विदेश: तजाकिस्तान में उतरने की अनुमति नहीं मिलने पर ओमान पहुंचे गनी; जल्द जाएंगे यूएस: रिपोर्ट्स

विदेश - तजाकिस्तान में उतरने की अनुमति नहीं मिलने पर ओमान पहुंचे गनी; जल्द जाएंगे यूएस: रिपोर्ट्स
| Updated on: 16-Aug-2021 05:12 PM IST
काबुल: तालिबान ने कल अपगानिस्तान की राजधानी काबुल में एंट्री मारी। राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए। हालांकि ताजिकिस्तान ने उनकी फ्लाइट की लैंडिंग की इजाजत नहीं दी। इसके बाद से अशरफ गनी ओमान में हैं। वे यहां से अमेरिका जा सकते हैं। अफगानिस्तान के सुरक्षा सलाहकार मोहिब भी ओमान में गनी के साथ हैं।

इससे पहले, अशरफ गनी ने सोशल मीडिया पर कहा कि उन्होंने अफगानिस्तान को खून-खराबे से बचने के लिए देश छोड़ दिया। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला एक समावेशी सरकार के लिए तालिबान के साथ बातचीत करने का प्रयास कर रहे हैं। यह देखना होगा कि तालिबान कैसी प्रतिक्रिया देता है। आपको बता दें कि अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ताजिकिस्तान जाने से पहले पंजशीर में थे।

पिछले कुछ दिनों में, तालिबान लड़ाकों ने कंधार, हेरात, मजार-ए-शरीफ और जलालाबाद जैसे शहरों सहित 34 प्रांतीय राजधानियों में से लगभग 25 पर कब्जा करते हुए देश के अधिकांश हिस्सों में घुसपैठ कर ली है। रविवार को तालिबान ने पूरे देश पर कब्जा कर लिया है।

अशरफ गनी ने बताए अफगानिस्तान छोड़ने के कारण

रविवार को अफगानिस्तान छोड़कर जाने के बाद गनी ने पहली बार टिप्पणी की है। इसमें उन्होंने कहा, ''मेरे पास दो रास्ते थे, पहला तो राष्ट्रपति भवन में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे सशस्त्र तालिबान का सामना करूं या अपने प्रिय देश को छोड़ दूं जिसकी रक्षा के लिए मैंने अपने जीवन के 20 साल समर्पित कर दिए।''

गनी ने रविवार को फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, ''यदि असंख्य देशवासी शहीद हो जाएं, अगर वे तबाही का मंजर देखते और काबुल का विनाश देखते तो 60 लाख की आबादी वाले इस शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी हो सकती थी। तालिबान मे मुझे हटाने के लिए यह सब किया है और वे पूरे काबुल पर और काबुल की जनता पर हमला करने आए हैं। रक्तपात होने से रोकने के लिए मुझे बाहर निकलना ठीक लगा।''

बंदूकों की जंग जीत गया तालिबान: गनी

72 वर्षीय गनी ने उन्होंने कहा कि तालिबान तलवार और बंदूकों की जंग जीत गया है और अब देशवासियों के सम्मान, धन-दौलत और स्वाभिमान की रक्षा की जिम्मेदारी उन पर है। गनी ने कहा कि तालिबान चरमपंथियों के सामने बड़ी परीक्षा अफगानिस्तान के नाम और इज्जत को बचाने की या दूसरी जगहों और नेटवर्कों को प्राथमिकता देने की है। उन्होंने कहा कि डर और भविष्य को लेकर आशंकाओं से भरे लोगों के दिल जीतने के लिहाज से तालिबान के लिए जरूरी है कि सभी देशों, विभिन्न क्षेत्रों, अफगानिस्तान की बहनों और महिलाओं सभी को भरोसा दिलाए।

अशरफ गनी अफगानिस्तान के 14वें राष्ट्रपति हैं। उन्हें सबसे पहले 20 सितंबर, 2014 को निर्वाचित किया गया था और 28 सितंबर, 2019 के राष्ट्रपति चुनाव में वह पुन: निर्वाचित हुए। वह लंबी प्रक्रिया के बाद फरवरी 2020 में भी विजयी घोषित किए गए थे और पिछले नौ मार्च को पुन: राष्ट्रपति बने। वह देश के वित्त मंत्री और काबुल यूनिवर्सिटी के चांसलर भी रह चुके हैं।

तालिबान ने रविवार को काबुल के बाहरी क्षेत्र में आखिरी बड़े शहर जलालाबाद पर कब्जा कर लिया था और इस तरह अफगानिस्तान की राजधानी देश के पूर्वी हिस्से से कट गई। मजार-ए-शरीफ और जलालाबाद पर रातोंरात कब्जा करने के बाद तालिबान के चरमपंथियों ने काबुल की ओर बढ़ना शुरू कर दिया।

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