Economy of India: GST 2.0 और आयकर राहत से बढ़ी खपत, भारत की आर्थिक वृद्धि 6.8% से ऊपर रहने का अनुमान

Economy of India - GST 2.0 और आयकर राहत से बढ़ी खपत, भारत की आर्थिक वृद्धि 6.8% से ऊपर रहने का अनुमान
| Updated on: 09-Nov-2025 06:30 AM IST
भारत की अर्थव्यवस्था इस समय एक मजबूत और आशाजनक गति से आगे बढ़ रही है, जिससे देश के आर्थिक भविष्य को लेकर सकारात्मक माहौल बना हुआ है। सरकार को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6. 8% के अनुमानित आंकड़े को भी पार कर जाएगी और मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंथा नागेश्वरन ने शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) दरों में की गई कमी और व्यक्तिगत आयकर में दी गई राहत। ने आम जनता की क्रय शक्ति और खपत को बढ़ाया है, जिसका सीधा और सकारात्मक असर देश की समग्र आर्थिक वृद्धि पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। यह घरेलू मांग में वृद्धि आर्थिक विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति साबित हुई है। जनवरी में संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण ने वित्तीय वर्ष 2026 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 6 और 3% से 6. 8% के बीच रहने का अनुमान लगाया था। हालांकि, हाल के महीनों में सामने आए आर्थिक रुझानों और आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद, नागेश्वरन ने अब 6. 8% से अधिक वृद्धि को लेकर काफी आत्मविश्वास व्यक्त किया है। उनका मानना है कि अर्थव्यवस्था की वर्तमान गति और विभिन्न क्षेत्रों में। दिख रही मजबूती इस उच्च अनुमान को प्राप्त करने में सहायक होगी। यह संशोधित अनुमान देश की आर्थिक नीतियों और सुधारों की सफलता को भी दर्शाता है, जिन्होंने विपरीत वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद घरेलू अर्थव्यवस्था को लचीला बनाए रखा है।

घरेलू खपत में वृद्धि के प्रमुख कारक

नागेश्वरन के अनुसार, पहले यह चिंता थी कि आर्थिक वृद्धि दर कहीं 6% के निचले स्तर की ओर न खिसक जाए, लेकिन अब स्थिति काफी बेहतर दिख रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वृद्धि दर निश्चित रूप से 6. 5% से ऊपर ही रहेगी और 6. 8% के पार जाने की संभावना कहीं अधिक है और इस सकारात्मक बदलाव के पीछे GST दरों में की गई कटौती और आयकर में दी गई राहत जैसे सरकारी उपाय प्रमुख कारण हैं। इन उपायों ने उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक खर्च योग्य आय छोड़ी है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बढ़ी हुई खपत ने विनिर्माण, सेवा और खुदरा क्षेत्रों को बढ़ावा दिया है, जिससे आर्थिक चक्र को गति मिली है।

हालिया जीडीपी आंकड़े और क्षेत्रीय प्रदर्शन

भारत ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7. 8% की प्रभावशाली सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर दर्ज की। है, जो वैश्विक मंदी के माहौल में एक मजबूत प्रदर्शन है। यह तेजी मुख्य रूप से कृषि, व्यापार, होटल, वित्तीय सेवाओं और रियल एस्टेट जैसे प्रमुख क्षेत्रों की मजबूत परफॉर्मेंस की वजह से आई है। इन क्षेत्रों ने न केवल अपनी आंतरिक क्षमता का प्रदर्शन किया है, बल्कि रोजगार सृजन और निवेश को भी बढ़ावा दिया है और इसके अतिरिक्त, जनवरी-मार्च 2024 की तिमाही में भी GDP 8. 4% की उल्लेखनीय रफ्तार से बढ़ी थी, जो हाल के वर्षों में सबसे ज्यादा थी। यह लगातार उच्च वृद्धि दर भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करती है, खासकर चीन की 5. 2% की तुलना में।

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते का संभावित प्रभाव

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यदि अमेरिका के साथ लंबित द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) सुलझ जाता है, तो भारत की आर्थिक वृद्धि और भी तेज हो सकती है। यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार बाधाओं को कम करने और। आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। एक सफल BTA भारतीय निर्यातकों के लिए अमेरिकी बाजारों तक पहुंच को आसान बना सकता है, जिससे निर्यात में वृद्धि होगी और विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा होगा। यह न केवल व्यापार संतुलन को सुधारेगा बल्कि घरेलू उद्योगों को भी विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

टैरिफ चुनौतियां और चल रही वार्ता

वर्तमान में, अमेरिका ने भारत के सामान पर 50% तक का भारी टैरिफ लगा रखा है, जिसमें रूस से तेल खरीदने पर 25% का अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। ये टैरिफ अगस्त से लागू हैं और दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत जारी है। ये उच्च टैरिफ भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करते हैं, जिससे उनके उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है। नागेश्वरन का कहना है कि जैसे ही यह व्यापार विवाद हल होगा और टैरिफ कम। होंगे या हटा दिए जाएंगे, भारत की आर्थिक ग्रोथ के अनुमान और भी बेहतर हो जाएंगे। व्यापार बाधाओं को दूर करने से द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि होगी, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।

आगे की राह और भविष्य की संभावनाएं

भारत की आर्थिक यात्रा एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहां घरेलू खपत और निवेश के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों का समाधान इसकी गति को और बढ़ा सकता है और cEA का यह बयान कि 7% का आंकड़ा लगाने से पहले दूसरी तिमाही के आंकड़े देखने होंगे, एक सतर्क लेकिन आशावादी दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह इंगित करता है कि सरकार आर्थिक प्रदर्शन की बारीकी से निगरानी कर रही है और भविष्य के अनुमानों को ठोस आंकड़ों पर आधारित कर रही है। व्यापार समझौतों का समाधान और घरेलू नीतियों का निरंतर समर्थन भारत को वैश्विक आर्थिक मंच पर एक मजबूत स्थिति में बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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