Rupee Dollar Fall: रुपए पर आई सबसे बड़ी आफत, 2 हफ्तों की सबसे बड़ी गिरावट आ गई

Rupee Dollar Fall - रुपए पर आई सबसे बड़ी आफत, 2 हफ्तों की सबसे बड़ी गिरावट आ गई
| Updated on: 25-Feb-2025 06:21 PM IST

Rupee Dollar Fall: भारतीय मुद्रा रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले हाल के दिनों में बड़े उतार-चढ़ाव का सामना कर रहा है। 10 फरवरी को 45 पैसे की गिरावट के बाद मंगलवार को इसमें 51 पैसे की भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे यह 87.23 के स्तर पर पहुंच गया। यह पिछले दो हफ्तों में सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है। इस लेख में हम रुपए की इस गिरावट के मुख्य कारणों और इसके संभावित प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।

रुपए की गिरावट के प्रमुख कारण

  1. डॉलर की बढ़ती मांग

    • आयातकों द्वारा महीने के अंत में डॉलर की अधिक मांग के चलते रुपए पर दबाव बढ़ा।

    • वैश्विक व्यापार शुल्कों पर अनिश्चितता के कारण विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता रही।

  2. एफआईआई का निरंतर आउटफ्लो

    • विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा भारतीय बाजारों से लगातार पूंजी निकासी की जा रही है।

    • एक्सचेंज डेटा के अनुसार, एफआईआई ने सोमवार को 6,286.70 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची।

  3. अमेरिकी व्यापार नीति में अनिश्चितता

    • अमेरिकी राष्ट्रपति के व्यापार शुल्कों को लेकर दिए गए बयानों ने बाजार में घबराहट पैदा की।

    • इससे सुरक्षित निवेश के रूप में डॉलर की मांग बढ़ी, जिससे भारतीय रुपया कमजोर हुआ।

  4. शॉर्ट पोजीशन कवरिंग

    • वायदा अनुबंधों की समाप्ति के चलते ट्रेडर्स द्वारा शॉर्ट पोजीशन कवर करने का दबाव बढ़ा।

    • इस वजह से रुपया और कमजोर हुआ।

रुपए की गिरावट का प्रभाव

  1. आयात महंगा होगा

    • डॉलर महंगा होने से कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।

    • इससे महंगाई में इजाफा हो सकता है।

  2. विदेशी निवेश प्रभावित होगा

    • निरंतर गिरावट से विदेशी निवेशकों का भरोसा कम हो सकता है।

    • भारतीय स्टॉक मार्केट में अस्थिरता बनी रह सकती है।

  3. आरबीआई का हस्तक्षेप संभव

    • रुपये को स्थिर रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है।

    • संभावित हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में सुधार देखने को मिल सकता है।

डॉलर इंडेक्स और वैश्विक कारक
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की ताकत को दर्शाता है, 0.04% बढ़कर 106.64 पर पहुंच गया। साथ ही, ब्रेंट क्रूड वायदा 0.12% गिरकर 74.69 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। यह संकेत देता है कि वैश्विक स्तर पर भी बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।

निष्कर्ष
रुपए में हालिया गिरावट कई वैश्विक और घरेलू कारकों का परिणाम है। बढ़ती डॉलर मांग, एफआईआई आउटफ्लो, अमेरिकी व्यापार नीति में अनिश्चितता और वायदा अनुबंधों के प्रभाव से रुपए पर दबाव बना हुआ है। आने वाले दिनों में यदि आरबीआई हस्तक्षेप करता है और बाजार में स्थिरता आती है, तो रुपए में कुछ सुधार संभव हो सकता है। हालांकि, व्यापारियों और निवेशकों को सतर्क रहकर आगे की रणनीति बनानी होगी।

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