बिजनेस: नोटबंदी के बाद काला धन से सोना खरीदने वालों पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ला रही है खास स्कीम

बिजनेस - नोटबंदी के बाद काला धन से सोना खरीदने वालों पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ला रही है खास स्कीम
| Updated on: 30-Oct-2019 12:01 PM IST
नई दिल्ली | नोटबंदी (Demonetisation) के बाद काले धन (Black Money) पर मोदी सरकार (Modi Government) दूसरा बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है. काला धन से सोना (Gold) खरीदने वालों पर लगाम लगाने के सरकार खास स्कीम ला सकती है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक इनकम टैक्स (Income Tax) की एमनेस्टी स्कीम के तर्ज पर सोने के लिए एमनेस्टी स्कीम (Amnesty Scheme) ला सकती है. एक तय मात्रा से ज्यादा बगैर रसीद वाले गोल्ड होने पर उसकी जानकारी देनी होगी और गोल्ड की कीमत सरकार को बतानी होगी.

तय मात्रा में टैक्स देना होगा

सूत्रों के मुताबिक, इस एमनेस्टी स्कीम के तहत गोल्ड की कीमत तय करने के लिए वैल्यूएशन सेंटर से सर्टिफिकेट लेना होगा. बगैर रसीद वाले जितने गोल्ड का खुलासा करेंगे उस पर एक तय मात्रा में टैक्स देना होगा. ये स्कीम एक खास समय सीमा के लिए ही खोली जाएगी. स्कीम खत्म होने के बाद तय मात्रा से ज्यादा गोल्ड पाए जाने पर भारी जुर्माना देना होगा. मंदिर और ट्रस्ट के पास पड़े गोल्ड को भी प्रोडक्टिव इन्वेस्टमेंट के तौर पर इस्तेमाल करने के खास ऐलान लिए हो सकते हैं.

गोल्ड को एसेट क्लास के तौर पर बढ़ावा देने के भी हो सकते हैं ऐलान

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, एमनेस्टी स्कीम के साथ-साथ गोल्ड को एसेट क्लास के तौर पर बढ़ावा देने के भी ऐलान हो सकते हैं. इसके लिए सोवरन गोल्ड बॉन्ड स्कीम को आकर्षक बनाने के लिए अहम बदलाव किए जा सकते हैं. सोवरन गोल्ड बॉन्ड सर्टिफिकेट को मोर्गेज करने का भी विकल्प भी दिया जा सकता है और गोल्ड बोर्ड बनाने का ऐलान किया जा सकता है. सरकार की गोल्ड को प्रोडक्टिव इनवेस्टमेंट के तौर पर विकसित करने की मंशा है. इसके लिए आईआईएम के प्रोफेसर की सिफारिश के आधार पर मसौदा तैयार किया गया है.

वित्त मंत्रालय ने अपना प्रस्ताव कैबिनेट के पास भेजा

सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक अफेयर्स विभाग और राजस्व विभाग ने मिलकर इस स्कीम का मसौदा तैयार किया है. वित्त मंत्रालय ने अपना प्रस्ताव कैबिनेट के पास भेजा है. जल्द कैबिनेट से इसको मंजूरी मिल सकती है. अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में ही कैबिनेट में इस पर चर्चा होनी थी. महाराष्ट्र और हरियाणा के राज्य चुनाव की वजह से आखिर समय पर फैसला टाला गया.

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