Anil Ambani News: उद्योगपति अनिल अंबानी के कार्यालयों और ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी लगातार तीसरे दिन भी जारी है। यह कार्रवाई 3000 करोड़ रुपये से अधिक के कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ी है, जिसमें कुछ सूत्रों का दावा है कि घोटाले की रकम 24,000 करोड़ रुपये तक हो सकती है। गुरुवार सुबह 7 बजे शुरू हुई यह जांच शनिवार को भी रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (RAAGA) के मुंबई स्थित प्रमुख दफ्तरों और अन्य ठिकानों पर चल रही है।
ईडी की टीमें रिलायंस ग्रुप से जुड़े दस्तावेजों, डिजिटल डेटा और ट्रांजैक्शन से संबंधित बहीखातों की गहन छानबीन कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार, अनिल अंबानी की फाइनेंशियल डीलिंग्स, विशेष रूप से विदेशी निवेश, कर्ज के उपयोग और संबंधित कंपनियों की गतिविधियों पर ईडी का शक गहरा रहा है। 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से लिए गए लगभग 3000 करोड़ रुपये के कर्ज के कथित दुरुपयोग के मामले में भी जांच तेज कर दी गई है।
जांच में यह भी सामने आया है कि लोन स्वीकृत होने से ठीक पहले यस बैंक के प्रमोटरों से जुड़ी विभिन्न कंपनियों को धनराशि हस्तांतरित की गई थी। ईडी अब इन ट्रांजैक्शनों की गहराई से पड़ताल कर रही है, जिसमें पुराने फाइनेंशियल मामलों को भी शामिल किया गया है। इस कार्रवाई ने कारोबारी और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
रिलायंस ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया है। रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) ने अपने बयान में कहा, "यस बैंक के प्रमोटरों से जुड़ी निजी कंपनियों को दिए गए सभी लोन पूरी तरह से पारदर्शी प्रक्रिया के तहत और क्रेडिट कमेटी की स्वीकृति के बाद दिए गए थे। ये लोन पूरी तरह सुरक्षित थे, और इन्हें मूलधन और ब्याज सहित पूर्ण रूप से चुका दिया गया है। वर्तमान में कोई बकाया नहीं है।"
यह छापेमारी रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के लिए एक बड़े संकट का संकेत दे रही है। अनिल अंबानी, जिन्होंने एक समय देश के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में शुमार थे, हाल के वर्षों में वित्तीय संकटों से जूझ रहे हैं। ईडी की इस कार्रवाई ने न केवल उनके कारोबारी साम्राज्य पर सवाल उठाए हैं, बल्कि कॉरपोरेट गवर्नेंस और वित्तीय पारदर्शिता पर भी बहस छेड़ दी है।
सूत्रों का कहना है कि ईडी की टीमें अगले कुछ दिनों तक दस्तावेजों और डिजिटल डेटा की जांच जारी रखेंगी। इस मामले में और कंपनियों या व्यक्तियों के शामिल होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा रहा है। कारोबारी जगत और निवेशक इस मामले पर करीबी नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि इसका असर रिलायंस ग्रुप की कंपनियों और समग्र बाजार पर पड़ सकता है।