्थिक विकास और आरबीआई की रणनीति

आरबीआई के हालिया बयानों से यह स्पष्ट होता है कि केंद्रीय बैंक की प्राथमिकता मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है, लेकिन साथ ही वह आर्थिक वृद्धि को भी बढ़ावा देना चाहता है।

  • फरवरी 2025 की मौद्रिक नीति बैठक में यह संकेत दिया गया कि आरबीआई धीमी विकास दर को लेकर सतर्क है।

  • महंगाई के स्थिर रहने पर, रेपो दर में और कटौती संभव है, जिससे लोन की दरें और कम हो सकती हैं।

  • यदि महंगाई 4% के स्तर से नीचे बनी रहती है, तो RBI की मौद्रिक नीति अधिक लचीली हो सकती है।

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