Supreme Court: विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, ED-CBI के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार

Supreme Court - विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, ED-CBI के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार
| Updated on: 05-Apr-2023 05:48 PM IST
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को विपक्षी दलों को तगड़ा झटका दिया है. 14 विपक्षी दलों ने केंद्र की मोदी सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 विपक्षी दलों की इस याचिका को खारिज करते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया है.

विपक्षी दलों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामलों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है. पीएम मोद के 2014 में सत्ता में आने के बाद से विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों द्वारा मनमाना ढंग से मुकदमा दर्ज किए गए.

सिंघवी ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि ईडी ने पिछले सात वर्षों में पिछले दशक की तुलना में 6 गुना अधिक मामले दर्ज किए. लेकिन इन मामलों में सजा की दर केवल 23 प्रतिशत थी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ईडी और सीबीआई के 95 प्रतिशत मामले देश भर के विपक्षी नेताओं के खिलाफ थे और यह राजनीतिक प्रतिशोध और पूर्वाग्रह का स्पष्ट संकेत है.

हालांकि, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने याचिका की वैधता और व्यवहार्यता पर संदेह व्यक्त किया. उन्होंने सिंघवी से पूछा कि क्या वह जांच और अभियोजन से विपक्षी दलों के लिए प्रतिरक्षा की मांग कर रहे हैं, और क्या उनके पास नागरिक के रूप में कोई विशेष अधिकार हैं.

सिंघवी ने स्पष्ट किया कि वह विपक्षी नेताओं के लिए कोई व्यापक सुरक्षा या छूट नहीं मांग रहे, बल्कि केवल कानून के निष्पक्ष आवेदन के लिए कह रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष को कमजोर और हतोत्साहित करने के लिए अपनी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है और यह लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए हानिकारक है.

मुख्य न्यायाधीश सिंघवी के तर्कों से सहमत नहीं हुए और कहा कि याचिका अनिवार्य रूप से राजनेताओं के लिए एक याचिका थी. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि याचिका में अन्य नागरिकों के अधिकारों और हितों को ध्यान में नहीं रखा गया है, जो भ्रष्टाचार या आपराधिकता से प्रभावित हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय सिर्फ राजनेताओं के लिए सामान्य दिशानिर्देश या सिद्धांत निर्धारित नहीं कर सकता है, और यह कि व्यक्तिगत मामलों को अदालत के सामने लाया जाना अधिक उपयुक्त होगा. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सिंघवी संसद में अपनी चिंताओं को उठा सकते हैं.

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