देश: धार्मिक नाम वाले दलों के चुनाव लड़ने पर लगे रोक? वसीम रिजवी की याचिका पर AIMIM ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब

देश - धार्मिक नाम वाले दलों के चुनाव लड़ने पर लगे रोक? वसीम रिजवी की याचिका पर AIMIM ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब
| Updated on: 31-Jan-2023 07:02 PM IST
नई दिल्ली. देश में धार्मिक चिह्नों और धार्मिक नाम का इस्तेमाल करने वाली राजनीतिक पार्टियों को चुनाव लड़ने से रोकने और उनकी मान्यता रद्द करने की याचिका पर असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाबी हलफनामा दायर किया है. इस हलफनामे में AIMIM और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग यानी IUML ने याचिकाकर्ता वसीम रिजवी पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस याचिका का मकसद सिर्फ मुस्लिम पार्टियों को निशाना बनाना है.

दरअसल जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिज़वी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर ऐसे राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने की मांग की है, जो पार्टी के नाम में धार्मिक नाम या धार्मिक चिह्नों का इस्तेमाल करते हैं. इस पर जवाबी हलफनामे में AIMIM ने कहा है कि पार्टी के नाम में केवल ‘मुस्लिमीन’ शब्द का उल्लेख धर्म के आधार पर मतदाताओं से कोई विशेष अपील नहीं करता और इसे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है.

‘धर्म के नाम पर नहीं मांगते वोट’

एआईएमआईएम की हलफनामे में कहा गया है कि AIMIM के संविधान में इसके सदस्यों को धर्म के नाम पर वोट मांगने का जिक्र या निर्देश नहीं है, बल्कि इसकी सदस्यता सभी व्यक्तियों के लिए उनकी जाति, पंथ या धर्म के बावजूद खुली है. पार्टी ने कहा है, ’60 साल पुरानी इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य भारत में अल्पसंख्यकों और अन्य वंचित वर्गों के सामाजिक-सांस्कृतिक तथा धार्मिक लोकाचार की रक्षा करना है. विशेष रूप से हैदराबाद और इसके आसपास के क्षेत्र में.’

एआईएमआईएम ने दावा किया है कि वह अन्य कल्याणकारी उपायों को भी करने के लिए तैयार है, जैसे समाज के भीतर शिक्षा को बढ़ावा देना आदि. उसने जनप्रतिधित्व कानून के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है. पार्टी ने कहा, ‘ याचिकाकर्ता किसी भी विशिष्ट उदाहरण का उल्लेख करने में विफल रहा है. यह जनहित याचिका राजनीति से प्रेरित है और याचिकाकर्ता सैयद वसीम रिजवी राजनीतिक दलों के साथ अपने जुड़ाव का खुलासा करने में विफल रहे.’

याचिकाकर्ता वसीम रिजवी पर उठाए सवाल

इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता समाजवादी पार्टी के पूर्व सदस्य हैं और उन्होंने लखनऊ में कश्मीरी मोहल्ला वार्ड से वर्ष 2008 में निगम चुनाव लड़ा और जीता था. वहीं वर्तमान में ऑनलाइन उपलब्ध रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता को उत्तर प्रदेश राज्य में एक अन्य राजनीतिक दल के करीबी के रूप में जाना जाता है.

इस जवाबी हलफनामे में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता कई विवादों में फंसा हुआ है और हाल ही में कई  FIR  के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में था. इसमें जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि ‘यह पूरी याचिका हेट स्पीच है और किसी पार्टी के घोषणापत्र से ज्यादा कुछ नहीं है. याचिका की भाषा के साथ-साथ इसमें बताए गए असत्यापित तथ्य दो समुदायों के बीच विभाजन पैदा करने के प्रयास की तरह प्रतीत होते हैं.’

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