इंडिया: गगनयान में जाने वाले अंतरिक्ष यात्री बिना पानी के स्प्रे से नहाएंगे, नासा ने इसरो से तकनीक मांगी

इंडिया - गगनयान में जाने वाले अंतरिक्ष यात्री बिना पानी के स्प्रे से नहाएंगे, नासा ने इसरो से तकनीक मांगी
| Updated on: 02-Nov-2019 12:08 PM IST
नई दिल्ली | भारत का स्वदेशी बहुउद्देशीय मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ दिसंबर 2021 में लाॅन्च किया जाएगा। इसमें इसरो और आईआईटी दिल्ली नया प्रयोग करने वाले हैं। इसके तहत अंतरिक्ष यात्री बिना पानी के स्प्रे से नहाएंगे। इसे क्लेन्स्टा इंटरनेशनल कंपनी ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर तैयार किया है। अंतरिक्ष में नहाने के लिए इसका इस्तेमाल करने वाला भारत पहला देश होगा। नासा भी इसका इस्तेमाल किए जाने को लेकर इसरो के साथ संपर्क में है।

अंतरिक्ष में यात्रियों को स्पेस शटल में कम से कम सामान ले जाना हाेता है। जहां नहाने के लिए पर्याप्त पानी नहीं होता है। न नहाने पर शरीर पर कई तरह के कीटाणु पैदा हो जाते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों को नहाने के लिए अलग प्रकार से पानी का उपयोग करना पड़ता है। यहां तक कि उन्हें अपने पेशाब को जमा कर विशेष प्रक्रिया के जरिए रिसाइकिल कर इस्तेमाल करना पड़ता है।

स्प्रे को नेवी, आर्मी कमांडो इस्तेमाल कर चुके हैं 

बिना पानी के स्प्रे से नहाने की तकनीक पर आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर काम करने वाले डॉ. पुनीत गुप्ता ने बताया कि उनकी मां को कुछ साल पहले पैर में चोट आ गई थी। घाव में इंफेक्शन न हो, इसलिए डॉक्टर ने चोट को पानी से दूर रखने की हिदायत दी। इस कारण वह कई दिनों तक नहा नहीं पाईं। उन्हें बालों और त्वचा में खुजली होती थी। वहीं से उन्हें वॉटरलेस बॉडी वॉश बनाने का आइडिया आया। 2018 में उन्होंने स्टार्टअप शुरू किया। आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर इसरो के लिए इस प्रोजेक्ट पर काम किया। तब से लेकर अब तक नेवी,आर्मी कमांडो इसका इस्तेमाल पानी की गैरमौजूदगी में कर चुके हैं। अब इस प्रोडक्ट का इस्तेमाल एम्स रायपुर समेत करीब 200 से ज्यादा सरकारी अस्पताल अपने उन मरीजों के लिए कर रहे हैं, जिन्हें किसी न किसी चोट के कारण पानी से दूर रहने के लिए कहा जाता है। इसके इस्तेमाल के बाद शरीर से 100% कीटाणु खत्म हो जाते हैं। 

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सेल बनेगा

आईआईटी दिल्ली और इसरो संयुक्त रूप से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सेल स्थापित करेंगे। आईआईटी के निदेशक रामगोपाल राव ने शुक्रवार को कहा कि यह सेल हमारी स्पेस टेक्नोलॉजी बाहरी देशों को मुहैया कराने के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नैनो टेक्नोलॉजी, फंक्शनल टेक्सटाइल और स्मार्ट मैन्यूफैक्चरिंग के लिए रिसर्च का काम करेगा।  

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