Retail Inflation: भारत में आम लोगों के लिए महंगाई को लेकर दोहरी खुशी की खबर है। पहले थोक महंगाई में बड़ी गिरावट देखने को मिली, जो माइनस में आ चुकी है। अब रिटेल महंगाई में भी 72 बेसिस प्वाइंट की कमी आई है, और यह 2 फीसदी के स्तर पर आ गई है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, जून 2025 में खुदरा महंगाई 2.10 फीसदी के साथ पिछले 78 महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। यह लगातार पांचवां महीना है जब महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4 फीसदी से नीचे रही और लगातार आठवां महीना है जब यह 6 फीसदी के ऊपरी टॉलरेंस बैंड से नीचे रही।
रिपोर्ट के मुताबिक, जून 2025 में कोर इंफ्लेशन में मई 2025 की तुलना में 72 बेसिस प्वाइंट की गिरावट दर्ज की गई, जो जनवरी 2019 के बाद सबसे कम है। यह लगातार दूसरा महीना है जब मुद्रास्फीति 3 फीसदी से नीचे रही। मई 2025 में खुदरा महंगाई 2.82 फीसदी थी, जबकि जून 2024 में यह 5.08 फीसदी थी। रॉयटर्स के 50 अर्थशास्त्रियों के सर्वे में अनुमान लगाया गया था कि जून में खुदरा महंगाई 2.50 फीसदी तक कम होगी, लेकिन वास्तविक आंकड़ा इससे भी बेहतर रहा।
खाद्य महंगाई में भी उल्लेखनीय कमी देखी गई। जून में फूड इंफ्लेशन -1.06 फीसदी रहा, जो मई में 0.99 फीसदी था। यह गिरावट मुख्य रूप से अनुकूल आधार प्रभाव और सब्जियों, दालों, मांस, मछली, अनाज, चीनी, दूध, और मसालों जैसी प्रमुख श्रेणियों में कीमतों में कमी के कारण हुई। ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य महंगाई -0.92 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में -1.22 फीसदी दर्ज की गई। यह जनवरी 2019 के बाद सबसे कम खाद्य महंगाई है।
ये आंकड़े तब आए हैं, जब हाल ही में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो दर में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर इसे 5.5 फीसदी कर दिया था। यह इस साल की लगातार तीसरी कटौती थी। साथ ही, नीतिगत रुख को "न्यूट्रल" कर दिया गया, ताकि भविष्य में महंगाई और आर्थिक विकास के प्रति संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जा सके।
वित्त वर्ष 2026 के लिए आरबीआई ने अपने सीपीआई महंगाई अनुमान को 4 फीसदी से घटाकर 3.70 फीसदी कर दिया है। तिमाही-वार अनुमान के अनुसार, पहली तिमाही में 2.9 फीसदी, दूसरी तिमाही में 3.4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 3.5 फीसदी, और चौथी तिमाही में 4.4 फीसदी महंगाई का अनुमान है।
आरबीआई के अनुसार, 2024 के अंत में टॉलरेंस बैंड को पार करने के बाद से महंगाई में उल्लेखनीय कमी आई है। हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताओं और सप्लाई पक्ष के जोखिमों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, "पिछले छह महीनों में महंगाई में उल्लेखनीय कमी आई है, और आने वाले महीनों में प्राइस प्रेशर में और कमी की उम्मीद है।"
यह स्थिति आम लोगों के लिए राहत की सांस लेकर आई है, क्योंकि कम महंगाई का मतलब है उनकी क्रय शक्ति में वृद्धि और दैनिक जरूरतों की लागत में कमी। विशेषज्ञों का मानना है कि अनुकूल मौसम, बेहतर आपूर्ति श्रृंखला, और नीतिगत उपायों के कारण यह सकारात्मक रुझान बरकरार रह सकता है।