इंडिया: पाकिस्तान ने कश्मीर मामले पर संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखा, यूएन ने टिप्पणी से इनकार किया

इंडिया - पाकिस्तान ने कश्मीर मामले पर संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखा, यूएन ने टिप्पणी से इनकार किया
| Updated on: 09-Aug-2019 03:02 PM IST
न्यूयॉर्क. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी। इस पर सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष जोआना रोनेका ने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस को कुछ दिन पहले चिट्‌ठी लिखी था और कहा था कि भारत ने यूएनएससी के प्रस्तावों का उल्लंघन करके जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया है।

इस बीच, अमेरिका ने दोहराया कि कश्मीर को लेकर उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। वह भारत और पाकिस्तान के साथ मुद्दों को सुलझाने पर करीब से नजर रख रहा है। यह भी कहा कि कश्मीर मुद्दे को बिना किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के भारत और पाक के बीच द्विपक्षीय रूप से हल किया जाना चाहिए। इसी बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने को कहा। साथ ही दोनों देशों को जम्मू-कश्मीर की स्थिति को प्रभावित करने वाले कदम उठाने से बचने की अपील की। 

अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टागस ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के साथ हमारा बहुत जुड़ाव है। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान यहां आए थे। उनसे कश्मीर समेत कई अहम मुद्दों पर बात हुई। हमारे पास कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर हम भारत और पाकिस्तान के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करने की बात कही थी, हालांकि भारत ने इससे इनकार कर दिया था। बाद में ट्रम्प ने यह भी कहा कि मेरा मध्यस्थता करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निर्भर करता है।

तीसरा पक्ष मध्यस्थता नहीं कर सकता- गुटेरेस

गुटेरेस ने शिमला समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी तीसरा पक्ष मध्यस्थता नहीं कर सकता। उनके प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा कि महासचिव जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने दोनों देशों को शांति बनाए रखने को कहा है। महासचिव ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1972 के शिमला समझौते के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार, जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई भी फैसला शांतिपूर्ण तरीकों से ही किया जाना है। 

भारत सरकार ने सोमवार को अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी कर दिया था। साथ ही लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को एकतरफा और अवैध करार दिया था। साथ ही मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में ले जाने की बात कही थी।

पाक विदेश मंत्री चीन रवाना हुए

दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी शुक्रवार सुबह चीन के लिए रवाना हो गए। कुरैशी अपने चीनी समकक्ष वांग यी और अन्य नेताओं से मिलेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि इस दौरान कश्मीर मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। विदेश सचिव सोहैल भी उनके साथ गए हैं।

इमरान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन मांगा

उधर, इमरान ने भारत के अनुच्छेद 370 फैसले के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन मांगा। उन्होंने कहा था कि कश्मीरियों के खिलाफ ज्यादा सैन्य बल उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। कश्मीर में कर्फ्यू हटाए जाने के बाद कश्मीरियों के साथ क्या होगा, यह देखने के लिए पूरी दुनिया इंतजार कर रही है। भाजपा सरकार कश्मीरियों के खिलाफ सैन्य बल का इस्तेमाल करके सोचती है कि उनके स्वतंत्रता आंदोलन को रोक दिया जाएगा। घाटी में भय का माहौल है।

पाक ने कहा कि वह भारत के अनुच्छेद 370 पर लिए गए फैसले के खिलाफ हरसंभव कोशिश करेगा। पाकिस्तान ने बुधवार को भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों को खत्म करने और राजनयिक संबंधों में कटौती करने का फैसला किया था। भारत ने गुरुवार को पाक से अपने फैसले की एक बार फिर समीक्षा करने की बात कही थी।

हालांकि, चीन ने भारत के इस कदम का विरोध किया था। चीन ने कहा था कि भारत ने हमारी क्षेत्रीय संप्रभुता को कम आंका है। इसके बाद भारत ने चीन के बयान पर कहा था कि यह हमारा आंतरिक मामला है।

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