देश: ऑर्डर मिलने पर पीछे नहीं मुड़ेंगे, राजनाथ के PoK वाले बयान पर सेना

देश - ऑर्डर मिलने पर पीछे नहीं मुड़ेंगे, राजनाथ के PoK वाले बयान पर सेना
| Updated on: 02-Nov-2022 01:05 PM IST
Jammu And Kashmir | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस भारत में मिलाने के लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध है। उनके इस बयान के बाद चिनार कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एडीएस औजला ने कहा कि सेना को जो भी आदेश दिया गया है उस पर कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

श्रीनगर में कोर मुख्यालय में एक बातचीत के दौरान 15 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) ने कहा, "हम अपनी पारंपरिक क्षमताओं को सुधार रहे हैं। हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि जब कभी इसकी आवश्यकता हो तो हम पीछे मुड़कर न देखें।"

वहीं, नियंत्रण रेखा (एलओसी) की रखवाली के लिए जिम्मेदार कोर कमांडर ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते के बाद से पिछले 20 महीनों में भारतीय सेना की समग्र रक्षा तैयारियों को भारी प्रोत्साहन मिला है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा था कि भारत की उत्तर में विकास यात्रा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के गिलगित और बाल्टिस्तान के हिस्सों में पहुंचने के बाद पूरी होगी। उन्होंने पड़ोसी देश के अवैध कब्जे से इन क्षेत्रों को वापस लेने के संबंध में संसद में 1994 में पारित एक प्रस्ताव का जिक्र करते हुए यह बात कही थी। राजनाथ सिंह ने यहां 'शौर्य दिवस' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ''हमने जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विकास की अपनी यात्रा अभी शुरू की है। जब हम गिलगित और बाल्टिस्तान तक पहुंच जाएंगे तो हमारा लक्ष्य पूरा हो जाएगा।'' 

भारतीय वायु सेना के 1947 में आज ही के दिन श्रीनगर पहुंचने की घटना की याद में 'शौर्य दिवस' मनाया जाता है। इस मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा था कि पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 निरस्त करने के केंद्र के फैसले से जम्मू कश्मीर में लोगों के खिलाफ भेदभाव खत्म हो गया। उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के लोगों के खिलाफ भेदभाव खत्म हो गया। इससे क्षेत्र में उम्मीद की नयी किरण आई है।'' 

उन्होंने कहा था, ''कश्मीर और लद्दाख आज विकास के तीव्रगामी पथ पर हैं। क्षेत्र विकास की नयी ऊंचाइयां छू रहा है। हमने उत्तर की अपनी यात्रा शुरू ही की है। हमारी यात्रा तब पूरी होगी जब 22 फरवरी 1994 को संसद में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव पूरी तरह लागू हो जाए और हम गिलगित और बाल्टिस्तान जैसे अपने बाकी इलाकों में पहुंच जाएं।''

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