Akash Deep News: आकाश दीप से मिलने पर था बैन, सोना पड़ा ग्राउंड में... सामने आया दर्द

Akash Deep News - आकाश दीप से मिलने पर था बैन, सोना पड़ा ग्राउंड में... सामने आया दर्द
| Updated on: 07-Jul-2025 07:20 PM IST

Akash Deep News: एजबेस्टन टेस्ट में भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज आकाश दीप ने इतिहास रच दिया। इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए इस मैच में, जहां जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में उन्हें मौका मिला, आकाश ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 10 विकेट हासिल किए। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि बिहार के सासाराम के छोटे से गांव बड्डी से निकले इस खिलाड़ी की प्रेरणादायक कहानी को भी दुनिया के सामने ला दिया। मैच के बाद उनका एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने अपने शुरुआती दिनों की चुनौतियों और क्रिकेट के प्रति अपने जुनून को साझा किया।

आकाश दीप का दर्दनाक सफर

बिहार के रोहतास जिले के सासाराम के पास बड्डी गांव में जन्मे आकाश दीप का क्रिकेटर बनने का सफर कांटों भरा रहा। उनके पिता, स्वर्गीय रामजी सिंह, एक स्कूल शिक्षक थे, जो अपने बच्चों को पढ़ाई-लिखाई के जरिए बेहतर भविष्य देने का सपना देखते थे। आकाश ने यूट्यूब चैनल स्पोर्ट्स लॉन्चपैड को दिए एक इंटरव्यू में बताया, “पिताजी शिक्षक थे, और क्रिकेट खेलकर देर रात घर लौटना मुश्किल होता था। नाइट टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के बाद कई बार इतनी रात हो जाती थी कि हम मैदान पर ही सो जाते थे और सुबह घर लौटते थे।”

गांव में क्रिकेट को गंभीरता से नहीं लिया जाता था। आकाश को छिप-छिपकर क्रिकेट खेलना पड़ता था, क्योंकि वहां के लोग इसे समय की बर्बादी मानते थे। उन्होंने खुलासा किया, “माता-पिता अपने बच्चों को मुझसे दूर रहने को कहते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि क्रिकेट खेलने से भविष्य खराब हो जाएगा। उन्हें इस खेल के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी।” इस सामाजिक दबाव और जागरूकता की कमी के बावजूद, आकाश के लिए क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि उनका जुनून था।

व्यक्तिगत त्रासदियों और आर्थिक चुनौतियां

आकाश की जिंदगी तब और मुश्किल हो गई, जब उन्होंने 19 साल की उम्र में अपने पिता और कुछ महीनों बाद अपने भाई को खो दिया। इस दुखद दौर में क्रिकेट उनके लिए एकमात्र सहारा बना। परिवार की आर्थिक तंगी और गांव में क्रिकेट की सुविधाओं की कमी ने उनके सामने कई रुकावटें खड़ी कीं, लेकिन आकाश ने हार नहीं मानी। उनकी प्रतिबद्धता और मेहनत ने उन्हें बिहार से बंगाल तक का सफर तय कराया, जहां बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पर बैन के कारण उन्हें घरेलू क्रिकेट खेलने का मौका मिला। बंगाल में उन्होंने अपनी प्रतिभा को निखारा और धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।

एजबेस्टन में चमका बिहार का सितारा

एजबेस्टन टेस्ट में आकाश दीप ने न केवल अपनी गेंदबाजी से बल्लेबाजों को परेशान किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कठिन परिस्थितियों से निकलकर विश्व स्तर पर सफलता हासिल की जा सकती है। उनके 10 विकेट, जिसमें इंग्लैंड के प्रमुख बल्लेबाजों के विकेट शामिल थे, ने क्रिकेट पंडितों और प्रशंसकों को हैरान कर दिया। उनकी गति, स्विंग, और सटीक लाइन-लेंथ ने भारत को एक ऐतिहासिक जीत दिलाई।

मैच के बाद अपने वायरल इंटरव्यू में आकाश ने कहा, “यह मेरे लिए सिर्फ एक मैच नहीं था, बल्कि मेरे गांव, मेरे परिवार, और मेरे उन सपनों की जीत थी, जिन्हें मैंने हर मुश्किल में संजोया।” उनकी यह बात न केवल उनके जुनून को दर्शाती है, बल्कि उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो छोटे शहरों और गांवों से निकलकर बड़े सपने देखते हैं।

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