नई दिल्ली: लोकसभा में आजम खान पर फैसला आज, माफी नहीं मांगी तो सदस्यता जा सकती है

नई दिल्ली - लोकसभा में आजम खान पर फैसला आज, माफी नहीं मांगी तो सदस्यता जा सकती है
| Updated on: 29-Jul-2019 10:05 AM IST
नई दिल्ली. सपा सांसद आजम खान ने गुरुवार को भाजपा सांसद और लोकसभा की पीठासीन अधिकारी रमा देवी पर अभद्र टिप्पणी की थी। इस मामले में आज आजम माफी नहीं मांगते, तो लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। आजम के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया जा सकता है। ऐसा होता है तो उन्हें सदन से निलंबित या निष्कासित किया जा सकता है। इससे पहले 1978 में विशेषाधिकार हनन से जुड़े मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लोकसभा से निष्कासित कर जेल भेज दिया गया था।

25 जुलाई को लोकसभा में तीन तलाक बिल पर बहस के दौरान शिवहर (बिहार) से सांसद रमा देवी आसंदी पर बैठी हुई थीं। तभी आजम ने उन पर टिप्पणी की। इसके बाद लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आजम से माफी की मांग की थी। वहीं, बिड़ला ने भी आजम से माफी मांगने को कहा। इसके बाद आजम ने रमा देवी को अपनी प्यारी बहन बताया। लेकिन माफी मांगने की बात पर वह यह कहकर सदन से बाहर चले गए कि मुझे बेइज्जती सहकर यहां बात नहीं रखनी।

मुझमें आजम जैसे लोगों का सामना करने की हिम्मत: रमा देवी

रमा देवी ने आजम के बयान पर शनिवार को कहा था- “जिस कुर्सी पर मैं बैठी थी वह सभी की है। उन्होंने अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल देश की सभी महिलाओं के लिए किया है। मेरे संसदीय क्षेत्र की जनता ने मुझ पर विश्वास जताया और मुझे चुनकर संसद में भेजा। मुझमें ऐसे लोगों (आजम खान) का सामना करने की ताकत है।”

आजम के बचाव पर रमा देवी ने अखिलेश को जवाब दिया

गुरुवार को सदन में सपा सांसद अखिलेश यादव ने आजम का बचाव करते हुए कहा था, ‘‘अगर भाषा असंसदीय लगे तो इसे रिकॉर्ड से निकाल दें, लेकिन मुझे नहीं लगता कि उन्होंने कुछ भी गलत भावना से नहीं कहा।’’ रमा देवी ने अखिलेश को जवाब देते हुए शनिवार को कहा था, “उन्होंने सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐसा बोला है। उनकी भाषा में उनका अहंकार और घमंड दिखता है। उन्हें ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, वे मुख्यमंत्री रह चुके हैं।’’

क्या है विशेषाधिकार हनन?

संसद सदस्यों और समितियों को कुछ विशेषाधिकार दिए गए हैं, ताकि वे स्वतंत्र और प्रभावी तरीके से अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें। अगर किसी संसद सदस्य या बाहरी व्यक्ति या संस्था द्वारा इन अधिकारों का हनन किया जाता है तो वह सदन की अवमानना और विशेषाधिकार हनन के दायरे में आता है। ऐसे में सदन का कोई भी सदस्य उस सांसद या बाहरी व्यक्ति के खिलाफ सदन में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश कर सकता है।

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