Gautam Adani News: अडानी ने 5 साल का बनाया 'मास्टर प्लान', इकोनॉमी में ऐसे डालेंगे जान

Gautam Adani News - अडानी ने 5 साल का बनाया 'मास्टर प्लान', इकोनॉमी में ऐसे डालेंगे जान
| Updated on: 03-Mar-2025 10:24 AM IST

Gautam Adani News: एशिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी गौतम अडानी ने अपने अगले पांच वर्षों के मास्टर प्लान का खुलासा किया है, जिसके तहत वह हर साल एक लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने की योजना बना रहे हैं। कुल मिलाकर, अगले पांच वर्षों में अडानी समूह 5 लाख करोड़ रुपए (लगभग 57.16 बिलियन डॉलर) का निवेश करेगा। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत, समूह इक्विटी बेचकर 12.5 बिलियन डॉलर से अधिक जुटाने की तैयारी कर रहा है।

कैसे किया जाएगा फंडिंग का प्रबंध?

अडानी समूह के ग्रुप सीएफओ जुगेशिंदर सिंह के अनुसार, अगले पांच वर्षों के लिए औसत पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) 1 लाख करोड़ रुपए से थोड़ा अधिक होगा। इसके तहत, कंपनी हर साल लगभग 2.5 अरब डॉलर की इक्विटी जुटाएगी, जो मुख्य रूप से राइट्स इश्यू या योग्य संस्थागत प्लेसमेंट (QIP) के माध्यम से किया जाएगा।

निवेश का मुख्य फोकस क्षेत्र

2019 से 2024 के बीच अडानी समूह ने 13.8 बिलियन डॉलर की इक्विटी जुटाई थी, जो रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद किसी भी भारतीय कंपनी द्वारा की गई सबसे बड़ी फंड रेजिंग थी। अब अगले पांच वर्षों में किए जाने वाले निवेश का 85% हिस्सा निम्नलिखित क्षेत्रों में जाएगा:

  • ग्रीन एनर्जी और पावर ट्रांसमिशन: नवीकरणीय ऊर्जा में अडानी ग्रुप पहले से ही बड़ा निवेश कर रहा है, और आने वाले वर्षों में इसमें और वृद्धि होगी।

  • बिजली उत्पादन और वितरण: ऊर्जा क्षेत्र में विस्तार और अत्याधुनिक बिजली ग्रिड के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

  • एयरपोर्ट और पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर: देश और विदेश में नए हवाई अड्डों और बंदरगाहों के विकास में निवेश किया जाएगा।

इसके अलावा, शेष 15% निवेश मेटल, सामग्री, तांबा और खनन क्षेत्रों में किया जाएगा।

वित्तीय स्थिति और कर्ज का प्रभाव

30 सितंबर, 2024 तक अडानी समूह के पास 53,024 करोड़ रुपए का कैश रिजर्व था, जो कि उसके कुल ग्रॉस लोन का 20.5% है। समूह की योजना है कि 2028-29 तक इसका एबिटा (EBITDA) नेट लोन का तीन गुना हो जाएगा और सालाना कैश फ्लो 1.7 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ जाएगा।

घरेलू बैंकों का बढ़ता एक्सपोजर

समूह की हाल ही में घोषित 100 बिलियन डॉलर की कैपेक्स योजना के अनुसार, जैसे-जैसे व्यावसायिक परियोजनाएं पूरी होंगी, नेट लोन 2028 तक घटकर 2031 तक 1.3 गुना रह जाएगा। इस दौरान, घरेलू बैंकों का एक्सपोज़र बढ़ेगा, जबकि विदेशी उधारदाताओं (लेंडर्स) का जोखिम कम होगा। मौजूदा समय में समूह की बैंकिंग का 40% हिस्सा वैश्विक पूंजी से और 40% घरेलू बाजार से आता है, जबकि शेष 20% प्रोजेक्ट फेज के आधार पर ट्रांसफर होता है।

सितंबर 2023 के अंत तक अडानी ग्रुप पर कुल 2.58 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था, जिसमें घरेलू बैंकों की हिस्सेदारी 42% और वैश्विक बैंकों की 27% थी।

कैसे होगा रिस्क मैनेजमेंट?

अडानी समूह ने इस मास्टर प्लान के तहत फंडिंग और निवेश रणनीतियों को पूरी तरह से मैनेज करने का दावा किया है। कंपनी का इन्फ्रास्ट्रक्चर मॉडल असेट्स के पूरे होने के बाद एकाधिकार जैसा रिटर्न देता है, जिसमें रखरखाव खर्च कम होता है। अन्य बुनियादी ढांचे और मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस में जहां 30-40% खर्च होता है, वहीं अडानी के इंफ्रास्ट्रक्चर बिजनेस में यह केवल 5-6% ही होता है।

निष्कर्ष

गौतम अडानी का आगामी पांच सालों का मास्टर प्लान भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी, और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में बड़े बदलाव लाने वाला है। इस योजना से न केवल देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी, बल्कि अडानी समूह की वैश्विक स्तर पर भी पकड़ मजबूत होगी। समूह की रणनीति स्पष्ट रूप से दीर्घकालिक विकास और सतत वित्तीय स्थिरता की ओर इशारा करती है।

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